देवघर(DEOGHAR): देश के प्रसिद्ध होटल व्यवसायी मोहन सिंह ओबरॉय भी गोड्डा लोकसभा चुनाव लड़ चुके है. ओबेराय ग्रुप ऑफ होटल एंड रिसोर्ट के संस्थापक मोहन सिंह ओबरॉय 1962 के तृतीय लोकसभा चुनाव का हिस्सा बने थे. 1962 में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र स्थापित हुआ और पहली बार हुई इस सीट से उन्होंने झारखंड पार्टी यानी JP के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उस दौरान देश भर में कॉंग्रेस का बोलबाला था तो वह यह चुनाव हार गए.गोड्डा लोकसभा क्षेत्र 1962 में बना था तब 3 लाख 95 हज़ार 448 मतदाता हुआ करते थे,पहली बार गोड्डा लोकसभा अस्तित्व में आया और तब 1 लाख 93 हज़ार 437 मतदाताओं ने अपना मत का प्रयोग किया था.उस दौरान मोहन सिंह ओबरॉय को गोड्डा की जनता ने 58 हज़ार 973 मत उनके पक्ष में दिया था,लेकिन वह 19 हज़ार 585 मत से यह चुनाव हार गए थे.कॉंग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर प्रभुदयाल हिम्मतसिंघका ने उन्हें हराया था.हिम्मतसिंघका को गोड्डा की जनता ने 78 हज़ार 558 मतों का आशीर्वाद देकर पहली बार इस लोकसभा क्षेत्र से जीताकर सांसद बनाया था.फिर हिम्मतसिंघका 1962 से 1971 तक इस क्षेत्र के सांसद रहे।1971 में हुए चुनाव में इन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ऑर्गनाइजेशन (NCO) के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन कॉंग्रेस आई के प्रत्याशी जगदीश मंडल से 48 हज़ार 141 मतों से हार गए.
निशिकांत दुबे लगातार तीन बार से इस क्षेत्र से लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं
बिहार से अलग होने के बाद झारखंड राज्य का यह सीट अब पूरी तरह से भाजपा के कब्जे में है.2000 में जब यह बिहार से अलग हुआ तब इस क्षेत्र के सांसद भाजपा के जगदम्बी प्रसाद यादव हुआ करते थे.2002 में इनका निधन के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने प्रदीप यादव पर भरोसा जताया और जनता ने इन्हें सांसद बनाया.2004 के आमचुनाव में बीजेपी से सीट छीनकर कांग्रेस की झोली में चली गई.गोड्डा की जनता ने कांग्रेस उम्मीदवार फुरकान अंसारी के पक्ष में मतदान कर इन्हें सांसद बनाया,लेकिन 2009 में भागलपुर निवासी निशिकांत दुबे की इंट्री गोड्डा लोकसभा में होती है.तब से लेकर आज तक यानी लगातार तीन बार से इस क्षेत्र से लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
गोड्डा से india का प्रत्याशी कौन,सस्पेंस बरकरार,दिन प्रतिदिन अफवाहों का बाजार गर्म
झारखंड की 14 लोकसभा सीट में से गोड्डा सबसे हॉट सीट माना जा रहा है. वजह है अपने निशिकांत दुबे.जिनके बड़बोलेपन के कारण सभी राजनीति दलों के बीच खलबली पैदा हो जाती है.झारखंड की राजनीति में अहम योगदान रखने वाले सोरेन परिवार हमेशा से इनके निशाने पर बनी रहती है.अभी सोरेन परिवार के राजनीत धरोहर को संभालने वाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल में बंद है फिर भी निशिकांत के नज़रों पर यह परिवार चढ़ा रहता है.2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार चौथी बार गोड्डा सीट से बीजेपी ने निशिकांत को उम्मीदवार बनाया है,हालांकि गोड्डा लोकसभा का मतदान 1 जून को होना है.जहां एक तरफ बीजेपी ने निशिकांत को टिकट दिया है तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.जैसे जैसे मतदान का समय नजदीक आ रहा है वैसे वैसे जनता के बीच तरह तरह की चर्चाएं की जा रही है.कभी अफवाह उड़ता है कि इस संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी मैदान में निशिकांत के विरुद्ध उतरेंगे तो कभी पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव से टक्कर होगी.
देवघर जिला का राजनीतिक माहौल पूरा गर्म है
बाजार में यह भी चर्चायें जोरो पर है कि निशिकांत के विरुद्ध महिला विधायक दीपिका पांडे सिंह को टिकट मिल रहा है,तो दूसरी तरफ एक और नाम की चर्चा पिछले कुछ दिनों से सभी की जुबान पर हो रही है. वह नाम है राज पलिवार का. बीजेपी के टिकट पर कई बार मधुपुर विधानसभा के विधायक राज पलिवार बन चुके हैं.रघुवर सरकार में मंत्री भी बने,लेकिन पिछले 4 साल से पार्टी में पूछ कम होने से ये नाराज़ चल रहे थे,लेकिन इस बार बीजेपी ने इन्हें दुमका लोकसभा का प्रभारी बनाया है. देवघर के बाजार में राज पलिवार की चर्चा खूब हो रही है कि कांग्रेस कोटा से इनको टिकट मिल रहा है,लेकिन अभी यह चर्चा जोरों पर है कि गोड्डा से झामुमो के टिकट पर राज पलिवार चुनाव लड़ेंगे. निशिकांत के विरोध में कौन उम्मीदवार होगा इसको लेकर देवघर जिला का राजनीतिक माहौल पूरा गर्म है.अब देखना होगा की इंडिया की ओर से किसको टिकट मिलता है. नाम घोषणा होने के बाद अटकलों का बाजार शांत होगा फिर लोग फिर जनता किसकी जीत और किसकी हार होगी उसपर चर्चा शुरू कर देंगे.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा