रांची(RANCHI): झारखंड में आज यानी 11 नवंबर, 2022 को झारखंड विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र हुआ. यह सत्र झारखंड़ी और मूलवासियों के लिए ऐतिहासिक रहा. दरअसल, आज सदन से 1932 और 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को पास कर दिया गया. हम इस स्टोरी में आपको बतायेंगे कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद और उससे पहले में क्या बदलाव आयेगा. सबसे पहले समझेंगे कैसा था पुराना आरक्षण प्रणाली.
राज्य में पहले कैसा था आरक्षण प्रणाली
बता दें कि झारखंड राज्य में पहले एससी को 10 प्रतिशत आरक्षण, एसटी को 26 प्रतिशत, ओबीसी को 14 प्रतिशत और इडब्लूएस (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता था. कुल मिला दिया जाए तो ये 60 प्रतिशत हो जाता है. लेकिन राज्य में नई आरक्षण प्रणाली लागू होने के बाद ये आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा.
राज्य की नई आरक्षण प्रणाली होगी ऐसी होगी
राज्य में नई आरक्षण प्रणाली लागू होते ही काफी कुछ बदल गया है. नई प्रणाली लागू होते ही ना सिर्फ ओबीसी को फायदा हुआ बल्कि एससी और एसटी का भी दायरा बढ़ गया है. बता दें कि नई प्रणाली के बाद एससी का आरक्षण 10 से बढ़कर 12 प्रतिशत हो जाएगा. वहीं, एसटी का आरक्षण 26 से बढ़कर 28 प्रतिशत हो जायेगा. इसके अलावा ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़कर 27 प्रतिशत हो जायेगा. वहीं, इडब्लूएस के आरक्षण प्रणाली में कोई बदलाव नहीं होगा. ये आरक्षण प्रणाली लागू होते ही राज्य में आरक्षण का कुल दायरा 60 से बढ़कर 77 प्रतिशत हो गया है.
विधानसभा से पारित होने के बाद भी नहीं लागू होगा आरक्षण प्रणाली
बता दें कि हेमंत सोरेन सरकार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को पहले कैबिनेट से पास किया. उसके बाद सरकार इसे सदन से पास कर दिया. हालांकि, हम आपको ये बता दें कि सदन से पास होने के बाद भी राज्य में ये लागू नहीं होगा. इसमें एक पेंच और बाकी है. राज्य सरकार इस विधेयक को सदन से पास करने के बाद केंद्र सरकार से अनुरोध करेगा कि इसे नौंवी अनुसूची में शामिल किया जाए. नौंवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद ही यह झारखंड में लागू होगा.
झारखंड में कितनी जातियां ओबीसी में
सूत्रों की मानें तो झारखंड में कुल 22 जातियां एससी में आती हैं. वहीं, 32 जातियां एसटी में आती है. वहीं, ओबीसी को दो भागों में बांटा गया है, ओबीसी-1 और ओबीसी-2. BC-1 में कुल 113 जातियों को रखा गया है. वहीं, BC-2 में 33 जातियों को रखा गया है.
देश को राज्यों में 80 प्रतिशत तक आरक्षण
बता दें कि देश के कई राज्यों में आरक्षण प्रणाली 80 प्रतिशत तक है. पूर्वोत्तर की बात की जाए तो अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम में अनुसूचित जनजाति के लिए 80 फीसदी तक आरक्षण है.