रांची(RANCHI): सदी के सबसे बड़े सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज को नेपाल की उच्चतम न्यायालय ने रिहाई देने का आदेश दिया है. 2003 से नेपाल की जेल में सजा काट रहे चार्ल्स को उनके अच्छे आचरण और उम्र कैद के 17 साल पूरे हो जाने पर नेपाल सरकार और न्यायालय ने छोड़ने का फैसला किया है. चार्ल्स शोभराज एक ऐसा नाम जिसने जुर्म की दुनिया मे तहलका मचा दिया था. वियतनाम माँ और भारतीय पिता की संतान शोभराज का ये भारतीय नाम इसी लिए है क्योंकि इसके पिता भारतीय थे. हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर है की शोभराज के भारतीय पिता ने उन्हे कभी नही अपनाया और उनकी माँ से शादी भी नहीं की थी. वियतनाम मे तैनात एक फ्रांसीसी सिपाही से शोभराज की माँ ने शादी की और इस तरह शोभराज अपनी माँ के साथ फ्रांस चला आया और यहीं से उसे फ्रांस की नागरिकता मिली.
फिल्मी कहानी से कम नहीं है शोभराज की कहानी
चार्ल्स शोभराज की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी कहते है वियतनाम से अपनी माँ के साथ फ्रांस या जाने के बाद अपने किशोरावस्था से ही शोभराज ने जुर्म की दुनिया मे कदम रख दिया है. और इस दुनिया में कदम रखते ही अपने बड़े बड़े कारनामों से जल्द ही ख्याति प्राप्त कर ली थी. 60के दशक मे फ्रांसीसी माँ अपने बिगड़ते बच्चों को डांटने और समझने के लिए ये कहती थी की शोभराज बनते जा रहे संभल जाओ. ये नाम शोभराज ने अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों में ही कमा लिया था. इसके बाद शोभराज के खुराफाती दिमाग ने हर वो काम किया जिसके लिए समाज मे उसे अपराधी माना जाए. ये माना जाता है कि शुरुआती जीवन में शोभराज ने फ़्रांस में छोटे-मोटे अपराध किए लेकिन सीरियल किलर बनने की शुरुआत साल 1963 में तब हुई जब उन्होंने एशिया की यात्रा की जानकारों का कहना है कि आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का उनका तरीका हमेशा एक सा था. वो ड्रग्स लेने वाले फ्रेंच और अंग्रेज़ी भाषी पर्यटकों से दोस्ती गांठते थे और उनका माल लूटकर फिर उनकी हत्या कर देते थे. साल 1972 से 1982 के बीच शोभराज हत्या के बीस से ज़्यादा आरोप लगे. इन तमाम मामलों में पीड़ितों को ड्रग्स दिया गया था. उनका गला दबाया गया था. मारा गया था या फिर उन्हें जला दिया गया था. चोरी ड्रग्स लूट धोखाधड़ी और इसके बाद हत्या. बता दें शोभराज बहुत ही ठंडे दिमाग से हत्याएं या साजिश रचता था और बावजूद इसके लोग उससे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते थे. खास कर महिलायें शोभराज के जाल मे बहुत आसानी से फंस जाती थी. इसके बाद शोभराज मौका देख कर इन महिलाओं से लूटपाट करता और फिर बेरहमी से कर देता उनकी हत्या. सबसे बड़ी बात शोभराज की शिकार हुई महिलाओं की बॉडी बिकनी मे मिलती थी. इसलिए इसे बिकनी किलर के नाम से पुकार जाने लगा . ऐसा नहीं है की शोभराज के सजिस का शिकार केवल महिलायें ही है पुरुष भी उसके षड्यन्त्र का हिस्सा बने है और सबसे चौंकाने वाली बात ये थी की शोभराज उन पुरुषों की आइडेंटिटी या पासपोर्ट पर अपनी विदेश यात्राएं किया करता था. बेहद हैरान करनेवाली ये खबर थी की जिन पुरुषों की हत्या वो करता उसके पासपोर्ट का उपयोग वो अपने अगले शिकार को फँसने के लिए करता था.
