टीएनपी डेस्क(TNP DESK): लिव इन रिलेशनशीप के मामले में एक अहम टिप्पणी करते हुए कोलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी महिला को पहले से ही इस बात की जानकारी है कि उसका पार्टनर शादी शुदा और बाल-बच्चेदार है, तब उस परिस्थिति में महिला के द्वारा अपने पुरुष पार्टनर पर धोखेबाजी का आरोप नहीं लगाया जा सकता.
कोर्ट ने कहा कि महिला के सामने अपने पुरुष पार्टनर की सारी जानकारियां उपलब्ध थी, उसे इस रिश्ते की रिस्क फैक्टर की जानकारी थी. लेकिन कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यदि किसी मामले में पुरुष पार्टनर के द्वारा अपनी शादीशुदा जिंदगी को छुपाया गया है, तब इसे धोखाधड़ी की श्रेणी में ही माना जायेगा.
निचली अदालत का फैसला निरस्त
इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें अपने महिला पार्टनर को धोखा देने के आरोप में पुरुष पार्टनर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. उस शख्स ने 11 महीने की ‘Live in relation' के बाद उक्त महिला से ब्रेकअप कर लिया था. इस मामले में महिला को पहले दिन से ही इस बात की जानकारी थी कि उसका पार्टनर एक शादीशुदा पुरुष है, और उसके बच्चे भी हैं. बावजूद महिला उसके साथ लिव इन रिलेशन में थी, और करीबन 11 महीने के बाद उसके द्वारा अपने पुरुष पार्टनर पर शादी करने का दवाब बनाया जा रहा था.
वर्ष 2014 में हुई थी दोस्ती की शुरुआत
दरअसल यह मामला वर्ष 2014 का है, महिला का दावा है कि वह एक होटल में जॉब के लिए इंटरव्यू देने गयी थी, उसी होटल में उसकी मुलाकात वहां के मैनेजर से हुई, दोनों की बीच मोबाईल नम्बर का आदान प्रदान हुआ. बातों का सिलसिला शुरु हुआ, धीरे-धीरे यह दोस्ती में बदलता चला गया, और यह दोस्ती कब मोहब्बत में तब्दील हुआ, दोनों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
तलाकशुदा पुरुष के द्वारा महिला को साथ रहने का ऑफर
इसी मुलाकात के दौरान एक दिन महिला का उसके पुरुष पार्टनर ने बताया कि वह एक तलाकशुदा मर्द है. इसके साथ ही महिला को साथ रहने का ऑफर दिया गया. जिसे महिला ने उसी क्षण स्वीकार कर लिया. यह रिश्ता करीबन 11 माह चला, इसी बीच वह उसका पार्टनर अपने बच्चों से मिलने मुम्बई गया, जहां उसकी मुलाकात एक बार फिर से उसकी पत्नी से हुई. इसी मुलाकात के दौरान दोनों के गिले शिकवे दूर हो गयें.
महिला के परिजनों को इस बात की जानकारी के बाद बनाया गया शादी का दवाब
इधर महिला के परिजनों को दोनों के बीच प्रेम प्रसंग की जानकारी मिली, महिला के परिजनों के द्वारा शादी का दवाब बनाया जाने लगा, लेकिन पुरुष शादी से इंकार कर गया. उसने कहा कि अब उसके संबंध उसकी बीबी से अच्छे हो गये हैं और वह उसी के साथ रहना चाहता है, इसके साथ ही पुरुष के द्वारा ब्रेकअप ले लिया गया.
अलीपुर कोर्ट में चला मुकदमा
अपने पुरुष पार्टनर के इस फैसले से आहत महिला के द्वारा वर्ष 2014 में अलीपुर कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया, जहां कोर्ट के द्वारा महिला को 10 लाख रुपये देने का फैसला सुनाया गया. अलीपुर कोर्ट के इस फैसले को पुरुष के द्वारा कोलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी, और कोलकत्ता हाईकोर्ट ने अलीपुर कोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी कर दी कि किसी पुरुष का शादी शुदा होने के बाद भी किसी महिला के साथ ‘लिव इन रिलेशन’ में रहना धोखेबाजी नहीं है, बशर्ते महिला को उसकी शादीशुदा जिंदगी की जानकारी हो.