टीएनपी डेस्क(TNP DESK):
गीत नया गाता हूँ,
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर पत्थर की छाती मे
उग आया नव अंकुर झरे सब पीले पात कोयल की
कुहुक रात प्राची मे अरुणिम की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा, रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ.
उपरोक्त पंक्तियाँ अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा रचित है. बता दें भारतीय राजनीति के पहले गैर कॉन्ग्रेसी प्रधानमंत्री जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया हो तो वो हैं अटल बिहारी वाजपेयी. जी हाँ पी वी नरसिमभा राव के बाद आई भारतीय राजनीति का भूचाल इतना अधिक था कि भारत अपनी स्थिरता के लिए बाट जोह रहा था. ऐसे मे सरकार बन रही थी गिर रही थी और पड़ोसी मुल्क ताली पीट रहा था. ऐसे में भारत को पूरे पाँच साल स्थिर सरकार देने के वादे से आगे आए भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेई. उन्होंने न सिर्फ भारत को स्थिर सरकार दिया बल्कि विश्व में पोखरण परमाणु परीक्षण करके ये संदेश भी दे दिया कि भारत को अस्थिर समझने की भूल न करे पड़ोसी. साथ ही अपने सशक्त अंदाज और हाजिर जवाबी से विपक्ष की बोलती बंद करने वाले अटल जी का आज जन्मदिन है. आज द न्यूज पोस्ट भी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को नमन करता है. आज हम जानेंगे पोखरण मैन अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़े मशहूर किस्से.....
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित बीजेपी नेताओ ने दी अटल को श्रद्धांजलि
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 98वीं जयंती है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदैव अटल समाधि स्थल पर जाकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने भी सदैव अटल समाधि स्थल पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की है. आज इस मौके पर बीजेपी समेत पूरे देश में उनके प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं. पीएम मोदी ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, 'अटल जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. भारत के लिए उनका योगदान अमिट है. उनका नेतृत्व और दृष्टिकोण लाखों लोगों को प्रेरित करता है.
स्वतंत्रा सेनानी से प्रधानमंत्री, आसान नही थी सड़क से संसद तक की यात्रा
मालूम हो कि अटल जी सिर्फ एक राजनेता ही नहीं थे, बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका निभाई थी. देश के लिए वे पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए. साल 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में उन्हें 23 दिन के लिए जेल भी गए. अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने. 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले अटल बिहारी वाजपेयी इस चुनाव में हार गए थे. लेकिन साल 1957 में वह सांसद बने. अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे और इसी दौरान 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे. आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई थी और वे मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मामलों के मंत्री बने. विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासंघ को हिंदी भाषा में संबोधित किया. वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में एक थे और तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने. उनका पहला कार्यकाल 1996 में मात्र 13 दिनों का था. इसके बाद, वह 1998 में फिर प्रधानमंत्री बने और 13 महीने तक इस पद को संभाला. साल 1999 में वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया.
देश विदेश में भी सम्मान प्राप्त हुए
वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय से डी लिट की उपाधि मिली थी. 1994 में वाजपेयी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार और भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से नवाजा गया 2015 में मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय जिया लाल बैरवा (देवली) से डी लिट की उपाधि मिली. बांग्लादेश सरकार की तरफ से 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवॉर्ड' भारत सरकार की ओर से देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित किया गया. अटल का जन्म साल 1924 में आज ही के दिन हुआ था.
मशहूर है अटल जी के हाजिर जवाबी के किस्से
साहित्य और भाषा के धनी अटल बिहारी का संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिया भाषण उस वक्त काफी चर्चित रहा था. यह पहला मौका था जब यूएन जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी भारतीय नेता ने हिंदी में अपनी बात कही थी. अटल बिहारी वाजपेयी का यह भाषण यूएन में आए सभी प्रतिनिधियों को इतना पसंद आया कि उन्होंने खड़े होकर अटल जी के लिए तालियां बजाई थीं. अटल जी एक बेहतरीन नेता होने के साथ ही लेखन के भी जादूगर हैं. सिर्फ इतना ही नहीं वाजपेयी जी के हाजिरजवाबी भी काफी मशहूर है. ऐसा ही एक किस्सा एक दफा लोजपा नेता रामविलास पासवान ने (तब कांग्रेस के सहयोगी दल थे) राम मंदिर के मुद्दे पर प्रहार करते हुए कहा था कि भाजपा राम के बारे में बातें करती है, लेकिन उसमें राम नहीं है, जबकि वह मेरे नाम में हैं. इसपर वाजपेयी ने तुरंत कहा- 'पासवान जी, हराम में भी राम होता है. ' इसी तरह पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने एक दफा कहा कि पाकिस्तान कश्मीर के बिना अधूरा है. इस पर वाजपेयी ने कहा- 'पाकिस्तान के बगैर भारत भी अधूरा है. ' उनके एक अन्य प्रसिद्ध वनलाइनर में उन्होंने सरकार गिराने को लेकर कहा- 'लोकतंत्र वह है जहां दो बेवकूफ लोग एक ताकतवर इंसान को हरा देते हैं. ' इसी तरह अपने संबंध में उन्होंने एक बार कहा था- 'मेरे पास बाप-दादा की संपत्ति नहीं है, लेकिन मेरी मां का आर्शीवाद है. ' इसी तरह वर्ष 2004 में बिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- 'मैं अटल भी हूं और बिहारी भी हूं. ' पाकिस्तान यात्रा के दौरान एक पाकिस्तानी पत्रकार ने उनसे विवाह का प्रस्ताव रख दिया और कहा कि मै आपसे शादी करने को तैयार हूँ पर मुझे मुँहदिखाई में कश्मीर चाहिए इसपर अटल जी ने कहा की ठीक है पर मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए. पाकिस्तान में मौजूद आतंकी कैंपों पर अटल ने कहा था- पड़ोसी कहते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती है, हमने कहा कि चुटकी तो बज सकती है. एक बार एक पत्रकार ने अटल जी से कहा- बीजेपी में एक वाजपेयी का दल है, एक आडवाणी का दल है. इसपर अटल ने सधे हुए अंदाज में कहा था, ‘मैं कोई दलदल में नहीं हूं, मैं औरों के दलदल में अपना कमल खिलाता हूं. ’
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य
अपने कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी ने कई महत्वपूर्ण कार्यों का सम्पादन किया, जिसमे रक्षा के क्षेत्र मे महत्वपूर्ण कार्य किए. पोखरण परमाणु परीक्षण. एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया. संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया. राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये. राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं. आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों के मूल्यों को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया. उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया. आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया. ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की.