रांची(RANCHI): झारखंड के इतिसाह की यह पहली घटना है जब पुलिस ने एक साथ पांच इनामी नक्सलियों को ढेर करने में सफलता प्राप्त की है. इसमें से गौतम पासवान और चार्लीस उरांव पर 25-25 लाख रुपये का इनाम था. जबकि संजीत उर्फ सुजीत गुड़िया, नंदू और अमर गंझू के खिलाफ पुलिस ने पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. इस प्रकार इन पांचों के सर पर पुलिस ने 65 लाख की भारी भरकम राशि इनाम के रुप में रखा था, अब इस राशि को मुठभेड़ में शामिल जवानों और सूचनादाता के बीच बांटी जायेगी.
पांच नक्सलियों को ढेर कर पुलिस ने बनाया कीर्तिमान
यहां बता दें कि इसके पहले ही नक्सलियों के मारे जाने की खबरें आती थी, लेकिन तब उनकी संख्या काफी कम होती थी, लेकिन इस बार पुलिस ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है, एक साथ पांच इनामी नक्सलियों को ढेर कर दिया है. इनाम की राशि से यह समझा जा सकता है कि मारे गये नक्सलियों में से गौतम पासवान और चार्लीस उरांव पुलिस के कितनी बड़ी चुनौती रही होगी. और उनके सफाये के साथ पुलिस कितनी शांति की अनुभूति महसूस कर रही होगी.
क्या अब नक्सलवाद से मुक्त हो जायेगा झारखंड
लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या इन पांच नक्सलियों के सफाये के साथ ही यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि झारखंड अब नक्सलियों से मुक्त हो गया, क्योंकि कुछ ही दिन पूर्व ही झारखंड पुलिस ने बूढ़ा पहाड़ पर अपना परचम फहराया था, अब तक नक्सलियों का अभेद किला माना जाने वाला बूढ़ा पहाड़ पर पहली बार प्रशासन पहुंचा था. खुद हेमंत सोरेन ने भी बूढ़ा पहाड़ की यात्रा की थी, इसके पहले सीएम की बात तो छोड़ भी दें किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए इस पहाड़ के आसपास पहुंचा भी नामुमकिन माना जाता था.
सिर्फ पुलिस के बल पर ही नक्सल मुक्त समाज की स्थापना संभव नहीं
जानकारों का मानना है कि सिर्फ पुलिस के बल पर ही नक्सल मुक्त समाज की स्थापना नहीं की जा सकती, इसके साथ ही हमें अंतिम पायदान पर खड़े समाज तक शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना होगा, विकास की मुख्यधारा से वंचित समाज को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनकी समस्यायों की फिक्र सत्ता के केन्द्र में है. शासन की नीतियों का निर्माण उनकी अपेक्षाओं और जरुरतों को केन्द्र में रख कर बनाया जा रहा है.
नक्सलियों की जड़ खोदने के लिए सामाजिक-आर्थिक असामनता की पर करना होगा प्रहार
यहां याद रहे कि अधिकांश युवा जो आज नक्सली विचारधारा के साथ ही कहीं ना कहीं वह वंचित समाज का हिस्सा है, आजादी के लम्बे वक्त के बाद भी हमारी योजनाएं वहां तक नहीं पहुंची है, हम आज भी पांच किलो राशन को उन तक पहुंचाने को ही बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, लेकिन सामाजिक आर्थिक असामनता की उस जड़ पर प्रहार नहीं किया जा रहा है, जहां से नक्सली विचारधार का जन्म होता है.
तीन वर्ष में 30 नक्सली ढेर
याद रहे कि पिछले तीन साल में करीबन 30 नक्सलियों को ढेर किया गया है. ये भी झारखंडी समाज का ही हिस्सा थें. नक्सली संगठन से जुड़ने की उनकी कहीं ना कहीं कुछ मजबूरियां रही होगी, साफ है कि पुलिस अपनी कार्रवाई तो करेगी, लेकिन इसके साथ ही शासन प्रशासन के दूसरे विभागों को सक्रिय होना होगा और ईमानदारी के साथ उनकी समस्याओं का समाधान खोजना होगा.
बता दें कि झारखंड पुलिस ने आज भी चतरा जिले के लावालौंग इलाके में पांच इनामी नक्सलियों को मार गिराया है, बताया जा रहा है कि आज सुबह-सुबह ही इन नक्सलियों की पुलिस से मुठभेड़ हो गयी, जिसके बाद इन नक्सलियों को मार गिराया गया.