टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-इजरायल और हमास की जंग को बीस दिन से ज्यादा गुजर गये, गाजा पट्टी राख में तब्दील होती जा रही है . दोनों और से अभी तक आठ हजार से अधिक लोग अपने जान गंवा चुके हैं. पूरी दुनिया की निगाहे अभी गाजा पर ही टिकी हुई है. इस युद्द को रोकने की भी आवाजे उठ रही है . हालांकि, इजरायल बंधकों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशंस जारी रखे हुए है. इधर, संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन की ओर से एक मसौदा पेश किया गया. जिसमे संघर्ष विराम का आङ्वाहन किया गया था. लेकिन, भारत ने इस मतदान में भाग ही नहीं लिया . भारत का वोटिंग में शामिल नहीं होने के फैसले पर विपक्ष नेताओं ने जमकर भारत सरकार की क्लास लगाई है.और विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसे लेकर चिंता जताई. इसे लेकर उन्होंने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए महात्मा गांधी के एक कथन को पोस्ट किया, जिसमे राष्ट्रपति ने कहा था कि आंख के बदले आंख का सिद्धांत पूरी दुनिया को अंधा कर देगा . प्रियंका ने कहा कि वे स्तब्ध और शर्मिंदा है कि हमारे देश में गाजा में युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र में होने वाले वोटिंग में हिस्सा लेने से परहेज किया .
शरद पवार और औवेसी ने भी जताई नाराजगी
सियासत के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार ने भी हमास-इजरायल की लड़ाई में भारत के रुख पर चिंता जताई . एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केन्द्र सरकार इस समय भ्रम की स्थिति में है. भारत की नीति शुरु से ही फीलिस्तीन के समर्थन की रही है.न की इजरायल की रही है. इधर, हमास-इजरायल की जंग में एमआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पहले से ही मुखर रहे हैं और केन्द्र सरकार की आलोचना की है. एकबार फिर उन्होंने कहा कि यूएन में भारत सरकार का वोटिंग में भाग नहीं लेना एक चौकाने वाला कदम है. उनका कहना था कि ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि मानवीय मुद्दा है. लिहाजा, इस नजरीए से इस पर देखने की जरुरत है.
45 देश मतदान प्रक्रिया से बाहर
संयुक्त राष्ट्र सभा में जार्डन की ओर से पेश प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट और विरोध में केवल 14 वोट पड़े. वहीं, भारत, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन समेत 45 देशों ने इस मतदान प्रक्रिया से खुद को बाहर रखा है. मालूम हो कि इजरायल लगातार हमास के खिलाफ खतरनाक रुख अख्तियार किए हुए हैं. अमेरिका इजरायल को सपोर्ट कर रहा है. जंग के 22 दिन होने के बाद भी ये रुकने का नाम नहीं ले रहा है. गाजा की में इतने बम और रॉकेट दागे गये हैं कि अगले एक साल तक वहां जिंदगी का फिर से बसना मुश्किल है.