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झारखंड का ऐसा पारंपरिक मेला, जहां आदिवासी युवक-युवतियां चुनते है अपनी पसंद का जीवन साथी, पढ़ें दिलचस्प परंपरा का इतिहास

झारखंड का ऐसा पारंपरिक मेला, जहां आदिवासी युवक-युवतियां चुनते है अपनी पसंद का जीवन साथी, पढ़ें दिलचस्प परंपरा का इतिहास

टीएनपी डेस्क(TNP DESK):अपने पसंद से शादी करना बीते कुछ सालों से ट्रेंड में है, अभी के समय में युवक युवतियां अपनी पसंद से शादी करना चाहते है. जहां अब युवा अपनी पसंद के जीवनसाथी के बारे में सोचने से पहले फोन या इंटरनेट के माध्यम से भी एक-दूसरे को जानने की कोशिश करते हैं,वहीं ऐसे में झारखंड में आदिवासी समुदाय में ये परंपरा बीते कई वर्षों पहले से चली आ रही है. आपको बताये कि झारखंड के आदिवासी समुदाय में एक बहुत ही दिलचस्प और पारंपरिक मेला आयोजित होता है, जहां लड़के और लड़कियां अपनी पसंद का जीवनसाथी चुन सकते हैं.जिससे हाट-बाज़ार मेला"या "विवाह मेला"कहा जाता है. इस मेले का आयोजन खासकर आदिवासी क्षेत्रों में होता है, और यह केवल एक सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन नहीं, बल्कि विवाह के लिए एक पारंपरिक तरीका भी है, जहां लड़के और लड़कियां अपनी पसंद के साथी को चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं.

जाने कब हुई थी इसकी शुरुआत

इसकी शुरुआत कई साल पहले हुई थी, जहां झारखंड के एक छोटे से आदिवासी गांव में एक दिलचस्प मेला लगता था. इस मेले में हर साल एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जहां पूरे गांव के लोग इकट्ठा होते हैं.यहां की खास बात यह होती है कि लड़के और लड़कियां खुलकर एक-दूसरे से मिलते हैं और आपस में बातचीत करते हैं.मेलों में जोड़ा बनाने के लिए कोई जबरदस्ती नहीं होती है बल्कि, आप अपनी मर्जी से अपने जीवनसाथी चुन सकते है.

मेले की विशेषता और मुख्य उद्देश्य

यह मेला झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में हाट-बाजार मेला विशेष रूप से एक शादी के अवसर के रूप में होता है.यह मेला आमतौर पर गांव में आयोजित किया जाता है ,और इसमें आदिवासी लोग अपने-अपने पारंपरिक परिधान में आते हैं. इस मेले का मुख्य उद्देश्य लड़के और लड़कियों को एक-दूसरे से मिलवाना और उन्हें अपनी पसंद के साथी को चुनने का अवसर देना है.इस मेले में उन्हें अवसर दिया जाता है कि लोग आपस में बातचीत कर सकते हैं, अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और विवाह के लिए अपनी पसंद का साथी चुन सकते हैं, साथ ही आपको बताये कि लड़के और लड़कियां इस मेले में केवल एक-दूसरे को देखकर ही नहीं, बल्कि सामूहिक रूप से भी बातचीत करते हैं. मेले के दौरान वे अपने परिवारवालों और अन्य लोगों से भी बातचीत करते हैं, जो बाद में विवाह के फैसले में मदद करते है. इस मेले में आकर्षण के लिए आदिवासी लोग पारंपरिक संगीत और नृत्य का आयोजन करते हैं. महिलाएं और पुरुष एक साथ मिलकर अपने पारंपरिक गीत गाते है और नृत्य भी करते है. जहां काफी खुशनुमा माहौल देखने को मिलता है.

आदिवासियों के विवाह करने का अनूठा तरीका

झारखंड के आदिवासी समाज में विवाह के लिए साथी चुनने का ये तरीका काफी अलग है.यह न  केवल एक सामाजिक पहलू है, बल्कि यह समाज की खुली सोच और परंपराओं को भी दर्शाता है.जहां लड़के और लड़कियां अपनी पसंद का साथी चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं, वहीं यह मेले समाज के सामूहिक दृष्टिकोण, एकता, और परंपरा का भी प्रतीक हैं.इन मेलों के माध्यम से आदिवासी समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है, और साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी मार्ग है.

रिपोर्ट-प्रिया झा

Published at:15 Feb 2025 04:53 PM (IST)
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