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महालया आज: मां भगवती के आगमन के साथ पितृपक्ष का समापन,जानिए क्या है महालया का इतिहास

महालया आज: मां भगवती के आगमन के साथ पितृपक्ष का समापन,जानिए क्या है महालया का इतिहास

टीएनपी डेस्क(TNP DESK) : महालया का महत्व बंगाली समुदाय में कुछ खास है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग इस दिन का इंतजार करते हैं और महालया के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है.पंचांग के अनुसार पितृपक्ष का समापन महालया अमावस्या पर माना जाता है.पितृपक्ष महत्वपूर्ण दिन माने जाते हैं और बताया जाता है कि इन दिनों में पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है.  पितृपक्ष पूरे 15 दिनों का होता है इसके आखिरी दिन पर अमावस्या पड़ती है.इसी अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं. अन्य शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक वर्ष इसी दिन मां दुर्गा धरती पर आती हैं. महालया से ही पश्चिम बंगाल में 10 दिवसीय वार्षिक दुर्गा पूजा उत्सव का आरंभ हो जाता है. सर्व पितृ अमावस्या  इस वर्ष  आज यानी 2 अक्टूबर 2024 बुधवार को मनाया जा रहा है. महालया अमावस्या पर लोग पवित्र नदी में स्नान करके अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर उनकी विदाई का काम करते हैं पितृपक्ष और महालय अमावस्या पितरों को याद करने का दिन माना जाता है.

पितरों का किया जाता है तर्पण

महालया के दौरान परिवार के बुजुर्ग सदस्य तर्पण का आयोजन करके अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते है.महालया के दिन पितरों को अंतिम विदाई दी जाती है. पितरों को दूध, तील, कुशा, पुष्प और गंध मिश्रित जल से तृप्त किया जाता है. इस दिन पितरों की पसंद का भोजन बनाया जाता है और विभिन्न स्थानों पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके अलावा इसका पहला हिस्सा गाय को, दूसरा देवताओं को, तीसरा हिस्सा कौवे को, चौथा हिस्सा कुत्ते को और पांचवा हिस्सा चीटियों को दिया जाता है.

पूजा केंद्रों पर तैयारी पूरी

शारदीय नवरात्रि को लेकर पूजा केंद्रों पर तैयारी पूरी कर ली गई है. शक्तिपाठ चंडिका स्थान पर बड़ी दुर्गा और अन्य पूजा केंद्रों पर मूर्तिकार प्रतिमा पर जोरशोर से लगे हुए है.रांची के विभिन्न पूजा पंडालो पर तमाम तैयारी और पंडालों को अंतिम रूप दी जा रही है.

बाजारों में रौनक

दुर्गा पूजा को लेकर बाजारों में रौनक लौट आई है.पूजा को लेकर पूजा सामग्री और कपड़ो की खरीदारी शुरू हो गई है.कपड़ो के दुकानों में भीड़ देखने को मिल रही है और खासतौर पर बच्चों में उत्साह देखने को मिल रहा है. हम बता दें कि राजधानी रांची के सभी दुकानों में लोगों की चहलकदमी देखने को मिल रही है.दरअसल दुर्गा पूजा को लेकर लोगों की खरीदारी शुरू हो गई है और यही वजह है कि रांची के सभी दुकानों में भीड़ भाड़ देखने को मिल रहा है. साथ ही साथ सड़कों पर भी लोग नजर आ रहे हैं

3 अक्टूबर को कलश स्थापना

ज्योतिषो के अनुसार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है और इसको लेकर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त  सुबह में 1 घंटा 6 मिनट और दोपहर में 47 मिनट का शुभ मुहूर्त है

महालया का आखिर इतिहास है क्या?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा विष्णु और महेश ने अत्याचारी राक्षस महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया. बता दे कि महिषासुर को वरदान मिला हुआ था कि कोई देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर पाएगा.ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और इस युद्ध में देवता हार गए और देवलोकर पर महिषासुर का राज हो गया. महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदिशक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्या रोशनी निकली जिसे देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया.शास्त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से 9 दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद 10वे दिन उसका वध कर दिया. दरअसल महालया मां दुर्गा की धरती पर आगमन का प्रतीक है.मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और इसको लेकर हर साल दुर्गा पूजा के दिन सभी भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हैं.कहा जाता है इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी. झारखंड की राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में पूजा का माहौल बन गया है.बाजार में भीड़ है.लोगों में उत्साह है.

Published at:02 Oct 2024 11:31 AM (IST)
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