पटना(PATNA): महागठबंधन में शामिल दलों के द्वारा कैबिनेट विस्तार की मांग के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और हम संस्थापक जीतनराम मांझी के द्वारा गरीब सम्पर्क यात्रा की शुरुआत की गई है. इसके पहले ही बिहार में दो राजनीतिक यात्राएं चल रही है, एक है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा और दूसरी है पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जनसुराज यात्रा.
कौवाकोल प्रखंड स्थित जेपी आश्रम से जेपी और बाबासाहेब भीमराम अम्बेडर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर इस यात्रा की शुरुआत करते हुए जीतनराम मांझी ने इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा.
नीतीश का विकास गरीबों तक नहीं पहुंच रहा
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास तो हो रहा है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि विकास गरीबों तक पहुंच नहीं पा रहा. आज भी गरीबों को हकमारी का सामना करना पड़ रहा है, आज भी वे उपेक्षित हैं, अधिकारियों तक उनकी आवाज नहीं पहुंच रही, अधिकारियों को भ्रष्ट्राचार की लत लग गयी है.
शराबबंदी की नीति में संशोधन की मांग
शराबबंदी को गरीब विरोधी बताते हुए जीतन राम मांझी ने इसमें संशोधन की मांग की. यहां बता दें कि इसके पहले भी उनके द्वारा शराबबंदी को गरीब-गुरबा विरोधी बताया जा चुका है, उनके द्वारा शराबबंदी की नीति की समीक्षा की मांग की गयी थी. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की समीक्षा करनी चाहिए कि शराबबंदी के कारण किस समुदाय के लोग सबसे ज्यादा जेलों में बंद है. समाज के किस तबके पर यह कहर बन कर टूटा है. उन्होंने यह भी कहा था कि कोई अपने घर में धूंट पीता है तो यह अपराध तो नहीं हो जाता.
विकास गरीबों तक पहुंचा ही नहीं तो फिर किसका विकास कर रहे थें नीतीश कुमार
नीतीश कुमार के विकास के दावों पर सवाल उठाने के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिरकार जीतनराम मांझी इस गरीब सम्पर्क यात्रा से हासिल क्या करना चाहते हैं, उनकी रणनीति क्या है? वह इस बात से इंकार नहीं कर रहे हैं कि नीतीश कुमार के शासन काल में बिहार में विकास हुआ है, लेकिन सगे हाथ यह भी दावा कर रहे हैं कि यह कथित विकास गरीबों तक नहीं पहुंचा. जब विकास गरीबों तक पहुंचा ही नहीं तो वह कैसा विकास था? नीतीश कुमार ने इतनों दिनों तक विकास की नीतियों का निर्माण किसके लिया किया?
क्या है जीतनराम मांझी की मंशा
प्रश्न यही खड़ा हो जाता है कि कहीं ना कहीं उनके मन में कोई प्लानिंग चल रही है. नहीं तो इतने साफ अल्फाज में वह नीतीश कुमार के विकास पर सवालिया निशान नहीं लगाते, कथित सुशासन के अधिकारों को भ्रष्ट नहीं बताते. शराबबंदी की नीति पर सवाल खड़ा कर एक समाज विशेष को अपने साथ जोड़ने की रणनीति नहीं बनाते.
कैबिनेट के संभावित विस्तार में समधन ज्योति देवी को मंत्री पद की आस
माना जाता है कि दूसरे दलों की तरह ही जीतनराम मांझी भी बिहार कैबिनेट के संभावित विस्तार का इंतजार कर रहे हैं, उनके द्वारा पहले ही दबे जुबान एक और कैबिनेट बर्थ की मांग की गई है, संभव हो इस बार उनकी मंशा अपनी समधन ज्योति देवी को मंत्री बनाने की हो, यह तेवर बस सीएम नीतीश तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार