रांची(RANCHI): माब लिंचिग (mob lynching) झारखंड की राजनीति के लिए साल 2021 में सबसे बड़ा मुद्दा रहा था. मॉब लिंचिग से अभी तक राज्य में 50 से ज्यादा मौतें हुई हैं. इसी के रोक-धाम के लिए राज्य की हेमंत सरकार ने साल 2021 में विधानसभा से पारित करा लिया था. पारित विधेयक का नाम “The Jharkhand Prevention of Mob Violence and Mob Lynching Bill 2021” रखा गया था. हालांकि, राज्यपाल ने इस विधेयक पर आपत्ति जताते हुए फाइल वापस भेज दिया था. अब कांग्रेसी इसे दोबारा राज्यपाल को भेजने के लिए राजेश ठाकुर को मांगपत्र सौंपा है. इसको लेकर कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री आलमगीर आलम को मांगपत्र सौंपा है. मांगपत्र में विधेयक को दोबारा राज्यपाल के पास भेजने की बाद कही गई है. चलिए जानते हैं कि आखिर विधेयक में क्या था और राज्यपाल ने बिल वापस क्यों किया था?
भीड़ हिंसा एवं मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक क्या है ?
विधेयक में था कि यदि भीड़ हिंसा में पीड़ित की मौत हो जाती है तो वहां दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ कम से कम पांच लाख रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जायेगा. वहीं, दूसरे केस में हल्का जख्मी होने पर दोषी आदमी को किसी एक अवधि के लिए कारावास जो तीन वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा एक लाख रुपये से लेकर तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं, हिंसा में अगर आरोपी गंभीर रूप से जख्मी हो जाता है तो आजीवन कारावास या दस सालों के लिए कारावास हो सकता है.
राज्यपाल ने जताई थी आपत्ति?
राज्यपाल रमेश बैस ने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए वापस कर दिया था. उन्होंने कहा था कि विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में कई चीजें अलग हैं, सरकार को सबसे पहले उसे ठीक करना चाहिए. इसके अलावा भी उन्होंने कई और खामियों का जिक्र करते हुए विधेयक वापस सरकार को भेजा था.