पर्यटकों को बनाता था निशाना
हतचंद भाओनानी गुरुमुख चार्ल्स शोभराज, जिस पर 20 से अधिक हत्याओं का आरोप है, जो वेश बदलने और जेल से फरार होने में माहिर है और कई फिल्में और किताबों के बाद भी जिसके आपराधिक किस्से दुनियाभर में सुने-सुनाए जाते हैं, वह कुख्यात सीरियल किलर अब नेपाल की जेल से बाहर आने के लिए तैयार है. भेष बदलने में माहिर चार्ल्स शोभराज पर्यटकों और युवा महिलाओं को निशाना बनाता था. चार्ल्स शोभराज पर भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में हत्या के 20 से ज़्यादा आरोप लगे. उन्हें सीरियल किलर कहा जाने लगा लेकिन अगस्त 2004 के पहले उन्हें ऐसे किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया. एक अपराधी के तौर पर शोभराज या तो चकमा देकर जेल से बाहर आते रहे या फिर अधिकारियों को रिश्वत देकर जेल में सुविधाएं हासिल करते रहे. माना जाता है कि शोभराज भारत के अलावा अफ़ग़ानिस्तान, ग्रीस और ईरान की जेलों से भी चकमा देकर बाहर आ चुके हैं. फ्रांस के पर्यटकों को ज़हर देने के मामले में उन्होंने भारत की जेल में तक़रीबन 20 साल की सज़ा काटी.
फिल्मी अंदाज में हुआ था फरार
भारत में शोभराज 1970 के दशक मे अपना पैर फैलाना शुरू किया फ्रांस मे छोटे मोटे अपराध की सजा काट कर शोभराज ने आशियाई देशों की ओर रुख किया. देखने मे आकर्षक और बातचीत मे निपुण शोभराज इंसतंबूल के रास्ते भारत या पुंछ और यह से ड्रग्स और महंगे कारों की दलाली शुरू की. पाकिस्तान तुर्की इत्यादि देशों से महंगी कर बॉर्डर पार कर के भारत लाता और इसे बेच देता. इस दौरान शोभराज ने फ्रेंच सोसाइटी भी जॉइन कर रखी थी जिसमे वो रसुखदार लोगों से मेलजोल बढ़त और उन सभी को अपने लुभावने बातों में भला कर उनका इस्तेमाल किया करता था. बता दें शोभराज भारत में 21 साल जेल की सजा काट चुका है. 1971 में वह बीमारी का बहाना करके जेल से अस्पताल गया और वहां से फरार हो गया. 1976 में उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया लेकिन 1986 में वह एक बार फिर 'फिल्मी अंदाज' में जेल से भाग गया. 1976 में एक फ्रांसीसी पर्यटक की दिल्ली के एक होटल में जहर खाने से मौत हो जाने के बाद चार्ल्स को भारत में गिरफ्तार किया गया था और हत्या के लिए 12 साल की सजा सुनाई गई थी. 1986 में वो जेल से भाग निकला और पुलिस ने उसे गोवा में फिर से पकड़ लिया. इसके बाद शोभराज 1997 में रिहा हुआ और पेरिस चला गया. जेल से भागने का तरीका बेहद दिलचस्प था शोभराज ने जेल में जन्मदिन की पार्टी रखी. इसमें कैदियों के साथ गार्डों को भी बुलाया गया था. पार्टी में बांटे गए बिस्कुट और अंगूरों में नींद की दवा मिला दी गई थी. थोड़ी देर में शोभराज और उनके साथ जेल से भागे चार अन्य लोगों के अलावा बाकी सब निढाल हो गए. उस वक्त की भारतीय अख़बारों में आई रिपोर्टों के मुताबिक शोभराज बाहर आने को लेकर इस कदर आश्वस्त थे कि उन्होंने जेल के गेट पर तस्वीर भी खिंचाई थी . सिस्टम को अपने तरफ करने और बातों से लोगों को बहलाने का हुनर शोभराज में बेहद अधिक थी. किसी को भी कन्वेंस करने मे माहिर शोभराज जेल में बैठे बैठे ही अपनी रणनीति तैयार करके उसपर अमल भी कर लेते थे. रिचर्ड नेविल की बायोग्राफी में चार्ल्स शोभराज कहते हैं, "जब तक मेरे पास लोगों से बात करने का मौका है, तब तक मैं उन्हें बहला-फुसला सकता हूं."
