रांची(RANCHI): जेपीएससी ने सातवीं से 10वीं सिविल परीक्षा का कट ऑफ मार्क्स जारी कर दिया है. बता दें कि आयोग ने यह मार्क्स रिजल्ट के आठ महीने बाद जारी किया गया. आयोग ने मुख्य परीक्षा का रिजल्ट 31 मई 2022 को जारी किया था. कट ऑफ मार्क्स के जारी होते ही विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े करने लगी है. विपक्ष सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर लगातार हमलावर है.
General, obc और EWS का कट ऑफ मार्क्स बराबर
दरअसल, जारी कट ऑफ मार्क्स के अनुसार अनारक्षित, बीसी और इडब्ल्यूएस कैटेगरी का कट ऑफ मार्क्स बराबर है. सभी कैटेगरी के लोगों के लिए मार्क्स 532 रहा. वहीं, एसटी का कट ऑफ मार्क्स 479 और एसटी का कट ऑफ मार्क्स 515 रहा. बता दें कि आयोग की ओर से कट ऑफ मार्क्स जारी नहीं किया गया था, जिसका विरोध अभ्यर्थी कर रहे थे. विरोध के बाद मामला उच्च न्यायालय में पहुंच गया था. न्यायालय के आदेश के बाद बीते कल यानी बुधवार को आयोग ने कट ऑफ मार्क्स जारी किया.
विपक्ष ने सरकार पर खड़े किए सवाल
JPSC का कट ऑफ मार्क्स जारी होते ही विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गई. बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट किया “सरकार ने राज्य के युवाओं के साथ एक बार फिर भद्दा मजाक किया है. ओबीसी को 27% आरक्षण का ढोल पीटने वाली सरकार में जेपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में OBC, EBC, BC और EWS सभी के कटऑफ बराबर तय किया है. अब कल को इस उटपटांग फैसले को भी न्यायालय में चुनौती दी जाएगी तो हमारे सीएम साहब नाराज हो जाएंगे और चुनौती देने वाले की वंशावली खोजने लगेंगे. इन उटपटांग फैसलों से अपना और राज्य के युवाओं का भविष्य बर्बाद करने के बजाय नीतिगत फैसले लीजिए और युवाओं के भविष्य की चिंता करिए. वहीं, राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास ने भी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा “वाह रे सरकार, JPSC अभ्यर्थियों के साथ एक बार फिर हेमंत सरकार ने भद्दा मजाक किया है. एक और पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का ढोंग कर रही है, वहीं दूसरी ओर सामान्य वर्ग, OBC, EBC, BC और EWS सभी के कट ऑफ मार्क एक समान रखे गए हैं. मई में परीक्षा परिणामों के बाद छात्र कट ऑफ मार्क बताने की गुहार लगाते रहे. देश में पहली बार हुआ कि नियुक्ति हो गई, लेकिन परीक्षा के कट ऑफ मार्क जारी नहीं हुए. न्यायालय की फटकार के बाद कट ऑफ मार्क जारी हुए, तब समझ में आया कि हेमंत सरकार मार्क्स जारी क्यों नहीं कर रही थी.”