टीएनपी डेस्क(TNP DESK): सोमवार को संसद का सत्र हंगामेदार रहा. राज्यसभा से पूरे विपक्ष ने वॉक आउट कर दिया. दरअसल, अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सेना के बीच एलएसी पर हाल ही में हुई झड़पों पर विपक्ष बहस चाहता था. मगर, उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया, जिसके बाद सभी विपक्षी पार्टियों ने सदन से वॉक आउट कर दिया.
सदन से वॉक आउट करने वालों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), राष्ट्रीय लोक दल (RLD), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक, समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना और केरल कांग्रेस शामिल थे. सभी दलों ने उच्च सदन से तब वॉक आउट किया जब उच्च सदन में शून्यकाल चल रहा था.
मलिकार्जुन खड़गे ने की मांग
विपक्ष के नेता (एलओपी) मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर बहस की मांग करते हुए कहा कि देश से बड़ा कुछ भी नहीं है और 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सेना के बीच एलएसी पर संघर्ष पर विस्तृत बहस की मांग की. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "वे (चीन) हमारी जमीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं. अगर हम इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करते हैं तो हमें और क्या चर्चा करनी चाहिए? हम सदन में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं."
खड़गे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के पास भारत-चीन सीमा स्थिति के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कई सांसदों द्वारा प्रस्तुत स्थगन नोटिस को स्वीकार करने के नियमों पर अवशिष्ट शक्तियां हैं. हालांकि, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी सांसदों से इसे कक्षा में परिवर्तित नहीं करने के लिए कहा और विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया.
राज्यसभा सभापति ने क्या कहा
धनखड़ ने कहा कि वह उन नोटिसों पर ध्यान नहीं दे सकते हैं जो नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं और सदन में कार्यवाही के "100 मिनट से अधिक व्यवधान" के लिए राज्यसभा के सांसदों को फटकार लगाई. हंगामे के बीच विपक्ष के सदन से वॉक आउट के बाद सभापति ने शून्यकाल जारी रखा.
विपक्षी नेताओं ने क्या कहा
विपक्षी सांसदों ने जल्द ही सदन के बाहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और भारत-चीन सीमा मुद्दे पर चर्चा करने से दूर भागने के लिए सरकार पर हमला किया.
राजद नेता मनोज झा ने कहा कि एलएसी पर बंकर और अर्ध-स्थायी संरचनाएं बनाई जा रही हैं. झा ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "हमें भारतीय सेना की क्षमता पर संदेह नहीं है, लेकिन आपकी (सरकार) कूटनीति पूरी तरह विफल है." आप नेता संजय सिंह ने सवाल पूछा कि "मोदी जी की सरकार भारत-चीन सीमा संघर्ष मुद्दे पर चर्चा करने से क्यों भाग रही है. आप (सरकार) चीन को व्यापार क्यों दे रहे हैं? भारतीय सेना ने अपने कई सैनिकों की कुर्बानी दी है और मोदी सरकार चीनी कंपनियों को टेंडर दे रही है."
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "हम ये सवाल सेना से नहीं बल्कि सरकार से पूछ रहे हैं... हम सभी जवानों के साथ खड़े हैं लेकिन सरकार को चर्चा करनी चाहिए और भारत-चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति से अवगत कराना चाहिए.”
9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई थी झड़प
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय तक सीमा गतिरोध के बाद 9 दिसंबर को संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी के साथ यांग्त्से के पास झड़प हुई थी. भारतीय सेना ने कहा था, "9 दिसंबर को, पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी से संपर्क किया, जिसका अपने (भारतीय) सैनिकों ने दृढ़ता और दृढ़ तरीके से मुकाबला किया. इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं. "दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट गए. घटना के अनुवर्ती के रूप में, क्षेत्र में अपने (भारतीय) कमांडर ने शांति और शांति बहाल करने के लिए संरचित तंत्र के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की.”