टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बदलते जीवन शैली में बदल रहा है खान पान का तरीका. अक्सर इस भागदौड़ की लाइफ मे अधूरा रह जाता है हमारा डायट और इस अधूरे पोषण से प्रकट होने लगती है कई समस्याएं. आम तौर पर हम संतुलित भोजन मे प्रोटीन को एक अहम हिस्सा मानते है. लेकिन संतुलित भोजन की सूची में से बड़ी ही सहजता से हम मैग्नीशियम को गायब कर देते हैं. जबकी मैग्नीशियम शरीर के लिए बेहद आवश्यक है. इसकी कमी से विभिन्न रोग हो सकते हैं. बता दें शरीर के लिए पांच तत्व कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम और सोडियम अति महत्त्वपूर्ण होते हैं. वैसे तो स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए ये सभी खनिज पदार्थ बहुत ही जरूरी हैं, लेकिन इनमें मैग्नीशियम का एक अलग ही स्थान है.
शरीर में मैग्नीशियम की प्रचुरता स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो जाए तो इसकी वजह से शरीर में 400 से अधिक जैव रासायनिक प्रतिक्रियाएं अवरूद्ध हो जाती हैं या पूरी तरह से बंद हो जाती हैं. इसमें मांसपेशियों के संकुचन से लेकर डीएनए का काम करना तक शामिल है. आज इस लेख में हम जानेंगे क्यों जरूरी है हमारे शरीर के लिए मैग्नीशियम .
क्यों जरूरी है मैग्नीशियम
शरीर के लिए मैग्नीशियम है बेहद जरूरी है. इस की कमी होने पर हो सकती है गंभीर बीमारी. मालूम हो कि एक मानव शरीर में 300 से ज्यादा एंजाइम प्रोसेस होते हैं जिसमें मैग्नीशियम भी शामिल है. मैग्नीशियम हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि ये हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है. हाल ही मे विश्वव्यापी कोरोना की लहर के बाद ये शोध सामने आया कि मैग्नीशियम के साथ कोरोना की लड़ाई लड़ी जा सकती है. क्योंकि इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों को भी स्वस्थ बनाए रखता है. मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करने के लिए. मैग्नीशियम एक पोषक तत्व है जो रक्त शर्करा के स्तर और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है जिससे हमारे दिल की धड़कन नॉर्मल रहती है. साथ ही ब्लड शुगर लेवल होता है नियंत्रित. शरीर में मैग्नीशियम की कमी से थकान लगना, भूख न लगना, उल्टी, नींद न आना, मतली, मांसपेशियों की समस्या आदि हो सकती है.
डायबिटीज की रोकथाम में है सहायक
रिपोर्ट्स बताती है कि जो लोग टाइप टू डायबिटीज से ग्रसित होते हैं उनके खून में मैग्नीशियम की मात्रा कम होती है, जिससे शरीर के लिए ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करना कठिन हो जाता है. दूसरी तरफ जो लोग मैग्नीशियम को अपने खानपान में शामिल करते हैं उन्हें टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है. एक स्टडी में यह पाया गया कि मैग्नीशियम का सेवन करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है और ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है. इसलिए अधिक मात्रा में मैग्नीशियम का सेवन करने से टाइप टू डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है. मैग्नीशियम ग्लूकोस और इंसुलिन रेगुलेशन में अहम योगदान निभाता है जिससे डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है. विश्व में डायबिटीज एक बड़ी बीमारी के रूप मे जानी जाती है इसका एक प्रमुख कारण और निदान दोनों ही मैग्नीशियम का असंतुलन है.
माइग्रेन की समस्या होती है दूर
शरीर में मैग्नीशियम की कमी से माइग्रेन की समस्या होने लगती है. कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि मैग्नीशियम की खुराक पर्याप्त मात्रा में लेने से माइग्रेन का खतरा कम हो जाता है और इसे नियंत्रित किया जा सकता है. बता दें माइग्रेन आधी सिर का दर्द या अधकपारी के नाम से भी जाना कहता है जिसमे आधे सिर मे भयंकर पीड़ा होती है और रोगी चक्कर कहा कर बेहोश तक हो जाता है. इस पीड़ा से कई लोग गुजरते है लेकिन यदि अपने रोजाना के डायट मे मैग्नीशियम को शामिल किया जाए तो खतरा कम हो सकता है.
दिल के स्वास्थ्य के लिए है अच्छा
मैग्नीशियम हमारे दिल को भी स्वस्थ बनाए रखता है. रिसर्च में यह पाया गया है कि मैग्नीशियम के भरपूर सप्लीमेंट लेने से हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है जो हृदय रोग के जोखिम कारक में से एक हैं. अधिक मात्रा में मैग्नीशियम का सेवन करने से हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जोखिम कम हो जाता है जिससे दिल का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. आजकल कार्डियक अटैक से चलते फिरते लोगों की जान चली जा रही है. कोई नाचते हुए गिरकर खत्म हो जा रहा, कोई एक्सरसाइज करते हुए, ऐसे मे जरूरी है कि आप अपने दिल का ख्याल रखें. मैग्नीशियम हृदय से संबंधित अनेक प्रक्रियाओं का हिस्सा है. यह हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं में कैल्सियम की मात्रा को संतुलित करता है.
