टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : देशभर में मोहर्रम को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. 3 दिनों तक चलने वाला मोहर्रम पर्व शुक्रवार यानी 29 तारीख से शुरू होगा. इसे लेकर सारी तैयारियां भी की जा चुकी है. इस दिन इमाम हुसैन की शहादत में तजिया निकाली जाती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस दिन को बेहद अहम माना जाता है.
कश्मीर में सजा ताजिया
सभी राज्यों में काफी हर्षोल्लास के साथ मोहर्रम मनाया जाता है. मगर वही पिछले 33 सालों से जम्मू कश्मीर में मोहर्रम जुलूस नहीं निकला है. वहां के लोग पिछले 33 सालों से ऐसे खुलकर नहीं मना पाए हैं. मगर अब तकरीबन तीन दशक बाद जम्मू-कश्मीर में यह मुमकिन होने जा रहा है. वहां भी ताजिया सज चुका है और अब जम्मू कश्मीर के लोग इतने सालों बाद दिल खुलकर मोहर्रम मनाएंगे.
1990 के बाद नहीं मना मोहर्रम
जम्मू कश्मीर में 1990 के बाद पहली बार शिया मुसलमानों का मोहर्रम जुलूस श्रीनगर में निकलेगा. इसमें हजारों और लाखों की संख्या में लोग शामिल होंगे. साल 1990 से आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही मोहर्रम के जुलूस में विराम लग गया था. उस वक्त इस कदर खौफ था कि कोई भी भीड़ सड़कों पर इकट्ठा नहीं होती थी. लोगों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए ये कानून व्यवस्था बनाई गई थी.
धार्मिक गुरु ने मांगी अनुमति
श्रीनगर की लाखों में मोहर्रम के जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगाया गया था. वह इतने सालों बाद जब शिया धार्मिक गुरु ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मोहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति मांगी तो उन्हें इस बात की इजाजत मिल गई. अब इसी इजाजत के साथ मुसलमान अपने इस खास दिन को मना पाएंगे.
इस शर्त पर मिली इजाजत
मोहर्रम के जुलूस में किसी प्रकार की कोई भी दिक्कत पैदा ना हो इसे लेकर प्रशासन ने कुछ शर्ते भी रखी थी. जिसमें साफ तौर पर कहा गया था कि जुलूस के दौरान किसी भी तरह की कोई राष्ट्र विरोधी नारेबाजी नहीं होनी चाहिए और ना ही इस्लामी झंडे के बगैर कोई दूसरा झंडा दिखना चाहिए. इन दोनों फैसलों को स्वीकार करते हुए शिवा बरादरी के लोगों ने हर्ष उल्लास के साथ जुलूस निकाला सबसे अच्छी बात यह रही कि नहीं इस दौरान किसी ने राष्ट्रीय विरोधी नारेबाजी की और ना ही कोई दूसरा झंडा देखने को मिला.