नई दिल्ली(NEW DELHI):- इलेक्ट्रोल बॉन्ड के संबंध में सारे आंकड़े देने का कठोर निर्देश सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया था. उसके बाद ताबड़तोड़ तैयारी करते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने भारत निर्वाचन आयोग को पूरे आंकड़े ट्रांसफर कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पूर्व 11 मार्च को बहुत ही कड़े शब्दों में टिप्पणी करते हुए कहा था कि स्टेट बैंक इलेक्ट्रोल बॉन्ड के संबंध में डाटा को शेयर करने से परहेज कर रहा है या कुछ अलग तर्क देकर समय बारगेन कर रहा है. मालूम हो की 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एलेक्ट्रोलबोंड को रद्द कर दिया था.
एसबीआई ने एलेक्ट्रोलबोंड बॉन्ड के बारे में क्या तर्क दिया था
अप्रैल 2019 से एलेक्ट्रोलबोंड के संबंधीत कार्य स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को ही दिया गया था. वह इस काम को कर रहा था इस संबंध में आरटीआई के द्वारा जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकती थी . इसलिए कई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई और इस संबंध में पूरी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एलेक्ट्रोलबोंड को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया और इसके नोडल बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को सारी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को 12 मार्च तक उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. इधर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कोर्ट से इसके लिए समय की मांग की थी. स्टेट बैंक ने कहा था कि 30 जून तक वह सारे आंकड़ें यानी डाटा भारत सेवा चुनाव आयोग को उपलब्ध करा देगा क्योंकि आंकड़ों का संकलन करने में समय लगने वाला है.
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का आदेश
एलेक्ट्रोलबोंड के संबंध में सारे आंकड़े उपलब्ध कराने में बैंक के जवाब से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं था.उसे यह तर्क उचित नहीं लगा कि आंकड़ों के संकलन कर उसे निर्वाचन आयोग के पास भेजने में इतना समय लगेगा. इसलिए 11 मार्च को सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि 12 मार्च के कामकाजी समय के अंदर सारे आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए अन्यथा इसे अवमानना माना जाएगा.सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ समेत कुल पांच जज थे. कोर्ट के आदेश के बाद आनन-फानन में स्टेट बैंक ने 12 मार्च की शाम तक एलेक्ट्रोलबोंड से संबंधित सारा डाटा भारत निर्वाचन आयोग को सौंप दिया.
भारत निर्वाचन आयोग को क्या मिला है आदेश
एलेक्ट्रोलबोंड के माध्यम से किन लोगों ने किन राजनीतिक दलों को कितना चंदा मिला है,इसके संबंध में पूरी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग अपने पोर्टल पर सार्वजनिक करेगा. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट का है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि आम जनता को यह जानकारी होने का अधिकार है कि किन लोगों ने किन राजनीतिक दलों को कितना चंदा दिया है.