अगर ये न रहे तो हृदय कि कोशिकाओं में कैल्सियम की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे मांसपेशियों की कोशिकाओं में संकुचन की स्थिति पैदा हो सकती है. इसकी वजह से सीने में दर्द या फिर अचानक हार्ट अटैक भी आ सकता है. मैग्नीशियम दिल की धड़कन को भी नियंत्रित करने में सहायता करता है. दरअसल, यह इलेक्ट्रोलाइट के रूप में काम करता है. इसमें कमी होने पर शरीर में इलेक्ट्रिकल संकेतों के आने-जाने में रूकावट पैदा होती है और अगर संकेत न मिले तो हृदय खून पंप नहीं कर सकता है. इसलिए मैग्नीशियम दिल के लिए बहुत ही जरूरी है. अगर शरीर में मैग्नीशियम संतुलित स्तर में हो तो इससे खून का प्रवाह आसानी से होता है. इससे हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है और शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि हार्ट अटैक के प्रमुख कारणों में हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है.
हड्डियां होती हैं मजबूत
जोड़ों के दर्द की समस्या आमतौर पर उम्रदराज लोगो को होती है लेकिन आजकल अव्यवस्थित जीवन शैली के कारण कम उम्र मे भी लोगों को थकान और हड्डियों के दर्द की समस्या हो जाती है. हालांकि अधिकतर रिसर्च में आपने यह पढ़ा और सुना होगा कि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम जरूरी होता है. लेकिन, कई रिसर्च बताती हैं कि पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम का सेवन करने से महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हड्डियों के क्रिस्टल बनने, बोन डेंसिटी में वृद्धि और ओस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो जाता है. मैग्नीशियम कैल्शियम और विटामिन डी के लेवल को बैलेंस करने में मदद करता है. हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए मैग्नीशियम और मिनरल्स जरूरी है.
स्ट्रैंथ बढ़ाने मे मददगार है मैग्नीशियम
फिजिकल एक्टिविटी करने के दौरान शरीर को अधिक मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है. मैग्नीशियम हमारे शरीर में लैक्टेट को हटाने का काम करता है जो एक्साइज के दौरान शरीर में जमा हो जाता है और यह थकान का कारण बनता है. रिसर्च में पाया गया कि मैग्नीशियम की खुराक लेने से वृद्ध लोगों और मैग्नीशियम की कमी वाले अन्य लोगों को फिजिकल एक्टिविटी के दौरान बेहतर परफॉर्मेंस मिलती है.
पीएमएस के लक्षणों में सुधार करता है
मैग्नीशियम पीएमएस के लक्षणों को कम करने में एक भूमिका निभाता है, खासकर जब विटामिन बी 6 के साथ लिया जाता है. मैग्नीशियम प्रोस्टाग्लैंडीन प्रभाव में मदद करने के लिए जाना जाता है जो सूजन, मिजाज को कम करने और शरीर में स्तन कोमलता को कम करने में मदद करता है.
अवसाद को कम करता है मैग्नीशियम
मैग्नीशियम अवसाद और चिंता जैसी स्थितियों में अपनी भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है. मैग्नीशियम का लो लेवल तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया की गंभीरता में योगदान कर सकता है. हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी अक्ष के रूप में जाना जाने वाला एचपीए अक्ष स्ट्रेस कंट्रोल प्रतिक्रिया में शामिल है और एक व्यक्ति में कम मैग्नीशियम द्वारा अपने बेहतर कामकाज में प्रभावित होता है.
शरीर में मैग्नीशियम की कमी से दिखने वाले लक्षण
कैल्शियम और बोलियम की तरह मैग्नीशियम भी क्षारीय तत्व है. इससे संबंधित कई शोध सामने आते रहे हैं, जिनमें यह पाया गया है कि मैग्नीशियम शरीर में मौजूद एंजाइम के साथ मिलकर ग्लूकोस बनाने का काम करता है. इसके अलावा मैग्नीशियम इंसुलिन बनाने की प्रक्रिया को भी दुरुस्त रखता है. अगर आपके शरीर में थकान, मांसपेशियों में ऐंठन, अनियमित दिल की धड़कन, चिंता, माइग्रेन और कब्ज जैसे लक्षण दिखते हैं तो हो सकता है कि आपके शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो. इसलिए आपको इन लक्षणों को नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से जरूर दिखाना चाहिए. अमेरिकी डॉक्टर जॉन एस फैनिक ने बताया, शरीर में बायोकेमिकल रिएक्शन के लिए मैग्नीशियम बेहद जरूरी तत्व है. शरीर का 60 प्रतिशत मैग्नीशियम हड्डियों में रहता है, बाकी टिश्यू, मसल और फ्लूड में पाया जाता है. कुल मिलाकर शरीर के सभी फंक्शनिंग में मैग्नीशियम की अहम भूमिका होती है. यह शरीर में एनर्जी प्रोड्यूस करता है, यानी हम जो कुछ खाते हैं उसे एनर्जी में बदलता है.
शरीर में मैग्नीशियम को मेंटेन रखने के 4 सोर्स
पालक- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है. ये शरीर के सेल को भी सुरक्षित रखता है.
नट्स- काजू और बादाम में भी मैग्नीशियम बहुत ज्यादा पाया जाता है. नट्स इसकी कमी को बहुत कम समय में पूरा कर सकते हैं.
केला- केला भी मैग्नीशियम का बहुत अच्छा स्रोत है. इससे मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा मिलती है. केला एनर्जी लेवल को भी बढ़ाता है.
डार्क चॉकलेट- ये मैग्नीशियम का सबसे स्वादिष्ट स्रोत है. डार्क चॉकलेट एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरा होता है. यह मैग्नीशियम की कमी पूरी करता है.