टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- भाजपा के खिलाफ बनीं इंडिया गठबंधन के सभी दल भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की ख्वाहिश तो रखते हैं. लेकिन, विडंबना देखिए जब भी सीट शेयरिंग की बात सामने आती है, तो तल्खियां, तेवर, नाराजगी और बगावती बोल देखने-सुनने को मिल जाती है. अभी तक यही देखा गया है कि सभी की हसरते कुछ ज्यादा ही है. गधबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को लेकर ही खटपट और खींचतान सामने आते रहती है. कभी–कभी तो लगता है कि सभी मजबूरियों का गठबंधन बनाए हुए हैं.
बंगाल में ममता ने फिर दिखायी आंख
अंदाजा पहले से ही लग रहा था कि सीट बंटवारे पर रार दिखेगी. बंगाल में ममता दीदी की तृणमूल कांग्रेस के तेवर और आंख दिखाने का सिलसिला थमा नहीं है. दीदी ने साफ-साफ कह दिया है कि गठबंधन के साथ तो है. लेकिन, पश्चिम बंगाल में किसी तरह का चुनावी समझौता तो नहीं करने वाली है. तल्ख मिजाज वाली दीदी ने बंगाल में अकेले बीजेपी से सामना करने का एलान कर दिया. उत्तर 24 परगना के चकला में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बोला कि कांग्रेस और लेफ्ट से किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी. दीदी ने तो कांग्रेस-वाम दल को बीजेपी से मिलीभगत तक की तोहमत लगा दी. जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना तक की हो. इन तमाम बातों और आरोपों के बाद तो तय है कि घमासान आगे इंडिया गठबंधन में दिखेगा. अगर पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों के समीकरण पर गौर करें तो 42 लोकसभा सीट वाले इस राज्य में भाजपा ने पिछले चुनाव में शानदार और अप्रत्याशित प्रदर्शन किया था. टीएमसी ने 22 और बीजेपी ने 14 सीट पर जीत दर्ज की थी. वही कांग्रेस ने 2 पर विजय हासिल किया था, जबकि वाम दल के हाथ खाली रहे थे. ऐसा लगता है कि टीएमसी किसी भी कीमत समझौता इसलिए नहीं करना चहती है, क्योंकि इससे उसका नुकसान औऱ सीटे खिसक सकती है. साथ ही बीजेपी के साथ कांग्रेस और वामदल के खिलाफ ही वोट बंगाल की जनता से मांगती रही है. दूसरा पहलू ये है कि बंगाल में बीजेपी तृणमूल के सामने अचानक एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी, जो एक वक्त पहले वाम दल थे. हालांकि, बंगाल की शेरनी मानी जाने वाली ममता बनर्जी ने पिछले विधानसभा चुनाव में अच्छी तरह से बीजेपी को पटखनी देकर अपनी ताकत का इजहार किया था. ऐसी हालत में आगे दीदी किसी भी तरह का कोई खतरा अपने वोटबैंक से मोल नहीं लेना चाहती. इसलिए समय-समय पर उसके बगावती बोल सुनाई पड़ते हैं.
महाराष्ट्र में शिवसेना के भी तल्ख तेवर
ममता की तरह महाराष्ट्र में भी महसूस होता है कि इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सीट बंटवारे को लेकर उद्धव गुट की शिवसेना ज्यादा समझौता करने के पक्ष में नहीं दिखती है. सांसद संजय राउत के बयान से तो यही समझ में आता है. राउत ने महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटों में 23 में दांवा ठोक दिया. उनके इस दांवे से महाराष्ट्र में उनके सहयोगी कांग्रेस और शरद गुट वाली एनसीपी में सीट शेयरींग को लेकर खटपट दिखेगी. इंडिया गठबंधन में एक बात और मनमुटाव का इशारा करती है, कि महाराष्ट्र के नागपुर से ही राहुल गांधी ने अकले चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया. जिससे पार्टी के एकला चलो की नीति दिखाई पड़ती है. ऐसे में आने वाला वक्त में महाराष्ट्र में भी लगता है कि सीट बंटवारें को लेकर घमासान होगा. यहां समझने वाली और दीगर बात ये दिखती है कि शिवसेना ने पिछला चुनाव बीजेपी गठबंधन के साथ मिलकर लड़ा था. 48 लोकसभा में 41 सीट बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने जीता था. भाजपा ने 23 और शिवसेना ने 18 सीट पर अपना परचम लहराया. एक तरह से क्लीन स्वीप ही किया था. वही, एनसीपी अपनी 4 सीट बचाने में कामयाब रही थी. जबकि कांग्रेस को 1 सीट पर ही विजय हासिल हुई थी. अभी के जो हालात उसमे दो फाड़ हो चुकी शिवसेना अंदरुनी चुनौतियों से ही जूझ रही है. इस पर भी दांवा 23 सीट का किया जा रहा है. इसे तो ये मालूम पड़ता है कि कही न कही आगे एक बड़ा घमसान होगा.
लोकसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे है, इंडिया गठबंधन बैठक पर बैठक तो कर रही है. लेकिन, हाथ और गले तो मिल जाते हैं, पर लगता है कि दिल नहीं मिलता. क्योंकि बराबर सहयोगी पार्टियों के बीच सीट बंटवारें को लेकर ही खटपट और विरोधी सुर सुनने को मिलती है. ऐसी हालत में देखना यहीं दिलचस्प होगा कि कैसे 28 दलों का यह गठबंधन आगे टिककर सारी चिजों को सुलझा पाता है, क्योंकि आगे चुनौती भाजपा जैसी दिग्गज पार्टी से है, जो लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाकर दिल्ली की सत्ता को बरकरार रखने को बेताब है.