वेश बदलने में माहिर था शोभराज
शोभराज कई भाषाएं बोलने और वेश बदलने में माहिर था. माना जाता है कि 1970 के दशक में उसने 15 से 20 लोगों को मारा. उसके ज्यादातर शिकार एशिया में पश्चिमी पर्यटक थे. थाईलैंड ने छह महिलाओं को ड्रग्स देने और उनकी हत्या करने के आरोप में 70 के दशक के मध्य में शोभराज के खिलाफ वारंट जारी किया था. माना जाता है कि थाईलैंड में उन पर आरोप लगभग तय थे और उन्हें मौत की सजा सुनाई जा सकती थी. इससे बचने के लिए ही वह 1986 में जानबूझकर तिहाड़ से भागे थे ताकि उन पर जेल से फरार होने के लिए अभियोग चलाया जाए. चार्ल्स शोभराज का नाम 20 से अधिक हत्याओं से जुड़ा था. वह पुरुष पीड़ितों के पासपोर्ट का इस्तेमाल अपने अगले सफर के लिए करता था. चार्ल्स की जिंदगी पर वेबसीरीज भी बनाई गई है. फिल्म डॉन का एक मशहूर डायलॉग था, 'डॉन का इंतजार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है'. साल 2015 में आई फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता रणदीप हुड्डा की मानें तो यह डायलॉग सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज की असल जिंदगी से लिया गया है. शोभराज ही थे जो 9 मुल्कों से अधिक की पुलिस की रडार पर थे.
कैसे हुई नेपाल में गिरफ़्तारी
साल 2003 में एक बार फिर चार्ल्स शोभराज नेपाल वापस लौटे और इस बार वो बेख़ौफ़ तरीक़े से आए जबकि पुलिस वहां पर उन्हें गिरफ़्तार कर सकती थी और उन्होंने इस बार प्रेस से भी बात की. लेकिन नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक कसीनो से उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. उनके ख़िलाफ़ नेपाल ने तक़रीबन 28 साल पुराना मामला वापस खोला जिसमें उन पर फ़र्ज़ी पासपोर्ट के ज़रिए यात्रा करने और कनाडा के एक नागरिक और अमेरिका की एक महिला की हत्या का आरोप था.शोभराज ने आरोपों से इनकार किया लेकिन पुलिस ने दावा किया कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं. साल 2004 में उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. शोभराज को 1975 में अमेरिकी पर्यटक कोनी जो ब्रोंज़िच की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. एक दशक बाद शोभराज को ब्रोंज़िच के कनाडाई साथी की हत्या करने का भी दोषी पाया गया. 2008 में जेल में शोभराज ने निहिता बिस्वास से शादी की, जो उससे 44 साल छोटी है और उसके नेपाली वकील की बेटी है.
क्यों रिहा हो रहा है शोभराज
चार्ल्स शोभराज की रिहाई की तस्दीक करने वाला नेपाली सुप्रीम कोर्ट का आदेश देश के उस कानून पर आधारित है जो कहता है कि अगर कैदी ने अपनी सजा की 75 फीसदी अवधि जेल में पूरी कर ली है और कैद में उसका आचरण अच्छा रहा है तो उसे रिहा किया जा सकता है. शोभराज ने अपनी याचिका में दावा किया कि वह नेपाल के वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली 'छूट' के अनुरूप अपनी जेल की सजा पूरी कर चुका है. उसने दावा किया कि वह 20 में से 17 साल की सजा पूरी कर चुका है और अपने 'अच्छे आचरण' के आधार पर उसने रिहाई की सिफारिश की. शोभराज के वकील राम बंधु शर्मा ने कहा, 'वह अपनी 95 फीसदी सजा पहले ही पूरी कर चुका है और उम्र के कारण उसे पहले ही रिहा किया जाना चाहिए. ' उन्होंने कहा कि गुरुवार को शोभराज जेल से रिहा हो सकता है. अगस्त 2003 में शोभराज को काठमांडू के एक कैसिनो में देखे जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. हत्या के आरोप में मुकदमा चलाए जाने के बाद उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.