टीएनपी डेस्क(TNP DESK): संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में स्थित पाकिस्तानी दूतावास बिकने जा रहा है. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस कदर खराब है कि वह अमेरिका में अपने दूतावास को 60 लाख डॉलर में बेचने जा रहा है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति शाहबाज शरीफ ने पिछले महीने ही दूतावास बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके लिए बोली लगाई जा रही है. यहूदी ग्रुप ने सबसे अधिक बोली लगाई है. दूसरे नंबर पर भारत का एक रियल्टर है. पाकिस्तानी सूत्रों के अनुसार यहूदी ग्रुप ने 68 लाख डॉलर की बोली लगाई है. पाकिस्तान में इस विषय को लेकर सरकार की खिंचाई हो रही है. लेकिन सरकार मजबूर होकर इसे भेजने का मन बना चुकी है. इससे पाकिस्तान की माली हालत का अंदाजा हो गया होगा. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में इसको लेकर चर्चा तेज है.
चरमपंथियों कि हिंसा का शिकार पाकिस्तान
वहीं पाकिस्तान इन दिनों चरमपंथियों की हिंसा का लगातार शिकार हो रहा है. बीते दिनों इस्लामाबाद में हुए आत्मघाती हमले में पाक से को बेहद नुकसान हुआ वहीं पिछले अगस्त 21 से अब तक 400 बार से अधिक चरमपंथियों ने सेना और सरकार पर निशाना लगा चुके है. ऐसा लग रहा है जैसे बारूद के ढेर पर बैठा पाकिस्तान अपनी ही चिंगारी से सुलग रहा है. बीते दिनों चरमपंथी अपने आतंकवादी रवैये से जिस प्रकार पाकिस्तान सरकार की नाक में दम कर दिए हैं उसे देखकर कहीं न कहीं विश्व को ये चिंता सता रही है कि कहीं पाकिस्तान का हश्र भी अफगानिस्तान की तरह न हो जाए बता दें पाकिस्तान में फिर से चरमपंथ के साये मंडराने लगे हैं, कुछ दिन पहले पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुए आत्मघाती हमले के बाद ये संकेत मिलता है कि चरमपंथी तत्व एक बार फिर सुनियोजित कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए लामबंद हो रहे हैं. इस्लामाबाद में होने वाले आत्मघाती धमाके के बाद प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने न केवल इस हमले की ज़िम्मेदारी ली, बल्कि देश के अशांत सूबे बलूचिस्तान के मकरान क्षेत्र से एक चरमपंथी गिरोह के टीटीपी में शामिल होने का भी एलान किया. इन सबके बीच पाकिस्तान कि आर्थिक हालत बदतर होती जा रही.
इस इमारत में था पाक का डिफेंस सेक्टर
बता दें मौजूदा आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान को अपनी इस संपत्ति के लिए तीन बोलियां मिली हैं. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार जिस इमारत में कभी पाकिस्तान के दूतावास का डिफेंस सेक्शन स्थित था, उसके लिए एक यहूदी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई है. अपनी अस्थिर राजनीति के साथ पाकिस्तान पर चौतरफा मार पड़ रहा है. एक ओर बलूच विद्रोह अपनी स्वतन्त्रता को लेकर लगातार हिंसक प्रदर्शन के बीच पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है तो वहीं टीटीपी ने भी पाकिस्तान में अपनी आतंकवादी गतिविधियां बढ़ा दी है. पाकिस्तान के बजट का बड़ा हिस्सा रक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जा रहा है. बावजूद इसके अपने आतंकवाद कि उपज का खामियाजा पाक को इस तरह से भुगतना पड़ रहा कि अपनी ही लगाई चिंगारी में आज सुलगने को पाक मजबूर हो गया है. चार केंद्रों के साथ सरकार चलानेवाले पाक की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है. इमरान सरकार के दौरान ऐसा लग रहा था कि इस ओर कई कदम उठाए जाएंगे लेकिन पाकिस्तान कि राजनीति में फंसकर आर्थिक योजनाओं ने दम तोड़ दिया. बहरहाल पड़ोसी देश कि हालत अब ऐसी हो गई है कि अपने विदेश में बसाये गए दूतावास को बेचने के लिए पाक मजबूर हो गया है. बता दें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में अमेरिका में स्थित अपने दूतावास की इमारत को बेचने की मंजूरी दी थी. इसे खरीदने के लिए बोली लगना शुरू हो गया है. मजेदार बात यह है कि इस इमारत के लिए अब तक तीन बोलियां आईं हैं. इनमें सबसे ऊंची बोली एक यहूदी समूह ने लगाई है. वहीं, दूसरी सबसे ऊंची बोली एक भारतीय रिएल्टर की तरफ से है. यह इमारत अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन के पॉश इलाके में है और इसकी कीमत करीब 60 लाख अमेरिकी डॉलर बताई गई है.
बोली लगाने वाले में एक भारतीय भी शामिल
मौजूदा आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान को अपनी इस संपत्ति के लिए तीन बोलियां मिली हैं. पाकिस्तानी अखबार से खबर है कि जिस इमारत में कभी पाकिस्तान के दूतावास का डिफेंस सेक्शन स्थित था, उसके लिए एक यहूदी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई है. पाकिस्तानी राजनयिक सूत्रों ने बताया कि लगभग 6.8 मिलियन डॉलर (56.33 करोड़ रुपये) की उच्चतम बोली यहूदी समूह ने लगाई है. यह समूह इस इमारत में एक सिनेगॉग (प्रार्थना स्थल) बनाना चाहता है. वहीं सूत्रों के अनुसार, एक भारतीय रियल एस्टेट एजेंट ने भी लगभग पांच मिलियन अमेरिकी डॉलर (41.38 करोड़ रुपये) की दूसरी बोली लगाई, जबकि एक पाकिस्तानी रियल एस्टेट एजेंट ने लगभग चार मिलियन अमेरिकी डॉलर (33.18 करोड़ रुयये) की तीसरी बोली लगाई. इस इमारत में 1950 से 2000 दशक के प्रारंभ तक पाक दूतावास का डिफेंस सेक्शन काम करता था. हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस बात को मानने से स्पष्ट इनकार किया है. उन्होंने बताया कि न तो नए और न ही पुराने दूतावास बेचे जा रहे हैं.