बक्सर(BUXAR): बिहार में शिक्षा मंत्री को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसको लेकर अब महागठबंधन के अंदर भी सबकुछ पटरी से उतरता हुआ नजर आ रहा है. जहां भाजपा इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को लगातार घेर रही है तो वहीं जेडीयू भी इसको लेकर सवाल उठा रही है. इसके बाद अब खुद एक बार फिर से सीएम नीतीश का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि रामचरितमानस को लेकर दिए बयान पर नीतीश कुमार ने कहा कि ये सारी बातें बहुत गलत है. ऐसा नही होना चाहिए. ऐसे विवादों पे बहस नही करनी चाहिए. इस पर हम कुछ कहने नही गए. बस इतना कहा कि ये बेहद गलत बात है. बाकी उनकी पार्टी जाने क्या करना है.
कांग्रेस भी जता चुकी है विरोध
वहीं जेडीयू के सतह ही महागठबंधन में शामिल कांग्रेस भी शिक्षा मंत्री के बयान का विरोध कर रही है. करगहर के कांग्रेस के विधायक संतोष कुमार मिश्रा ने शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर से माफी मांगने का आग्रह किया है और कहा है कि रामचरित मानस उन जैसे लोगों के लिए कानून की किताब की तरह है. उन्होंने रामचरित मानस पर शिक्षा मंत्री के बयान की निंदा की और कहा की शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर को इस मामले में अपनी बात वापस लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांग लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनका व्यक्तिगत बयान नहीं है, उनके पार्टी का भी यही स्टैंड है. वे शिक्षा मंत्री के बयान से सहमत नहीं है, और उस पर पूरी तरह से खुलकर असहमति व्यक्त करते हैं. उन्होंने करगहर में कहा कि जिस कालखंड में गोस्वामी तुलसीदास ने इस पवित्र धर्म-ग्रंथ की रचना की उस कालखंड का संदर्भ क्या था? सामाजिक परिवेश कैसी थी ? जिसको देखते हुए रामचरित मानस की रचना की गई थी. उस परिस्थिति और संदर्भ को भी उन्हें देखना चाहिए. उन्होंने मंत्री के बयान से पूरी तरह से असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनका तथा उनके पार्टी का स्टैंड है. मंत्री से आग्रह है कि वह इस मामले में अपनी बात वापस लेकर माफी मांग लें.
बिहार के शिक्षा मंत्री का क्या था बयान?
बिहार के शिक्षा मंत्री ने विवादित बयान दिया था. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि रामायण पर आधारित एक महाकाव्य हिंदू धर्म पुस्तक रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाती है. उनके इस दावे के बाद विवाद खड़ा हो गया. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया. उन्होंने कहा,"मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि इसमें एक बड़े तबके के खिलाफ कई गालियां दी गई थीं. रामचरितमानस का विरोध क्यों किया गया और किस भाग का विरोध किया गया? निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी और रामचरितमानस में कहा गया है कि निम्न जाति के लोग शिक्षा प्राप्त करने से वैसे ही जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पीने के बाद सांप हो जाते हैं.