रांची(RANCHI): झारखंड समेत आसपास के राज्यों में नक्सली संगठनों की कमर टूट रही है. यूं समझें कि नक्सली अब अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार के समेकित प्रयास से चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन का फलाफल पिछले एक दशक से देखा जा रहा है. इस ऑपरेशन का दायरा धीरे धीरे बढ़ता चला गया और नक्सली संगठन सिमटते पर चले गए हैं. मारे जाने के डर से बहुत सारे नक्सलियों ने राज्य सरकारों की पुनर्वास नीति का लाभ लेते हुए आत्मसमर्पण किया है. कुख्यात नक्सली संगठन के ऐसे कई बड़े नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है जिनके नामों पर सरकार ने इनाम रखे थे.
शुक्रवार को कुख्यात माओवादी रीजनल कमांडर 15 लाख रुपए का इनामी मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन महतो सरेंडर करने का मन बना लिया है. उसने पुलिस से संपर्क कर अपनी मंशा जाहिर की तो क्षेत्रीय पुलिस महा निरीक्षक कार्यालय डोरंडा में यह सरेंडर कार्यक्रम होगा जिसमें सरकार की ओर से प्रदत्त सुविधाएं दी जाएंगी. जानकारी के अनुसार पुलिस पर हमला समेत 2 दर्जन से अधिक मामलों में मिथिलेश सिंह वांछित रहा है. डीजीपी नीरज सिन्हा मानते हैं कि एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता और सरकार की पुनर्वास नीति दोनों ने इस दिशा में अच्छा काम किया है.