धनबाद(DHANBAD): दो मुख्यमंत्री गिरफ्तार किए गए हैं. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी के बाद रांची जेल में हैं, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय के कस्टडी में है. चुनाव सिर पर है. ऐसे में अपनी सियासत और विरासत बचाना उन लोगों के लिए कम चुनौती नहीं है. लगता है कि दोनों नेता अपनी पत्नियों को आगे कर विरासत और सियासत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे पतियों के जेल जाने के बाद पत्नी के सियासी जंग में आना कोई नई बात नहीं है. ऐसा होता रहा है और नेता इसे सबसे सुरक्षित मानते भी हैं. इसके परिणाम भी फायदेमंद होते आए हैं.
हेमंत और केजरीवाल का लोकसभा चुनाव के पहले जेल से बाहर मुश्किल
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन तो राजनीति में कदम रख दिया है. लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल की पत्नी भी आने की तैयारी कर रही है. ऐसा संकेत मिल रहे है कि हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के पहले जेल से बाहर आने की उम्मीद बहुत कम है. ऐसे में सियासी विरासत बचाने के लिए पत्नियों को फ्रंट फुट पर खेलाने की तैयारी की जा रही है. हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया और उनकी कुर्सी चली गई. चंपई सोरेन फिलहाल झारखंड के मुख्यमंत्री हैं ,लेकिन कल्पना सोरेन अपनी राजनीतिक परिपक्वता की लगातार परिचय दे रही है. इंडिया गठबंधन की मुंबई रैली में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा का प्रतिनिधित्व कर चुकी है. वहां उन्होंने झारखंड कभी झुकेगा नहीं का नारा बुलंद किया. उनके भाषण में आक्रामकता थी. वैसे चर्चा तो यह है कि गिरिडीह के गांडेय विधानसभा सीट से वह विधानसभा का चुनाव लड़ सकती है. यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक डॉक्टर सरफराज अहमद ने खाली की है. डॉक्टर सरफराज अहमद को इसका इनाम भी मिला और वह राज्यसभा में चले गए हैं. हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की शादी 2006 में हुई थी. वह उड़ीसा की रहने वाली हैं.
केजरीवाल को जेल में रहना पड़ा तो उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल चुनाव में प्रचार कर सकती हैं
इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल वह 6 दिनों की ईडी कस्टडी में है. अगर लंबे समय तक अरविंद केजरीवाल को जेल में रहना पड़ा तो उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल चुनाव में प्रचार कर सकती हैं. फिलहाल चुनाव तो वह नहीं लड़ेगी लेकिन प्रचार कर सहानुभूति बटोरने की भरपूर कोशिश करेगी. अरविंद केजरीवाल के संदेश को भी उन्होंने देशवासियों के लिए पढ़ा और यही से यह संकेत मिलने लगे कि सुनीता केजरीवाल भी चुनाव प्रचार कर सकती हैं .और हो सकता है कि पार्टी की बागडोर भी संभाले. 1994 में अरविंद केजरीवाल और सुनीता केजरीवाल की शादी हुई थी. वह भी इस आईआरएस अधिकारी रही हैं लेकिन वीआरएस लेकर घर परिवार संभाल रही है. वैसे देश की राजनीति में पत्नियों को विशेष परिस्थितियों में उतारना नेताओं के लिए फायदेमंद होता है. सहानुभूति वोट बटोरने में सुविधा मिलती है. उनके सियासी विरासत पर भी कोई बड़ा असर नहीं पड़ता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो