बक्सर(BUXER):बिहार शराबंदी है, ऐसा सरकार को लगता है, लेकिन आम लोगों को ये कभी महसूस नहीं हुआ क्योंकि उन्हे बड़ी ही आसानी से शराब मिल जाती है.बिहार के शराब तस्कर मोटी कमाई कर करोड़पति बन रहे है, लेकिन कभी आपने सोचा है, कि ये अपने इरादों में कामयाब कैसे हो जाते है, तो आपका अंदाजा बिल्कुल सही है, प्रशासन में बैठे जिन लोगों को शराब बंदी को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं सरकार के अधिकारी सरकार से पैसे लेकर इन शराब तस्करों की मदद करते है, ऐसा हम नहीं कह रहे है, बल्कि ऐसा ये खबर कह रही है.
उत्पाद अधीक्षक खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
आपको बकाये कि उत्पाद अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक शराबबंदी अधिनियम की धज्जियां उड़ाने एवं तस्करी करने का आरोप लगा है, इतना ही नहीं उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. शराब तस्करी में उनकी संलिप्तता उजागर होने के बाद यह भी पता चला है कि वह शराबबंदी के बाद से लगातार तस्करों की मदद कर रहे थे. लेकिन उनकी पोल उस वक्त खुल गई जब 21 जून 2024 को औद्योगिक थाने की पुलिस ने वीर कुंवर सिंह सेतु से उत्तर प्रदेश के रास्ते बिहार की बक्सर सीमा में प्रवेश कर रहे एक के बाद एक तीन शराब लदी गाड़ियों को जब्त किया गया.
बिहार के अधिकारी ही उड़ा रहे है शराबबंदी की धज्जियां
सबसे पहले शराब से भरी एक स्कॉर्पियो पकड़ी गई इसके चालक से पूछताछ के आधार पर शराब लदी एक इंडिका कार और एक होंडा सिटी कार को भी पुलिस ने जब्त किया. अनुसंधान शुरु करने पर इसमें डुमरांव अनुमंडल के अमसारी गांव में वर्ष 2022 में हुए जहरीले शराब कांड के मुख्य आरोपी मुन्ना सिंह उर्फ हरेंद्र सिंह के साथ उनके एक और शागिर्द की संलिप्तता सामने आई.इसके बाद पुलिस ने 23 जून 2024 को मुन्ना सिंह को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की. पूछताछ में उसने बताया कि वर्तमान में उत्पाद अधीक्षक तथा वर्ष 2016 से ही बक्सर में पहले उप निरीक्षक तथा फिर निरीक्षक के पद पर कार्यरत रहे दिलीप कुमार पाठक बिहार के बक्सर की यूपी से सटी अलग-अलग सीमाओं से शराब की तस्करी करने में सहयोग करते थे, जिसके एवज में उन्हें एक मोटी रकम मिलती थी.
रिपोर्ट-धीरज कुमार