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बिहार के नागराज नखत ने स्मार्ट खेती से बदली सीमांचल की पहचान, अब ड्रैगन फ्रूट से हो रही लाखों की आमदनी

बिहार के नागराज नखत ने स्मार्ट खेती से बदली सीमांचल की पहचान, अब ड्रैगन फ्रूट से हो रही लाखों की आमदनी

किशनगंज(KISHANGANJ): हमारा देश भारत कृषि प्रधान देश है, जहां अधिकांश ग्रामीण लोग खेती करके ही अपने जीवन का गुजर बसर करते है. आज से कुछ साल पहले खेती को हीन भावना की नजर से देखा जाता था, लोगों का मानना था कि जो लोग खेती करते है, वो काफी दबे कुचले वर्ग से होते है, लेकिन कुछ सालों में जिस तरीके से स्मार्ट खेती का चलन देश में बढ़ा है, उससे देश के कई किसानों ने ऐसे लोगों को करारा जबाब देने का काम किया है, जो सोचते थे कि खेती से बस पेट पाला जा सकता है.बिहार के कुछ किसानों में परंपरागत खेती से आगे बढ़कर तकनीकी का इस्तेमाल कर विदेश में मिलनेवाले ऐसे फलों और सब्जियों की खेती की, जिसकों पहले देश में कोई सोचना भी मुश्किल समझता था.बिहार के किशनगंज जिले के एक ऐसे ही किसान है, जिन्होने समार्ट खेती करके 75 साल के नागराज नखत ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करके ना सिर्फ अपनी तकदीर बदली है, बल्कि कई ऐसे किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, जो खेती में आगे अपनी भविष्य को तलाश रहे है.

75 साल के नागराज नखत ने स्मार्ट खेती से बदली सीमांचल की पहचान

दरअसल किसानी को लेकर हम ढेर सारी बातें करते हैं, बहस करते हैं लेकिन खेत और खलिहान के बीच जूझते किसान को एक अलग रूप में पेश करने के लिए हम अब तक तैयार नहीं हुए हैं. किसानों का कोई ब्रांड एम्बेसडर है या नहीं ये मुझे पता नहीं लेकिन इतना तो पता है कि देश में ऐसे कई किसान होंगे जो अपने बल पर बहुत कुछ अलग कर रहे हैं. स्मार्ट किसान की जब भी बात होती है तब  हमे  ड्रेगन  फ्रूट  की खेती में जुटे किसान की याद आने लगती है. खास कर बिहार के  किशनगंज में जिस तरह से  ड्रेगन फ्रूट की खेती दिख रही है. यदि अन्य किसान अनुसरण करे तो  इस फसल से किसानों की तकदीर  बदल सकती है.वैसे तो विकास के कई पैमानों पर बिहार का पूर्णिया, किशनगंज और सीमांचल का अन्य इलाका देश के दूसरे कई हिस्सों से पीछे हैं लेकिन  नगदी फसल के मामले में इस  इलाके  के किसानों का प्रदर्शन ज़बरदस्त है.अनारस , केला , अमरुद , और  ड्रेगन फ्रूट की  फसल ने जिस तरह से किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है, वह काबिले तारीफ है.अब वक्त आ गया है कि हम किसानी को एक पेशे की तरह पेश करें.

जेपी आदोंलन के बाद खेती में आजमाया हाथ

स्मार्ट खेती की जब भी होती है, तो किशनगंज ठाकुरगंज नगर पंचायत के वार्ड संख्या 1में रहनेवाले 75 साल के नागराज नखत का नाम सबसे पहले आता है.जो इतनी उम्र हो जाने के बाद भी अपने खेत में लगातार सक्रीय है. कोलकत्ता से बी कॉम के बाद से ही इलाके में खेती के जरिये अपनी पहचान बनाने वाले ये सज्जन है नागराज नखत है.कभी जेपी आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नागराज नखत आज इलाके में किसानो के लिए आइकन बन चुके है.बात 1968 की है जब  पठन पाठन कर कोलकत्ता से ठाकुरगंज आये नखत ने परम्परागत कार्य व्यवसाय छोड़ कर खेती करने की ठानी. इस बात पर उनके परिजनों ने भी काफी सहयोग किया और भुसावल से केला की पुली लाकर इलाके में पहली बार सिंगापुरी केले की खेती शुरू की . इस दौरान धीरे धीरे केला की अन्य किस्मे भी उपजाई जाने लगी मालभोग , ( मर्तवान ) जहाजी , रोवेस्टा भेराईटी की खेती कर इलाके में खेती के तरीके को बदल दिया.

नब्बे के शरुआती दशक में किशनगंज के केले को पूरे देश में पहचान दिलाई

 इस दौरान इलाके में पहली बार लाल केला की खेती भी इन्होने ही शुरु की थी.अब तक जुट , धान और गेहू की फसल की खेती करने को मजबूर इलाके के किसानो को नगदी फसल की तरफ आकर्षित कर दिया.स्थति यह हो गई की 1980  के अंतिम दशक और नब्बे के शरुआती दशक में केले की खेती ने ठाकुरगंज को सम्पूर्ण देश में एक अलग पहचान दी. जहां कोलकत्ता जैसे मार्केट में सूबे के अन्य इलाके से जाने वाले केले बिहार के केले के नाम पर जाने जाते थे. वही ठाकुरगंज से जानेवाला केला ठाकुरगंज के नाम पर अलग पहचान रखता था. उस वक्त जिले में ठाकुरगंज , पोठिया , किशनगंज तक केले की खेती होने लगी थी. केले की खेती का रुझान ऐसा चढ़ा की लोग अच्छा खासा कारोबार छोड़ कर केले की खेती में रम गए, लेकिन मौसम की मार से होने लगे नुकसान ने लोगो को इस खेती से विमुख कर दिया.

2014 से विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती पूरी सफलता से कर रहे है

लगभग 10 वर्षो तक खेती बाड़ी छोड़ कर पारिवारिक व्यवसाय में व्यस्त नागराज नखत ने फिर कुछ अलाग करने की ठानी और 2014 में ड्रेगन फ्रूट की खेती शुरू की.शुरुआत में केवल 100 पेड़ से शुरू यह खेती आज 5 एकड़ के  भूभाग में फ़ैल चुका है. राज्य  में पहली बार विदेशी फल ड्रेगन फ्रूट की खेती करके जिले का नाम रोशन करने वाले नगराज नखत ने बताया कि आज के दिन खेती  फसलों की लगातार बढ़ती लागत और कम होती आय इसमें भी मजदूरों की बढ़ती समस्या के कारण  मुनाफे का  धंधा नहीं रहा ऐसे में ड्रेगन फ्रूट की खेती उन्हें अन्य खेती से थोड़ी अलग लगी. आज अपने खेत में 17 हजार ड्रेगन फ्रूट के पोधे के साथ रोज नए तकनीक का इस्तेमाल कर इलाके के किसानो को नया रास्ता दिखा रहे है.यही नहीं इनके बागान में दूर दूर से खेती में दिलचस्पी रखने वाले लोग पहुंचते है जिन्हें इनके द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है. जिसके बाद दर्जनों किसान अब ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाभान्वित हो रहे है. ड्रैगन फ्रूट की खेती को देखने के लिए बिहार के राज्यपाल,पटना हाईकोर्ट के न्यायधीश समेत बिहार सरकार के कई मंत्री भी पहुंच चुके है जो की नागराज नखत की सराहना करते नहीं थकते. हालांकि अभी तक कोई सरकारी मदद इन्हें नहीं मिली है.

Published at:21 Jul 2024 10:50 AM (IST)
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