टीएनपी डेस्क(TNP DESK): हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह लगातार हिचकोंले खा रहा है, बर्बादियों का कहर उसका पीछा छोड़ता दिख नहीं रहा है. कल ही अडाणी समूह की ओर से 20.000 करोड़ का FPO वापस लेने की घोषणा की गयी थी. खुद गौतम अडाणी ने सामने आकर निवेशकों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि बहुत जल्द ही स्थिति सामान्य होने वाली है, कंपनी के दिन फिरेंगे. FPO वापस लेने के फैसले को निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने का एक बड़ा कदम बताया गया था. साथ ही इस कदम को कंपनी की नैतिकता से भी जोड़कर दिखाने की कोशिश की गयी थी. समूह का दावा था कि हिंडेनबर्ग रिपोर्ट देश के खिलाफ के एक साजिश है, हिन्दुस्तान को कमजोर करने का षडयंत्र है, लेकिन एफपीओ के बाद आज एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बॉन्ड प्लान लाने की योजना पर भी विराम लगा दिया गया.
बांड के सहारे करीबन 10 अरब रुपये की पूंजी जुटाने की थी योजना
कंपनी की योजना बांड के सहारे बाजार से करीबन 10 अरब रुपये (12.2 करोड़ डॉलर) की पूंजी उगाही करने की थी. यहां यह भी बता दें कि अडाणी समूह के द्वारा पहली बार बॉन्ड्स को पब्लिक सेल की योजना बनायी जा रही थी. इसके लिए अडाणी समूह Edelweiss Financial Services Ltd., AK Capital, JM Financial और Trust Capital के साथ मिलकर काम कर रही थी. हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह के शेयरों में अब तक 70 फीसदी की गिरावट आई है, उसका मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा घट गया है.
Edelweiss की ओर से किसी भी टिप्पणी से इंकार
हालांकि Edelweiss की ओर से इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार किया गया है. अडाणी समूह ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. Moody’s Investors Service के मुताबिक शेयरों में भारी गिरावट के कारण कंपनी के फंड जुटाने की क्षमता प्रभावित हुई है. खबर यह है कि कंपनी दूसरे माध्यमों से पूंजी जुटाने पर विचार करेगी. अडाणी समूह ने वर्ष 2022 में अंबूजा सीमेंट्स और एसीसी की खरीद की थी, जिसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय बैंकों से भी कर्ज लिया था. इस कर्ज को वर्ष 2024 से 2026 तक चुकाना है. अब इस स्थिति में कंपनी के सामने इन कर्जों को चुकाना एक चुनौती है. देखना होगा कि कंपनी इस चुनौती को कैसे पार करती है, इस संकट में कौन उसके साथ खड़ा होता है.
रिपोर्ट: देवेंद्र कुमार