टीएनपी डेस्क(TNP DESK): दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की बैठक के बाद आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था खस्ताहाल रहने की भविष्यवाणी की है. पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि वर्ष 2023 वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद मुश्किल भरा होने वाला है, उनके अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में अभी और कई गंभीर सुधार की जरूरत है. अब तक हम आर्थिक ठांचे के बुनियादी सुधार में असफल रहें हैं. उनका संकेत इस मामले में राजनीतिक इच्छा शक्ति में कमी को लेकर भी था.
रघुराम राजन की भविष्यवाणी इस लिए भी महत्वपूर्ण है
रघुराम राजन की भविष्यवाणी इस लिए भी महत्वपूर्ण है वर्ष 2023 की शुरुआत के साथ ही पूरी दुनिया में कर्मियों की छंटनी किये जाने की शुरुआत भी हो चुकी है. Swiggy, Amazon, Snapchat, Facebook, Twitter, Microsoft और दूसरे कंपनियों में छंटनी का दौर चल पड़ा है. 2023 के मात्र शुरुआती 15 दिनों में ही 91 आईटी कंपनियों के द्वारा करीबन 24 हजार से ज्यादा कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. साथ-साथ ही भारतीय स्टार्टअप कंपनियों के द्वारा भी छंटनी की शुरुआत हो चुकी है.
Twitter के अधिग्रहण के बाद एलोन मस्क भी नित्य नये प्रयोग कर रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर के अंत में विवादास्पद ट्विटर अधिग्रहण को निपटाने के लिए एलोन मस्क ने $ 44 बिलियन का भुगतान किया था. जिसके बाद परिणामस्वरूप मस्क ने टेस्ला के शेयरों में 40% से अधिक की गिरावट देखी गयी थी, ट्विटर हेडक्वार्टर में मस्क की एंट्री होते ही एक झटके में कंपनी के करीब 50 फीसदी एंप्लाई निकाल दिया गया. कंपनी अपने सोशल साइट से 50 हजार कर्मियों को बाहर निकाल रही है.
Microsoft
टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने वैश्विक स्तर पर 10,000 कर्मचारियों की छंटनी कर दी है. ये आंकड़ा कंपनी की कुल वर्क फोर्स का करीब 5 फीसदी से अधिक का है. कंपनी के सीईओ सत्या नाडेला के अनुसार यह पूरी छंटनी इस वर्ष मार्च में होगी.
Amazon
ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) ने साल 2023 की शुरुआत में ही Amazon Layoff का ऐलान कर दिया है. खबर है कि Amazon अपने करीबन 18000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने वाली है. इसकी शुरुआत मार्च से होगी, वैसे कर्मियों को इसकी सूचना दे दी गयी है. कर्मियों की ओर से सोशल मीडिया पर अपनी परेशानी को रखा जा रहा है.
Facebook (Meta) मंदी का हवाला देते हुए फेसबुक के द्वारा भी कर्मियों की छंटनी की जा रही है. कंपनी अपने 13 फीसदी कर्मियों की छंटनी कर चुकी है. यह सब कुछ कास्ट कंटिंग के नाम पर हो रहा है.
Alibaba- बीते साल Alibaba layoff के तहत 9471 कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. कोरोना के बाद कंपनी आर्थिक मंदी से गुजर रही है, इसके कारण कर्मियों की छंटनी कर कास्टिंग कम रही है.
Swiggy- फूड डेलीवेरी एप स्विगी भी अपने कर्मचारियों को निकालने की घोषणा की है. स्विगी ने घोषणा की है कि वह अपनी लेटेस्ट छंटनी प्रक्रिया के तहत 380 कर्मचारियों को निकालने वाली है. कंपनी ने प्रभावित कर्मचारियों को एक ईमेल भेज कर इसकी जानकारी दी है. फूड डिलीवरी कंपनी के सीईओ श्रीहर्ष मजेटी ने छंटनी के कई कारण बताए हैं और स्विगी द्वारा कर्मचारियों की संख्या कम करने के फैसले के लिए माफी मांगी है. सीईओ श्रीहर्ष मजेटी ने कहा कि हम पुनर्गठन अभ्यास के एक हिस्से के रूप में अपनी टीम के आकार को कम करने के लिए एक बहुत ही कठिन निर्णय लागू कर रहे हैं. इस प्रक्रिया में हम 380 प्रतिभाशाली स्विगस्टर्स को अलविदा कह रहे हैं. यह सभी उपलब्ध ऑप्शन को खोजने के बाद लिया गया एक अत्यंत कठिन निर्णय है.
