टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-सियासत की बिसात पर नीतीश कुमार कौन सी चाल चलेंगे और किसको घायल कर देंगे . ये तो अच्छे-अच्छों को मालूम नहीं पड़ता है. हमेशा मुस्कराने वाले नीतीश कुछ न कुछ खिचड़ी पकाते रहते हैं और अपने सियासी तीर से किसी न किसी को निशाना बनाते ही रहते हैं. राजनीति में पलटी मारना उनसे बेहतर तो कोई नहीं जानता है. अगर बिहार के सुशासन बाबू के इतिहास को झांके तो कब किस और ठौर-ठीकाना बना ले और कब वहां से बोरिया-बिस्तर बांध ले, ये वही जानते हैं और कोई नहीं जानता है.
क्या खिचड़ी पका रहें हैं नीतीश ?
बिहार में आरजेडी के शासन के बाद जेडीयू के मुखिया नीतीश ही मुख्यमंत्री बने रहें, कुछ वक्त के लिए जीतन राम मांझी को बनाया था. लेकिन, फिर किनारे करके नीतीश ही सीएम बने और आज तक वही बिहार की सल्तनत पर काबिज है. बेशक बीजेपी के साथ मिलकर बनें हो या आरजेडी के साथ . अभी राष्ट्रीय जनता दल के साथ नीतीश सरकार बनाए हुए हैं. उनके मन में प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश तो काफी पहले से ही पल रही है. लेकिन, इसकी इच्छा का न तो इजाहार करते हैं और न ही बीजेपी विरोधी गठबंधन में इनकी दाल गलती है. अभी रह-रहकर खबरे फिंजा में तैर रही है कि फिर बीजेपी को डोरे नीतीश डालने लगे हैं.
पोस्टर से गायब तेजस्वी
राजधानी पटना के गांधी मैदान में नीतीश कुमार ने एक लाख बीस हजार नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा. इसका श्रेय लेने की होड़ ऐसी मची थी कि आरजेडी और जेडीयू में अंदर ही अंदर खुन्नस दिखाई पड़ रही थी. मजेदार बात तो ये दिखी कि, इस समारोह में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहीं पोस्टर ही नहीं लगा था. इसे लेकर भी तमाम तरह की कयासबाजियां और सवाल उठने लगे. आखिर तेजस्वी का फोटो क्यों नहीं लगायी गई. क्या नीतीश कुमार फिर पलटी मारने के फिराक में है. क्या उनकी कोशिश फिर बीजेपी को खुश करने की की है. क्या आरजेडी और जेडीयू में सबकुछ ठीक नहीं है. हालांकि, देखा जाए तो नीतीश कुमार भाकपा के एक कार्यक्रम में इंडिया गधबंधन के मजबूत दल कांग्रेस पर ही निशाना साधकर दरार के संकेत देते दिखाई पड़े. उनका कहना था कि कांग्रेस I.N.D.I.A पर ध्यान नहीं दे रही है. उसका सारा ध्यान पांच विधानसभा चुनाव की तरफ ज्यादा है.
बीजेपी को लुभाने में लगे हैं नीतीश !
राजनीति में तरह-तरह की अटकले लगते रहती है. इसका यही चाल,चरित्र और चेहरा है. जो समय के हिसाब से खुद चलते रहती है. जहां तक बात नीतीश बाबू की है, तो वे बीजेपी को गच्चा देने के साथ-साथ पुचकारते भी रहते हैं. बेशक, भाजपा ने उनके लिए दरवाजे बंद करने का एलान कर दिया हो. लेकिन, राजनीतिक के जानकार तो यहां तक मानते है कि, अगर मौका मिलेगा तो नीतीश फिर भाजपा का दामन पकड़ने से पीछे नहीं हटेंगे. खुद आरजेडी ही नीतीश कुमार से बिफर गई है. राजद के प्रदेश महासचिव जय शंकर यादव तो कहते है कि भाजपा को खुश करने की कवायद में नीतीश कुमार लग गये हैं. इसलिए तो नवनियुक्त शिक्षकों के नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर जारी सरकारी पोस्टर में तेजस्वी यादव का फोटो नहीं लगवाया .
उनके इस बयान को देखे तो कई सियासी मायने निकलकर आ रहे हैं. नीतीश कुमार की चाल और आरजेडी का उनपर वार से तो साफ है कि आने वाले दिनों में फिर सियासत की करवट बिहार में देखने को मिल सकती है. नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव से पहले शायद कुछ बड़ा धमाका करें