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मां सरस्वती का ऐसा अद्भुत मंदिर जहां फल और मिठाई नहीं बल्कि स्याही का लगता है भोग, पढ़ें माता के इस मंदिर का इतिहास

मां सरस्वती का ऐसा अद्भुत मंदिर जहां फल और मिठाई नहीं बल्कि स्याही का लगता है भोग, पढ़ें माता के इस मंदिर का इतिहास

टीएनपी डेस्क(TNP DESK):आज बसंत पंचमी है, ऐसे में सभी तरफ माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जा रही है. मां सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है जिनकी पूजा पूरे संसार में की जाती है, लेकिन खास तौर पर पढ़ने लिखने वाले बच्चे और विद्यार्थी माता सरस्वती की पूजा करते हैं. वहीं कला जगत से जुड़े लोग भी माता सरस्वती की आराधना पूरे श्रद्धा भाव से करते हैं.आज हम आपको एक ऐसे सरस्वती माता के अद्भुत मंदिर के बारे में बताएंगे.जहां माता सरस्वती को फल और मिठाईयां की जगह स्याही से उनको भोग लगाया जाता है.

400 साल पुराना है मंदिर का इतिहास

यह मंदिर देश के किस राज्य में स्थापित है और कितना साल पुराना है इसका इतिहास क्या है आज हम आपको पूरी जानकारी देंगे.आपको बताये कि ये चमत्कारिक मंदिर बाबा महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में स्थित है, जो 400 साल पुराना है. मुगलकालीन इस माता के मंदिर में बसंत पंचमी पर विद्यार्थी विद्या की देवी का स्याही से अभिषेक करते हैं, और विद्या का वर मांगते है.इस मंदिर में मां सरस्वती की काले पाषाण की बेसकिमती मूर्ती विराजमान है.

माता अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं

 यहां की ऐसी मान्यता है कि माता अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.जहां सरस्वती पूजा के दिन यहां खास पूजा की जाती है, जिसको लेकर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.बसंत पंचमी के पावन अवसर पर मंदिर को सरसों के फूल से सजाया जाता है, जिसका नजारा अद्भुत होता है.आपको बताये कि इस मंदिर में बसंत पंचमी के दिन छात्र-छात्रा मां शारदे की स्याही और कलम चढ़ाकर पूजा अर्चना करते है,और बेहतर शिक्षा दीक्षा का वर मांगते है.जब बच्चों की परीक्षा होती है तो उस समय भी यहां आकर स्याही और कलम चढ़ाते हैं, उनको मान्यता की ऐसा करने से विद्या की देवी का आशीर्वाद मिलता है.

पढ़ें कहां मौजूद है ये मंदिर

ये मंदिर उज्जैन के सिहंपुरी के सकरे मार्ग में स्थित है.भले ही ये मंदिर काफी छोटा है, लेकिन मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.यहां के पुजारी अनिल मोदी बताते है कि छात्र यहां बसंत पंचमी के साथ परीक्षाओं के दौरान भी कलम और स्याही चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं.

Published at:03 Feb 2025 01:35 PM (IST)
Tags:art and culture dharam astha maa Saraswati art and culture news trending news famous temple of maa sarswati jharkhand jamshedpur
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