स्विगी ने जिन प्रमुख कारणों का उल्लेख किया है, उनमें से एक चुनौतीपूर्ण व्यापक आर्थिक स्थिति है जिसका वह सामना कर रहा है. कंपनी ने खुलासा किया कि खाद्य वितरण की विकास दर धीमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप कम मुनाफा और कम आय हुई है.
कंपनी कह रही है कि वह प्रभावित कर्मचारियों को 3-6 महीने के बीच नकद भुगतान की पेशकश करेगी. यह उनके कार्यकाल और ग्रेड पर आधारित होगा. लोगों को या तो तीन महीने का सुनिश्चित वेतन, सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिए 15 दिन की अनुग्रह राशि और शेष अर्जित अवकाश भी प्राप्त होगा. स्विगी सभी प्रभावित लोगों को कम से कम 3 महीने के भुगतान की पेशकश करेगा और इसमें परिवर्तनीय वेतन या प्रोत्साहन शामिल हैं.
अन्य लाभों में मई 2023 तक चिकित्सा बीमा कवर, अगले तीन महीनों के लिए करियर ट्रांजिशन सपोर्ट और इस साल मार्च तक लिंक्डइन लर्निंग के साथ-साथ वेलनेस पोर्टल तक निरंतर पहुंच शामिल है. स्विगी ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने पिछले एक साल में स्थानांतरित किया है, उनके स्थानांतरण व्यय की प्रतिपूर्ति की जाएगी.
हर पांच भारतीय पेशेवरों में से चार के द्वारा नई नौकरी की तलाश
भारत के संदर्भ में यह दावा किया जा रहा है हर पांच भारतीय पेशेवरों में से चार के द्वारा नई नौकरी की तलाश की जा रही है. तब क्या माना जाय कि वर्ष 2023 में स्थिति और चिंताजनक होने वाली है. क्या हमारे युवा और भी बुरे दिन का इंतजार कर रहे हैं.
क्या रघुराम राजन जिस संकट की ओर से इशारा कर रहे हैं, वह महज एक राजनीतिक बयानबाजी है
क्या रघुराम राजन जिस संकट की ओर से इशारा कर रहे हैं, वह महज एक राजनीतिक बयानवाजी है. नहीं आंकड़ें इसकी गवाही नहीं देते. आंकड़ों के अनुसार कोरोना के पहली लहर में 1.45 करोड़, दूसरी लहर में 52 लाख और तीसरी लहर में 18 लाख लोगों की नौकरियां चली गयी थी. जुलाई 2020 से जून 2021 के बीच में किये गये एक सर्वे के अनुसार शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 3.3 प्रतिशत पाई गई थी. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के डेटाबेस पर आधारित सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 प्रतिशत हो गई थी. सेंटर के अनुसार 2019 में यही बेरोजगारी दर 5.27 प्रतिशत थी. खुद भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2020 में महामारी की पहली लहर में 1.45 करोड़ लोगों की नौकरी गई, दूसरी लहर में 52 लाख लोगों की और तीसरी लहर में 18 लाख लोगों की नौकरी गई.
भारत में रोज़गार संकट के लिए कई कारक जिम्मेदार
भारत में रोज़गार संकट के लिए कई कारक जिम्मेदार माने जाते हैं. आईटी नौकरियां और ई-कॉमर्स नौकरियां में रोजगार का संकट बना हुआ है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) का प्रयोग बढ़ने से आइटी सेक्टर स्वचालन की ओर बढ़ रहा है. जिसके कारण नौकरियां घट रही है. विनिर्माण के क्षेत्र में डिजिटलीकरण का प्रसार बढ़ रहा है. एक और पहलू यह है कि रोज़गार का विस्तार मुख्य रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में हो रहा है. कई औपचारिक क्षेत्र की नौकरियां भी अनौपचारिक बन रही हैं. जिन नौकरियों का विस्तार हो रहा है, वह मुख्य रूप से गिग वर्कर्स, स्कीम वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट लेबर की हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार