टीएनपी डेस्क(TNP DESK): हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, बिजली खरीद मामले में बांग्लादेश के द्वारा झटका दिये जाने के बाद अब हिमाचल प्रदेश में आबकारी और टैक्सेशन विभाग की टीम ने अडाणी समूह के विल्मर लिमिटेड केसी एंड एफ स्टोर पर छापेमारी की है. कंपनी पर जीएसटी और कर चोरी का आरोप है. यह पूरी कार्रवाई राज्य कर एवं कराधान विभाग के द्वारा की गयी है. कराधान विभाग के अधिकारियों ने कंपनी से जुड़े सारे दस्तावेजों को खंगाला है.
कर चोरी का आरोप
यहां बता दें कि अडाणी समूह की ओर से हिमाचल में स्टोर के माध्यम से खाद्य तेल साबुन और खाद्य पदार्थों आपूर्ति करती है, इसके द्वारा नागरिक खाद्य एवं आपूर्ति और पुलिस विभाग को करोड़ों रुपए की बिक्री की गयी थी. नियमानुसार, टैक्स लायबिलिटी के तहत 10 से 15 फीसदी टैक्स का भुगतान नकद राशि के जरिए करना होता है. जबकि कंपनी की ओर से 135 करोड़ रुपये के कारोबार के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया. आरोप है कि जीएसटी का सारा टैक्स इनपुट टैक्स क्रेडिट में समायोजित कर दिया गया. साथ ही विभाग की ओर से कंपनी को टैक्स का रिफंड भी कर दिया गया. राज्य में भाजपा की सरकार जाने के बाद इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि कंपनी का सारा कारोबार और व्यापारिक प्रतिष्ठान किराए पर हैं. ऐसे में टैक्स लायबिलिटी का भुगतान कैश में नहीं किये जाने पर सवाल उठ रहे हैं. विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह एक बड़ा टैक्स चोरी का मामला है.
भाजपा सरकार के वक्त किया गया था कारोबार, अब सरकार बदलते ही कंपनी के खिलाफ अधिकारियों का कड़ा तेवर
ध्यान देने की बात कंपनी का यह सारा कारोबार भाजपा सरकार में की गयी है, अब जबकि वहां कांग्रेस की सरकार बन गयी है, माना जा रहा है कि अडाणी समूह को दिक्कतों का सामना कर पड़ सकता है.
झारखंड में भी कंपनी को करना पड़ सकता है विरोध का सामना
यहां यह भी बता दें कि झारखंड में भी कंपनी की ओर से अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की गयी है. आठ-आठ सौ मेगावाट के इन प्लांटों के निर्माण के लिए झारखंड सरकार और अडाणी पावर (झारखंड) लिमिटेड ने फरवरी 2016 में एक क़रार किया था. इसके तहत यहां उत्पादित 1600 मेगावाट बिजली विशेष ट्रांसमिशन लाइन से सीधे बांग्लादेश को भेजी जानी है. लेकिन एक ओर जहां बांग्लादेश की सरकार कंपनी की बिजली दर को अधिक बता कर इसमें संशोधन की मांग कर रही है, वहीं यहां के स्थानीय निवासियों के द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, कंपनी पर जबरन जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया जा रहा है, साथ ही कंपनी में स्थानीय लोगों को नौकरी पर नहीं रखने का आरोप भी है. डर इस बात की है कि कहीं यह आवाज भी तेज नहीं हो जाये.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार