TNPDESK- आज दोपहर दो बजे सड़क, रेल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में करीबन 13 हजार 500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के लिए पीएम मोदी तेलांगना के महबूब नगर पहुंचने वाले है. लेकिन सीएम केसीआर ने प्रधानमंत्री मोदी की आगवानी के लिए खुद नहीं जाकर, अपने मंत्री श्रीनिवास यादव को भेजने का फैसला किया है. सीएम चन्द्रशेखर राव के स्थान पर श्रीनिवास यादव पीएम की अगवानी करेंगे. यह लगातार छठा बार है, जब केसीआर ने पीएम मोदी के कार्यक्रमों से अपने को दूर कर लिया है. वह ना तो पीएम मोदी के स्वागत में जा रहे हैं और ना ही उनके कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं. केसीआर के इस रवैये पर खुद पीएम मोदी ने भी चिंता जताई है, पिछली बार जब पीएम मोदी तेलांगना के दौरे पर थें. तब उन्होंने कहा था कि वह चन्द्रशेखर के रवैये से आहत है.
तेलांगना में भाजपा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं
हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसे एक अलग चश्में से देखने की कोशिश कर रहे हैं. उनका दावा है कि तेलांगना में भाजपा की हालत पहले से ही खास्ता है, वहां चाहकर भी भाजपा कुछ करने की स्थिति में नहीं है, मुख्य मुकाबला कांग्रेस और केसीआर चन्द्रशेखर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति के साथ ही होना है, और इधर के दिनों में कांग्रेस के जनाधार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, कल तक विपक्ष की भूमिका में नजर आने वाली कांग्रेस सत्ता के शीर्ष तक पहुंचती दिखलायी पड़ने लगी है. खुद राहुल गांधी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि कांग्रेस तेलांगना में सत्ता में वापसी करने की स्थिति में आ खड़ी हुई है. और यह कोई आश्चर्य नहीं होगा कि हम वहां सरकार बना लें.
मुस्लिम मतदाताओं को एकजूट रखना बड़ी चुनौती
कुल मिलाकर मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस की ओर लौटता नजर आने लगा है. इस हालत में चन्द्रशेखर के लिए अपने मुस्लिम मतदाताओं को एकजूट बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि भाजपा की हालत कमजोर होते ही मुस्लिम मतदाताओं के सामने केसीआर के साथ खड़ा होने की मजबूरी खत्म हो गयी है, और यहीं से केसीआर की चिंता शुरु होती है. क्योंकि जैसे ही अल्पसंख्यक मतदाताओं के पास यह संदेश जायेगा कि भारत राष्ट्र समिति का भाजपा के साथ गठजोड़ हो सकता है, अलपसंख्यक मतदाताओं की गोलबंदी कांग्रेस के पक्ष में और भी तेज हो जायेगी. और यह स्थिति खड़ी होते ही केसीआर के हाथ से सत्ता जाना तय है.
तेलांगना में करीन 12 फीसदी है मुस्लिम आबादी
ध्यान रहे कि तेलांगना में करीबन 12 फीसदी मुस्लिम आबादी है, इस हालत में जब कांग्रेस और केसीआर में कांटे का मुकाबला है. 12 फीसदी मतदाताओं का किसी एक पार्टी के पक्ष में लामबंद होना हार जीत की तमाम भविष्यवाणियों को उलट सकता है. इस हालत में चन्द्रशेखर अपने मतदाताओं को साफ संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य में भले ही भाजपा कहीं खड़ी नहीं हो, लेकिन वह केन्द्र की राजनीति में भी भाजपा के पक्ष में खड़ा नहीं होने जा रहे.
क्या है भाजपा का प्लान बी
वहीं इस बात के दावे भी तेज हैं कि लोकसभा चुनाव के पहले जिस तरह से इंडिया गठबंधन की इंट्री हुई है, उसके बाद भाजपा के लिए बहुमत के आंकड़ा 273 के आसपास पहुंचना भी मुश्किल होने वाला है, इस हालत में भाजपा प्लान बी पर काम रही है. और उसी प्लान भी का हिस्सा केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति है. जानकारों का दावा है कि यदि भाजपा 225-20 तक भी सिमट जाती है, तो वह केसीआर, नवीन पटनायक और आन्ध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी के जरिये सत्ता में वापसी का जुगाड़ बैठा सकती है.
त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में अहम को सकती है इनकी भूमिका
ध्यान रहे कि फिलहाल यह तीनों ही इंडिया और एनडीए गठबंधन से बाहर है. और त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में इन तीनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, यही कारण है कि भाजपा इन तीनों के साथ एक समझौता चाहती है. लेकिन इन तीनों की दिकक्त यह है कि जैसे ही भाजपा के साथ इनका समझौता होगा, अल्पसंख्यक मतदाताओं में नाराजगी बढ़ जायेगी और इसका सीधा लाभ किसी और को नहीं कांग्रेस को होगा. यही कारण है कि जगन मोहन रेड्डी और केसीआर अपने पत्ते को खोलना नहीं चाहते, माना जाता है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही इनकी ओर से अपना रुख साफ किया जायेगा.