टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- बिहार की सियासत में उठापटक और खलबली होते रहती है. क्योंकि यहां सियासतदांन कुछ न कुछ ऐसी हरकते करके फिंजा में धुआं छोड़ते रहते हैं. जो बाद में आग लगने की इशारा करते रहती है. यहां की हुकूमत पर पिछले तीन दशक में लालू परिवार या फिर नीतीश बाबू ही बागडोर संभाले हुए हैं.
इस बार शायद कुछ अलग हो या फिर पलटी दिखाई पड़े. लेकिन साफ है कि बागडोर नीतीश कुमार के हाथ में ही रहेगी. एकबार फिर उनके महागठबंधन से हटकर पाला बदलने के संकेत तेज हैं. माना जा रहा है कि सुशासन बाबू नीतीश फिर एनडीए के साथ हो जाएगें. चर्चाओं का बाजार तो गर्म है. लेकिन, गणतंत्र दिवस के मौके पर जलेबी बांटते दिखे नीतीश अभी कुछ भी सुगबुगाहट या फिर पत्ता नहीं खोल रहे हैं. आगे क्या होगा ये तो समय तय करेगा. लेकिन, आशंकाएं और पलटी का इतिहास तो यही बताता है कि अगर एक पलटी नीतीश फिर मार दे तो कुछ नया नहीं होगा.
मांझी के ट्विट से सुगबुगाहट तेज
इस बीच नीतीश कुमार की मदद से बिहार के मुख्यमंत्री बनें जीतन राम मांझी ने हलचले तेज कर दी हैं. उनकी ट्विट में इशारा तो यही कर रहे है कि आज ही खेला हो जाएगा. यानि राजग के साथ फिर जेडीयू मिल जाएगा. नीतीश कुमार फिर अपने पुराने सहयोगी भाजपा के साथ हमसफर इस लोकसभा चुनाव में हो जाएंगे.
खैर आगे सियासत का ये ऊंच किस करवट बैठेगा. इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन, सच्चाई और इतिहास यही कहता है कि पलटू चाचा नीतीश अगर ऐसा करे, तो नई बात नहीं होगी. क्योंकि, सियासी मोहरे बिझाने और करवटे मारने में उनका कोई सानी नहीं हैं. इसमे आश्चर्य और चौकाने वाली कोई नई बात नहीं होगी .
सभी की लगी हैं नजरें
कुछ महीने पहले नीतीश कुमार ने ही बिहार विधानसभा में जीतन राम मांझी की खूब फजीहत की थी. उसमे वो बोले थे कि उनकी मूर्खता से जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बन गये थे. इस दौरान उनकी भाषा में अभद्रता का आरोप लगा था. जिससे जीतन राम मांझी तिलमिला गये थे और उन पर निशाना साधते हुए उनकी मानसिक स्थित पर सवाल खड़ा कर दिया था. अभी जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा राजग के साथ है और लगातार निगाहें बनाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर है. हालांकि, उनकी नजर में सुशासन बाबू की पलटी राज्य हित में होगा. सच तो ये भी है कि जीतन राम मांझी पहले भी कई बार कुछ न कुछ चौकाने वाले बयान देते रहे हैं. इस बार फिर महागठबंधन में टूट की अटकले कुछ ज्यादा जोरों पर हैं. अब देखना है कि पाला बदलने में माहिर नीतीश कुमार का क्या रुख होता है या फिर एकबार फिर ये चर्चा और शिगूफा ही साबित होगा.