टीएनपी डेस्क: आज करवा चौथ है. आज सुहागिन महिलायें अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी. मान्यता है कि, करवा चौथ का व्रत रखने से महिलाओं को सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मिलता है और दांपत्य जीवन खुशहाल होता है. वट सावित्री और तीज व्रत की तरह ही करवा चौथ का काफी महत्व है. इस दिन महिलायें दिन भर उपवास कर रात में चांद को देख कर अपना व्रत तोड़ती हैं. करवा चौथ के दिन माता करवा की पूजा की जाती है. माता करवा की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और बेहतर जीवन का आशीर्वाद मिलता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि, कौन है माता करवा और क्यों करवा चौथ के नाम पर ही मनाया जाता है यह त्योहार.
इस समय निकलेगा चांद
करवा चौथ पर चांद आज रविवार को पूर्व-उत्तर दिशा के बीच शाम 7 बजे से रात तकरीबन 9 बजे तक दिखाई देगा. रांची में शाम 7 बजकर 55 मिनट पर चांद दिखाई देगा. इस दौरान सुहागिन महिलायें चांद को देख कर जल का अर्ध्य दें विधि-विधान से पूजा कर अपना व्रत खोल सकती हैं.
करवा चौथ से जुड़ी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में एक करवा नाम की स्त्री अपने पति के साथ रहती थी. करवा पतिव्रता स्त्री थी, वह अपने पति की सेवा में दिन-रात लगे रहती थी. एक दिन जब करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर अचानक से पकड़ लिया. मगमच्छ करवा के पति को खींच कर गहरे पानी में ले गया. ऐसे में जब करवा के पति ने करवा को पुकार कर उससे मदद की गुहार लगाई तब करवा ने अपने तपोबल से अपनी सूती साड़ी से एक धागा निकाल कर मगरमच्छ को बांध दिया. एक पतिव्रता स्त्री होने के कारण करवा के सतीत्व में काफी बल था. ऐसे में मगरमच्छ को धागे से बांध कर करवा यम लोक यमराज के पास पहुंची. जब यमराज ने करवा से यम लोक आने का कारण पूछा तो करवा ने कहा कि वह उस मगरमच्छ के लिए मृत्युदंड मांगने आई है. साथ ही इस मगरमच्छ को नरक लोक में भेजा जाए.
यमराज ने करवा से कहा कि, इस मगरमच्छ की आयु अभी भी शेष है. इसलिए उसे मृत्युदंड नहीं मिल सकता है. ऐसे में करवा ने यमराज से क्रोधित होकर कहा कि, इस मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ा है अगर इसे मृत्युदंड नहीं दिया गया और मेरे पति को दीर्घायु का वरदान नहीं मिला तो मैं अपने तपोबल से आपको समाप्त कर दूंगी. करवा की मांग सुनकर यमराज और चित्रगुप्त सोच में पड़ गए. अंततः यमराज को करवा के आगे झुकना पड़ा और मगरमच्छ को मृत्युदंड वकरवा के पति को दीर्घायु का वरदान दिया.
वहीं, करवा के तपोबल और पतिव्रता को देखते हुए चित्रगुप्त करवा से काफी प्रसन्न हुए. उन्होंने करवा को वरदान दिया कि आज के दिन जो भी पतिव्रता स्त्री आस्था और विश्वास के साथ व्रत रखेगी उसके पति की आयु लंबी होगी. साथ ही मैं स्वयं उसके सौभाग्य की रक्षा करूंगा. इसलिए तब से अपने पति की लंबी उम्र और सुख-संपत्ति के लिए सुहागिन महिलायें करवा चौथ का व्रत रखती आ रही हैं.