रांची(RANCHI): झारखंड में एक बार फिर राजनीति तपिश बढ़ने वाली है.इस बार कोई विपक्षी नहीं बल्कि झामुमो के ही दिग्गज राज्य में राजनीतिक तूफान लाने की तैयारी में है.ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा संथाल से आने वाले बड़े नेता की जोरो से जारी है.लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद उनके पास एक चुनौती भी है. कही कैरियर ही खत्म ना हो जाये.यही कारण है कि नेता खुल कर कुछ बोलने से परहेज कर रहे है.लेकिन यह निश्चित है कि दिसंबर में उलटफेर देखने को मिल सकता है.
फिलहाल अपनी ही सरकार में विपक्ष की भूमिका में
बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम फिलहाल अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज़ उठा रहे है.कई मौके पर वह मुख्यमंत्री पर भ्र्ष्टाचार का आरोप लगाते दिखते है.फिलहाल तो लोबिन हेम्ब्रम पार्टी में ही एक मजबूत विपक्ष का काम कर रहे है.हर दिन एक आरोप मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर लगा कर सवाल खड़ा कर रहे है.साथ ही इस बीच लोबिन ने एक सामाजिक पार्टी झारखंड बचाओ मोर्चा के गठन कर कई इलाकों में कार्यक्रम आयोजित कर रहे है.लेकिन अब तक लोबिन इसे सिर्फ सामाजिक पार्टी बता रहे है.
लोबिन ने कहा समय आने पर सब साफ हो जाएगा
ऐसी चर्चा है कि लोबिन झारखंड बचाव मोर्चा को ही राजनीति दल में पंजीकृत करा कर 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते दिख सकते है.हालांकि झामुमो छोड़ने की बात से फिलहाल लोबिन इनकार कर रहे है.लेकिन लोबिन की गतिविधियों से साफ है कि वह अलग रास्ता तैयार करने में लगे है. इस मामले में जब The News Post ने लोबिन हेम्ब्रम से बात किया तो उन्होंने बात को घुमा कर जवाब दिया.उनका मानना है कि परिस्थितियों को देख कर फैसला लेंगे.उनका कहना है कि झारखंड बचाव मोर्चा सिर्फ सामाजिक संगठन है.
लोबिन के इसी जवाब में तमाम सवालों का भी जवाब है.लोबिन भले ही अभी पार्टी छोड़ने के मूड में नहीं है.लेकिन इससे मना भी नहीं किया कि आगे भी पार्टी में बने रहेंगे.परिस्थिति देख कर निर्णय लेने की बात कर रहे है.ऐसे में साफ है कि झामुमो को लोबिन अलविदा कहने वाले है.लेकिन अभी कुछ भी बोलने से बच रहे है.
लोबिन जल्द बाजी करने के मूड में नहीं
लेकिन लोबिन के पार्टी छोड़ने से झामुमो को तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा.लेकिन लोबिन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.चुकी इससे पहले संथाल की राजनीति के कद्दावर नेता हेमलाल मुर्मू और साइमन मरांडी का झामुमो को अलविदा कहने के बाद क्या हुआ है यह किसी से छुपा नहीं है.संथाल में सिर्फ एक नाम चलता है जो वह है गुरूजी.गुरुजी के नाम पर ही कई लोगों की राजनीति चमकी है.लेकिन जैसे ही गुरूजी का साथ छोड़ा तो उनका राजनीति कैरियर खत्म सा हो गया.बाद में वापस झामुमो लौट गए लेकिन तबतक देर हो चुकी थी.कही ऐसा ही हाल लोबिन हेम्ब्रम का भी ना हो जाये.यही कारण है कि लोबिन जल्द बाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहते है.