TNP DESK- भारत जोड़े यात्रा के बाद राहुल गांधी लगातार समाज के विभिन्न तबकों से मुलाकात कर राजनीति के नब्ज को टटोलने की कोशिश कर रहे हैं. जहां वह एक तरफ दुनिया के चुनिंदा विश्वविद्यालयों में छात्रों के प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं, आने वाली वैश्विक चुनौतियों पर अपना रुख साफ कर रहे हैं, और इसके साथ ही बदले वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका और चुनौतियों को सामने रख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके प्रकारांतर वह हाशिये पर खड़े समुदायों की पीड़ा और वंचना को समझने की कोशिश भी कर रहे हैं. राहुल कभी आम कुल्लियों की तरह लोगों बोरिया -बिस्तर ढोते नजर नजर आते हैं, तो कभी मोटर मेकेनिक के साथ पंचर बनाते हैं. तो कभी किसी ट्रक ड्राईवर के साथ ट्रक चलाते.
दरअसल राहुल गांधी की यह पूरी कवायद उस भारत को समझने की है, जिसकी तस्वीर अखबारों में नहीं मिलती, जिसकी पीड़ा और बेबसी का इजहार रुपहले पर्दे पर नहीं होता, चौबीस घंटे बिग ब्रेकिंग चलाने वाले टीवी मीडिया के एंकरों को इस तस्वीर मात्र से मिचली होती है.
बीमार पिता के लिए दवाईयों की फिक्र
लेकिन राहुल गांधी इस हाशिये की आबादी के सहारे ही भारत की तस्वीर को बदलना चाहते हैं, गढ़ना चाहते हैं, और यही कारण कि वह कई बार इस बात को साफ कर चुके हैं कि उनकी प्राथमिकताएं अलग है, उनकी चुनौतियां अलग है, उनका अडाणी अंबानी की सरकार बनाने में विश्वास नहीं है, उनका सपना भारत की उस आबादी को अपने साथ साधने की है, जिन्हे दिन भर की जी तोड़ मेहनत के बाद शाम को अपने बच्चों के लिए रोटी की तलाश रहती है, बीमार पिता के लिए दवाईयां ले जाने का फिक्र होता है. और अफसोस उनका पसीना उनके लिए रोटी और दवाई की व्यवस्था नहीं कर पाता. उनका खून उनके बच्चों के लिए स्कूली फीस की व्यवस्था नहीं कर पाता. समाज का वह हिस्सा जो बदलते भारत के इस शोर के बीच अपने आप को हांफता हुआ महसूस करता है.
कीर्तिनगर स्थित फर्नीचर मार्केट पहुंचे राहुल गांधी
कुछ इसी तरह की एक और तस्वीर को राहुल गांधी ने आज अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर किया है. बताया जाता है कि यह तस्वीर दिल्ली के कीर्तिनगर स्थित फर्नीचर मार्केट की है. इस तस्वीर को साक्षा करते हुए उन्होंने लिखा कि ‘दिल्ली के कीर्तिनगर स्थित एशिया के सबसे बड़े फर्नीचर मार्केट जाकर आज बढ़ई भाइयों से मुलाकात की. ये मेहनती होने के साथ ही कमाल के कलाकार भी हैं - मज़बूती और खुबसूरती तराशने में माहिर! काफ़ी बातें हुई, थोड़ा उनके हुनर को जाना और थोड़ा सीखने की कोशिश की.