पटना(PATNA)- सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो डालने का आरोपी यूट्यूबर मनीष कश्यप ने आज सुबह बेतिया पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, मनीष कश्यप पर पुलिस ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कुल सात मुकदमें दर्ज किये है, जिसके बाद उसके खिलाफ कुर्की जब्ती का वारंट भी जारी कर दिया गया है कुर्की जब्ती का वारंट होने के पहले तक बिहार सरकार को चुनौती पेश करते मनीश कश्यप ने आखिरकार सरेंडर करना बेहतर समझा.
लेकिन मनीष कश्यप का सरेंडर की खबर मिलते ही तमिलनाडु पुलिस के अधिकारियों को पटना पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया, पुलिस सूत्रों का दावा है कि तमिलनाडु पुलिस मनीष कश्यप को तमिलनाडु ले जाने की मांग कर सकती है, हालांकि इसके लिए उसे जरुरी कई औपचारिकताओं का निर्वाह भी करना पड़ेगा.
फर्जी हिंसा वीडियो मुख्य मास्टर माइंड
यहां बता दें कि तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के खिलाफ फर्जी हिंसा का वीडियो अपलोड करने के मामले में मनीष कश्यप को मुख्य मास्टर माइंड बताया जा रहा है, दावा किया जा रहा है कि मनीष कश्यप ने इन वीडियो को पटना के जक्कनपुर इलाके में फिल्मांकन किया था, जिसके बाद इन वीडियो को तमिलनाडु का बतलाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया गया, वीडियो अपलोड होते ही बिहारी मजदूरों में अफवाह फैलने लगा, मजदूर आनन-फानन में तमिलनाडु छोड़कर भागने लगे.
फर्जी वीडियो को आधार बना कर बिहार में तेज हुई राजनीति
हालांकि तमिलनाडु सरकार ने इन वीडियो को शुरु में फर्जी करार दे दिया था, साथ ही तमिलानडु पुलिस के द्वारा भी कई लोगों के विरुद्ध मामला दायर किया गया था. लेकिन इन वीडियो को आधार बना कर बिहार में राजनीति तेज हो गयी, विपक्ष इस वीडियो को तेजस्वी यादव की तमिलनाडु यात्रा से भी जोड़कर देख रहा था, विपक्ष का आरोप था कि एक तरफ तेजस्वी यादव तमिलानाडु के सीएम स्टालिन के जन्म दिन पर आयोजित समारोह में शामिल होते हैं, जबकि दूसरी तरफ वहां बिहारी मजदूरों के साथ हिंसा होती है, मजदूरों को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ रही है.
यही कारण है कि आखिरकार सरकार को अपने उच्च अधिकारियों को मामले की जांच के लिए तमिलनाडु भेजना पड़ा है, लेकिन जब अधिकारियों को तमिलनाडु का दौरा किया तो सारी खबरें फर्जी निकली.
मनीष कश्यप लगातार बिहार सरकार को चुनौती पेश कर रहा था
जिसके बाद बिहार पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया, जिसमें कईयों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन मनीष कश्यप लगातार अपने उपर दर्ज प्राथमिकी को चुनौती पेश कर रहा था, उल्टे वह इस मामले में बिहार सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर रहा था, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव उसके खाश निशाने पर थें.
फर्जी वीडियो से मजदूरों की आजीविका गयी और कंपनियों को भी नुकसान उठाना पड़ा
लेकिन जब उसके खिलाफ कुर्की-जब्ती का वारंट जारी हो गया तब उसके सामने सरेंडर करने के सिवा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था, अब देखना होगा कि उसके जमानत मिलती है या अभी कुछ दिन सलाखों के पीछे गुजारना पड़ता है, वैसे उसके कारण काफी संख्या में बिहारी मजदूरों ने तमिलनाडु छोड़ दिया और इसके कारण वहां की कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा, साफ है कि इस फर्जी वीडियो के खेल में नुकसान मजदूरों का भी हुआ और तमिलानाडु की कंपनियों को भी.