रांची(RANCHI): झारखंड के संथाल की चर्चा हर ओर हो रही है. संथाल में खासकर साहिबगंज जिले का नाम हर जगह सुर्खियों में है. संथाल का ज़िक्र हो और पहाड़ जंगल ना दिखे ये हो ही नहीं सकता. लेकिन आने वाले दिनों में शायद हमारी पीढ़ी इसे ना देख पाए. क्योंकि जंगल और पहाड़ पर माफिया की नज़र पड़ गयी है. यह कोई नई बात नहीं है यहां कई सालों से पहाड़ कट रहे है, जगंल साफ हो रहे है. दरअसल, जिसपर इसे बचाने की जिम्मेवारी थी वही इस धंधे में शामिल हो गए है, तो बचाएगा कौन? जब पुलिस प्रशासन सभी मिलकर अवैध खनन में सहयोगी बन बैठे है, तो इसे चाने की कल्पना करना भी संभव नहीं लगता है. इस कहानी में हम आपको साहिबगंज में पहाड़ और जंगल के गायब होने की कहानी बताएंगे.
दरअसल, हाल के दिनों में साहिबगंज का नाम चर्चा में इस लिए आया, क्योंकि अवैध खनन पर केंद्रीय ऐजेंसी की नज़र पड़ी. सिर्फ साहिबगंज में एक हज़ार करोड़ से अधिक का अवैध खनन किया गया. जो आंकड़ा ED ने बताया है वह महज 3 वर्षों का है. लेकिन यहां के पहाड़ झारखंड गठन के पूर्व से ही कट रहे है. इसका आंकड़ा निकालेंगे, तब यह सिर्फ एक हज़ार करोड़ नहीं बल्कि उससे हजारों करोड़ ज्यादा के अवैध खनन का मामला सामने आयेगा. जो किसी राज्य के सालाना बजट से कई गुना अधिक है. माफिया बड़े आराम से अपने रसूख के दम पर पहाड़ों को काट दिया करते हैं. जंगल साफ कर दिया और इसकी कमाई राज्य में बड़े ओहदे पर बैठे अधिकारी से लेकर नेता को भी पहुंचाया गया. शायद यही कारण है कि कोई भी अधिकारी की नज़र बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन पर नहीं गई.
मिली जानकारी के अनुसार झारखंड गठन के पूर्व से इस इलाके में माफिया सक्रिय है. समय-समय पर रसूख का इस्तेमाल कर आराम से पत्थर को बाहर भेजते रहे है. यह पत्थर सिर्फ झारखंड से बाहर नहीं बल्कि देश से भी बाहर भेजा जाता है. सरकार किसी की भी रहे यहां अवैध खनन नहीं रुका. हां मुद्दा सभी सरकार का जरूर रहा कि झारखंड की जल जंगल और जमीन की रक्षा करेंगे. झारखंड में सबसे ज्यादा भाजपा ने राज किया उसके बाद अब झामुमो की सरकार आई है. लेकिन किसी ने जंगल काटने और पहाड़ काटने से रोका नहीं.
बता दें कि जितने की अवैध खनन सिर्फ संथाल में हुई है. उतना पैसा से राज्य काफी तरक्की कर सकता था. लेकिन कुछ नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से पैसों का बंदर बाट किया गया. बिना चालान और बिना किसी कागजात से दूसरे जगह पत्थर जाते रहे है. जंगल से बेस कीमती लड़की काट कर बाहर जा रही है और झारखंड के लोग सिर्फ अपने राज्य का सोना बाहर जाते देख रहे हैं. आखिर कर भी क्या सकते है जिसके पास शिकायत लेकर जाएंगे, वह खुद इसमें शामिल है. इसका भी खुलासा ED की कार्रवाई में हुआ है.
अब जब ED की कार्रवाई का जिक्र कर रहे है, तो इसमें थोड़ा आगे बढ़ते है. ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि को गिरफ्तार किया है. फिलहाल वो तीन महीने से जेल में बंद हैं. पंकज मिश्रा पर सिर्फ अकेले एक हजार करोड़ के अवैध खनन का आरोप लगा है. पंकज मिश्रा गंगा नदी में जहाज का संचालन भी करता था. इसके द्वारा ट्रक से पत्थर को बांग्लादेश भेजा जाता था. मज़े की बात यह है कि इस जहाज की ना कोई परमिट थी और ना ही जो पत्थर जा रहा था उसका कोई ब्योरा. फिर भी बड़े आराम से जहाज का संचालन होता था. ऐसा भी नहीं है कि वहां कोई पुलिस चौकी या थाना नहीं है. सभी की मिलीभगत से यह काम जोर शोर से किया जा रहा था.
इसमें साहिबगंज जिले से लेकर राज्य में उच्च पद पर बैठे अधिकारी को पैसा पहुंचाया जाता था. इसका भी खुलासा ईडी ने किया है. खान सचिव पूजा सिंघल आय से अधिक संपत्ति मामले में ही जेल गई है. अब आईएएस के पास आकूत संपत्ति का ब्यौरा मिला है तो यह कोई खून पशीने से कमाई हुई राशि तो होगी नहीं. जो पत्थर जा रहे थे उसका ही कमीशन मिला होगा. इसके अलावा साहिबगंज के DSP और SP भी ED की रडार पर हैं. ED भी यह जानना चाह रही है कि जिलें में और कौन-कौन से लोग हैं, जो इस गोरख धन्धे में शामिल है. खैर, अगर ईडी की जांच राजनीति से प्रेरित नहीं होती है तो सारे सच जल्द ही सामने आ सकते हैं.