टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : बोकारो और लातेहार के जंगल में एक साथ पुलिस और नक्सली के बीच मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में दो नक्सली को मार गिराया तो कई के घायल होने की सूचना है. पहली मुठभेड़ बोकारो के पैंक नारायणपुर में हुई. यहां नक्सलियों की सूचना होने पर पुलिस अभियान में निकली थी इसी बीच जंगल में पुलिस और नक्सली आमने-सामने हो गए. इसके बाद दोनों ओर से गोली चलनी शुरू हुई. इस मुठभेड़ में एरिया कमांडर शांति देवी और नक्सली सदस्य मनोज टुडू ढेर हो गए. बता दें कि शांति देवी इनामी नक्सली रणविजय महतो की पत्नी है. वहीं मुठभेड़ के बाद मौके से दो इंसास, राइफल, एक एके-47, दो मैगजीन समेत अन्य सामान बरामद की गई है. हालांकि नुकसान पुलिस को भी उठाना पड़ा है. दो पुलिस के जवान घायल हैं, लेकिन इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
बात करें लातेहार की तो सेमरखंड गांव में PLFI और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई. यह इलाका लातेहार और लोहरदगा का सीमावर्ती क्षेत्र है. मुठभेड़ में पुलिस की गोली से एक नक्सली के घायल होने की खबर है. फिलहाल दोनों जगह पर सर्च अभियान चलाया जा रहा है. अब तक सर्च अभियान में कई नक्सली समान बरामद किया गया है. इसमें AK-47 और इन्सास राइफल भी शामिल है. पूरे इलाके की घेराबंदी कर सर्च अभियान जारी है. अब संभवत: बोकारो DGP भी पहुंच सकते है और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. बता दें कि 31 मार्च तक नक्सलियों के खात्मे का प्लान तैयार कर कार्रवाई की जा रही है. जिसका परिणाम भी दिखने लगा है.
बता दें कि सबसे पहले बोकारो के पैंक नारायणपुर क्षेत्र में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ सुबह करीब 5 बजे हुई है. एक घंटे से अधिक चली मुठभेड़ में सैकड़ों राउंड गोली चली है. जब पुलिस ने दो हार्डकोर नक्सली को मार गिराया तब नक्सलियों का हौसला टूटा और पीछे हटने लगे. धीरे-धीरे नक्सलियों ने भागना शुरू कर दिया. मुठभेड़ के बाद पूरे जंगल की तलाशी ली जा रही है. सर्च अभियान में बड़ी संख्या में जवान शामिल है. इसके बाद सुबह करीब 6 बजे लातेहार और लोहरदगा के सीमावर्ती इलाके में PLFI के साथ मुठभेड़ शुरू हुई. इसमें भी सुरक्षा बल के जवानों को कामयाबी मिली और एक नक्सली को गोली लगी. पूरे जंगल की घेराबंदी कर सर्च अभियान जारी है.
अगर देखें तो झारखंड पुलिस एक डेड लाइन तय कर चल रही है. दावा है कि 31 मार्च तक नक्सलियों का नाम ओ निशान झारखंड से खत्म कर देंगे. खुद केन्द्रीय गृह मंत्रालय पूरे गतिविधि पर नजर बनाए हुए है. अब जल्द ही झारखंड नक्सल मुक्त होने की संभवाना हैं. DGP की ओर से भी बार बार अपील नक्सलियों से की जा रही है. आत्म समर्पण कर मुख्य धारा से लौट जाए नहीं तो परिणाम अंत ही है.