टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-डॉक्टर-इंजीनियर बनने का ख्वाब से लेकर कोटा शहर पहुंचने वाले लाखों बच्चे यहां अपनी तकदीर सवारने पहुंचते हैं. लेकिन, इस कोचिंग के हब से मानों सपने पूरे नहीं हो रहे, बल्कि इस शहर में हताशा,निऱाशा में दम घुटने स लगा है. इसके पीछे पढ़ाई का बोझ , माता-पिता के अरमानों को पूरा करने का दबाव और टीचर्स के टास्क इन बच्चों के लिए मुश्किल बनाते जा रही है. लिहाजा, इसी की झलक अब कोटा शहर में दिख रही है, कुछ बच्चे जिंदगी को ही दांव पर लगा देने पर आमदा हो गये हैं. दरअसल, कोटा में लगातार छात्रों की खुदकुशी से तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. ये रुकने की बजाए बढता ही जा रहा है. ऐसा ही कुछ एकबार फिर देखने को मिला, जब एक छात्र ने अपना जिवन ही यहां खत्म कर लिया. बीस साल के लड़के ने जहर खाकर जान दे दी.
उत्तरप्रदेश का रहने वाला था छात्र
बताया जा रहा है कि यूपी का रहने वाला यह छात्र कोटा में ही रहकर एक कोचिंग में पढाई कर रहा था. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे इस छात्र का नाम तनवीर था. आखिर उसने ऐसा क्यों किया , इसका खुलासा नहीं हो सका है. फिलहाल , पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. तनवीर के पिता भी कोटा में ही कोचिंग में टीचर थे और बच्चों को तैयारी करवाते थे.
कोटा में इस साल 28 लोगों की मौत
कोचिंग की नगरी कोटा में सपने लेकर आए छात्र आखिर क्यों हताश होकर अपनी जिंदगी ही खत्म कर लेना चाहते हैं. ये तो गंभीर सवाल बनाकर सामने आया है. हालांकि, देखे जाए तो लगातार खुदकुशी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. जहां ये महसूस होता दिख रहा है कि किस मानसिक प्रताड़ना से बच्चे अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं. जहां ख्वाहिश को पूरा करने के जोश लगाने की बजाए, कीमती जिवन को एक झटके में दांव पर लगाया जा रहा हैं. अभी तक इस साल कोटा में 28 बच्चों मौत हो चुकी है. इनमे से तकरीबन सभी न सुसाइड किया है. बताया जा रहा है कि देश भर के कई राज्यों से आए ये छात्र नीट या जेईई की तैयारी करने के लिए इस शहर में आए थे. डॉक्टर और इंजीनियर बनने का ख्वाब तो पूरा तो नहीं कर सके. लेकिन, अपने माता-पिता को जिंदगी भर का गम,जख्म और दर्द जरुर दे दिया.
तमाम कोशिशे हो रही नाकाम !
आत्महत्या एक अपराध है, लेकिन इन बच्चों को इस बात की समझ नहीं है. जिंदगी का फसलसफा अभी उन्होंने पढ़ना शुरु किया है. उन्हें ये मालूम नहीं की जिंदगी में एक रास्ते बंद होने पर कई रास्ते खुल जाते हैं. बच्चों में इस बात की समझ नहीं होती की पूरा जिवन ही एक सफर है, जहां हर वक्त इम्तहान देना पड़ता है. कोटा में खुदकुशी रोकने के लिए सरकार, जिला प्रशासन, कोटा पुलिस, कोचिंग संस्थान, सामाजिक संस्थाए सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन लगता है कि उनकी कोशिशे रंग नहीं ल रही है. तमाम तरह की बाते समझाने-बताने के बावजूद छात्र-छात्राएं ऐसा कदम उठा रहे हैं. तनाव में रह रहे छात्रों के लिए पुलिस और जिला प्रशासन ने हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया है, उस पर कॉल भी आ रहे हैं. लेकिन, फिर भी सुसाइड कम नहीं हो रहा है. जो की एक चिंता का विषय बनता जा रहा है.