पटना(PATNA)- 23 जून को विपक्षी नेताओं की महाबैठक के ठीक पहले राजद प्रमुख लालू यादव का रात के अंधेरे में नीतीश कुमार की मुलाकात ने बिहार में सियासी कयासों का बाजार गर्म कर दिया है. इस मुलाकात को सियासी चश्में से देखने की हड़बड़ी में कहा जाने लगा कि विपक्षी दलों की महाबैठक के पहले नीतीश कुमार का मन डोल रहा है, और किसी भी समय वह यूपीए खेमें को एक बार फिर से अलविदा कर सकते हैं.
इस दावे का कोई आधार नहीं
हालांकि इस बात का कोई आधार नहीं था, इसे महज एक प्रोपगेंडा को तौर पर प्रचारित-प्रसारित किया जाने लगा. इसके संबंधित कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिये गयें, कहा गया कि नीतीश कुमार की तबीयत यों ही अचानक खराब होती है, यह तो महज चेन्नई में आयोजित सीएम स्टालिन के कार्यक्रम में शामिल होने से बचने का एक बहाना था, साफ है कि उनकी बीमारी के भी सियासी निकाले जाने लगें, खास कर इस खबर से भाजपा समर्थकों में काफी उत्साह देखा गया.
सच्चाई इसके विपरीत थी
लेकिन सच्चाई इसके विपरीत थी. सीएम नीतीश की तबीयत कई दिनों से खराब है. उन्हे कमर में दर्द की शिकायत थी, जिसके कारण अंतिम समय पर उन्होंने चेन्नई कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय लिया, हालांकि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के हाथों अपना खास आमंत्रण पत्र पर स्टालिन के नाम भेजा, जिसे वहां कार्यक्रम स्थल पर खुद तेजस्वी यादव ने सार्वजनिक रुप से पढ़ा, आमंत्रण पत्र मिलते ही सीएम स्टालिन ने विपक्षी एकता की इस महाबैठक में शामिल होने का आश्वासन भी दे दिया.
क्या थी सच्चाई
लेकिन जहां तक बात रात के घूम अंधेरे में लालू नीतीश मुलाकात को लेकर सियासी दावों का था, उसकी सच्चाई मात्र इतनी थी कि नीतीश कुमार की तबीयत खराब होने की खबर सुनते ही खुद अस्वस्थ चल रहे लालू यादव सीएम नीतीश कुमार से मिलने से अपने आप को नहीं रोक सकें. और बिना समय गंवाये वह सीएम आवास पहुंच गये. इस दौरान कथित रुप से दोनों के बीच विपक्षी दलों की महाबैठक की तैयारियों को लेकर चर्चा भी हुई. उसकी रणनीतियों की समीक्षा की गयी. साफ है कि सियासत की इन दोनों महारथियों की मुलाकात से हर बार चर्चा का दौर शुरु हो जाता है, और अपने अपने हिसाब से इसका आकलन भी किया जाता है, इस बार भी ऐसा ही हुआ.