रांची(RANCHI): लोकसभा चुनाव में अब इंडी गठबंधन में भी सीट बटवारे पर तस्वीर धीरे धीरे साफ हो रही है.पहले दुमका और गिरिडीह में उम्मीदवारो की घोषणा हुई.जिसके बाद लंबा मंथन का दौर चला और दूसरी लिस्ट जारी कर दी गई.जिसमें राजमहल और पश्चिम सिंहभूम से झामुमो ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी.दूसरी लिस्ट जारी होने के साथ ही राजमहल सीट पर झामुमो के कद्दावर नेता ने बगावत की घोषणा कर दी.निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया है.इस एलान के साथ ही जेल में बंद हेमन्त सोरेन के साथ पूरे पार्टी नेता टेंशन में आगये है.
दरअसल राजमहल सीट पर झामुमो ने फिर से विजय हासदा पर भरोसा दिखाया है.टिकट का एलान कर दिया.लेकिन एलान के साथ ही बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने इसका विरोध कर दिया है.लोबिन ने अपने ही पार्टी के कैंडिडेट के खिलाफ राजमहल से मैदान में कूदने की घोषणा कर दी है.लोबिन का मानना है कि विजय हासदा सीट को नहीं निकाल सकते है.कई बार इस सीट पर लोबिन अपनी दावेदारी कर रहे थे.अब जब टिकट नहीं दिया गया तो निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है.
हालांकि लोबिन के एलान के बाद पार्टी में अंदर खाने मंथन का दौर भी जारी हो गया है.विधायक लोबिन ऐसे तो कई बार पार्टी के नेताओं के खिलाफ सदन से सड़क तक बुलंद करते दिखे है.लेकिन जब गुरूजी मामले में हस्तक्षेप करते है तो लोबिन का गुस्सा शांत हो जाता है.अब देखना होगा कि क्या लोबिन को मनाने फिर गुरूजी बीच में आएंगे.या फिर बोरियो विधायक इस गंज में अपनी पार्टी के खिलाफ उतर जाएंगे.
अगर लोबिन हेम्ब्रम राजमहल के दंगल में उतरते है,तो विजय हासदा को जीत के लिए थोड़ा ज्यादा मेहनत करना पड़ सकता है.लोबिन के इंट्री से जीत हार का फासला कामी नजदीक का हो सकता है.क्योंकि कुछ वोट लोबिन काटेंगे लेकिन इस बार पार्टी के साथ हेमलाल का हाथ है तो इससे साफ है कि वोट में बढ़ोतरी जरूर होगी.
हेमलाल मुर्मू 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में थे.लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.हेमलाल मुर्मू जब 2004 में JMM के टिकट पर चुनाव लड़े थे तो जीत का सेहरा सज़ा था.बाद में जब JMM का साथ छोड़ा और भाजपा के कमल पर सवार हुए तो जीत हाशिल नहीं हो पाई है.इससे साफ है कि राजमहल में तीर धनुष के चिन्ह पर वोट पड़ता है