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क्या तुलसीदास के समर्थन में खड़ा होकर राजद के जाल में फंस गयी भाजपा?

क्या तुलसीदास के समर्थन में खड़ा होकर राजद के जाल में फंस गयी भाजपा?

पटना(PATNA): “पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा” रामचरित मानस की ये पंक्तियां अब मानस के पन्नों से बाहर निकल बिहार के कोने-कोने सुनी जा रही है. दरअसल बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर ने इन पंक्तियों को उद्धृत कर शांत पड़े बिहार की राजनीति में बवाल खड़ा कर दिया. एक कार्यक्रम के दौरान इन पंक्तियों को उद्धृत करते हुए उनके द्वारा दलित, पिछड़ों और दूसरे वंचित वर्गों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किये गये हैं. चन्द्रेशखर ने अपने बयान में यह साफ तौर पर कहा है कि तुलसीदास रचित रामचरित मानस ‘बंच ऑफ थौट’ और ‘मनुस्मृति’ के समान ही विभाजनकारी ग्रन्थ है, साथ ही हिन्दू समाज के कथित तौर पर निम्न माने जानी जातियों के लिए इसमें नफरत भरा है.

शायद यह बात आयी गयी हो जाती, लेकिन प्रोफेसर चन्द्रशेखर को लेकर भाजपा जरुरत से ज्यादा आक्रमक हो गयी, इन पंक्तियों को हिन्दू अस्मिता से जोड़े जाने की कोशिश की गयी. उसके द्वारा चन्द्रशेखर के इस्तीफे की मांग भी की जाने लगी.

रामचरित मानस की रचना के बाद बह चुका है गंगा में काफी पानी

लेकिन किसी बयान को खींच कर राजनीतिक लाभ लेने की हड़बड़ी में भाजपा शायद यह भूल कर बैठी कि इस देश की एक बड़ी आबादी दलित, पिछड़ों और दूसरे निम्न माने जाने वाली जातियों की है. वह इस बात को भी भूल गयी कि भाजपा की इन कोशिशों को दलित, पिछड़ों का विरोध माना जा सकता है. क्योंकि भारतीय समाज अब वह नहीं रहा, जिस समय इस ग्रन्थ की रचना हुई थी, तब से गंगा में काफी पानी बह चुका है. दलित, पिछड़ों सहित दूसरे सामाजिक और जातीय समूहों काफी जागृति आ चुकी है, वैसे भी देश में यह काल पिछड़ों की राजनीति का माना जाता है. अब किसी भी राजनीतिक और सामाजिक समूहों को इन जातियों के प्रति माइंड सेट में बदलाव की जरुरत है.

तेज हो गई प्रोफेसर चन्द्रशेखर के पक्ष में पिछड़े- दलितों की गोलबंदी

जैसा की माना जा रहा था इस विवाद को सामने आते ही पिछड़ों, दलितों के सामाजिक संगठनों की ओर से प्रोफेसर चन्द्रशेखर के पक्ष में गोलबंदी की जाने लगी. इसे वंचित जातियों की अस्मिता और पहचान से जोड़ कर देखा जाने लगा. देश के दूसरे अम्बेडरवादी संगठन भी मैदान में कूद पड़ें. और भाजपा जिसे अब तक हिन्दू समाज की अस्मिता से जोड़ कर देख रही थी, वह मुद्दा अब दलित-पिछड़ों के विरोध में जाता दिखने लगा.

राजद को पिछड़े, दलित और दूसरे वंचित जातियों का चैम्पियन बनने का मिला मौका

राजद के द्वारा कुछ दिनों तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधी गयी, लेकिन ज्योंही लगा कि अब इस मुद्दे पर दलित-पिछड़ों के सामाजिक संगठनों की चंद्रशेखर के पक्ष में गोलबंदी तेज हो गयी है, राजद के द्वारा भी इस मुददे पर चुप्पी तोड़ दी गयी.

राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने की थी समर्थन की शुरुआत

इसका पहला संकेत तब मिला जब राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने खुलेआम चन्द्रशेखर की पीठ थपथपाते हुए कहा कि पूरा राजद परिवार उनके साथ खड़ा है, किसी भी सूरत में मंडलवादी राजनीति को कमंडल के आगे नतमस्तक नहीं होने दिया जायेगा.

85 फीसदी हिंदुओं का अपमान कब तक सहेगा हिंदुस्तान?

यही कारण है कि अब राजद कार्यालय के बाहर “पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा’  का पोस्टर लगाकर शिक्षा मंत्री के बयान का समर्थन किया जा रहा है. 85 फीसदी हिंदुओं का अपमान कब तक सहेगा हिंदुस्तान?  क्या भाजपा को 85% हिंदुओं दलित , अति पिछड़ा का अपमान मंजूर है? जैसे पोस्टर लगाये जा रहे हैं.

राजद के सामने दलित-पिछड़ों का चैंपियन बनने का अवसर

दरअसल राजद को ज्योंही यह एहसास हुआ कि यह मुद्दा उसके लिए दलित पिछड़ों को अपने पक्ष में करने का एक अवसर है, उसने बिना देरी किये अपने शिक्षा मंत्री के बचाव में उतर गयी. उसने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह अपने मंत्री (राजेन्द्र पाल गौतम ) की बलि नहीं चढ़ाई, बल्कि उसके पक्ष में खड़ा होकर अपने को पिछड़ों और वंचित जातियों का सच्चा चैंपियन साबित करने की रणनीति बनायी.

वैसे इस मामले में काफी कुशल रणनीति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रही, उनके द्वारा इस मुद्दे पर किसी भी लाइन का अनुशरण नहीं किया गया, चुप्पी ही उनकी सफल रणनीति रही. वैसे इसके भी जोखिम कम नहीं है.

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार  

Published at:19 Jan 2023 04:12 PM (IST)
Tags:BJP fallen into RJD trapBJP RJDsupport of TulsidasBJP TRAPPED IN TULSIDAS BJP TRAPPED IN RJD BJP BIHAR NEWS
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