☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. Trending

पुरुषों के समाज में नातिन ने नाना की अर्थी को दिया कंधा, मुखाग्नि देकर कराया दाह संस्कार       

पुरुषों के समाज में नातिन ने नाना की अर्थी को दिया कंधा, मुखाग्नि देकर कराया दाह संस्कार       

औरंगाबाद(AURANGABAD): दाह संस्कार के मामले में पुरुषों के परंपरागत अधिकार को औरंगाबाद की छात्र नेत्री आशिका ने चुनौती दी है. आशिका ने न केवल अपने नाना की अर्थी को कंधा दिया बल्कि उन्हे मुखाग्नि भी दी और दाह संस्कार भी कराया.

बीमार होने से पहले आशिका ने खूब की नाना की सेवा

गौरतलब है कि आशिका के नाना अम्बा प्रखंड के डुमरा निवासी रामविलास सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी नातिन अभाविप की प्रदेश मंत्री सह शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज छात्र संघ की अध्यक्ष आशिका सिंह ने लगभग एक वर्ष से उनका अम्बा, औरंगाबाद और पटना के रूबन हॉस्पिटल, पटना आईजीएमएस, पीएमसीएच जैसे अस्पताल में इलाज कराया. दो माह पूर्व पटना के एक अस्पताल में आइसीयू में रखने के बाद डॉक्टर ने कह दिया कि हार्ट ब्लॉक हो गया है. अब उम्मीद कम है.  बस एक दो दिन से ज़्यादा जीने की उम्मीद नही है. फिर भी कहते हैं न कि जब दवा और डॉक्टर काम न आए तो फिर सेवा और भगवान से की गई प्रार्थना और पूजा पर ही एकमात्र भरोसा रह जाता है. इसी प्रकार आशिका ने नाना की एक साल से ज़्यादा समय तक सेवा की. उनके जीने का सहारा बनी. बिस्तर पर ही पड़े रहने पर नाना को ख़ाना खिलाना और रोज़ स्नान कराना आशिका का आरोज का काम था. अपने नयाना को बचाने का प्रयास आशिका ने भरपुर किया.

19 नवंबर को हो गयी नाना की मृत्यु

मगर, जो नियति को मंज़ूर होता है, उसे कोई रोक नही सकता और 18 नवम्बर को नाना को अचानक थोड़ी परेशानी हुई. फिर डॉक्टर की सलाह से दवा दी गयी. फिर स्थिति कुछ नार्मल हुई और वें रात में सोए और अचानक 19 नवम्बर के दिन उनकी मृत्यु हो गई.  आशिका के नाना रामविलास सिंह गांव के ज़मींदार थे. उन्होंने कईं ऐसे गरीब परिवारों को दान में जमीन दी थी, जिन पर लोग आज घर बनाकर और फसल उगाकर सम्पन्न जिंदगी जी रहे हैं. गरीब बेटियों की शादी में पैसे देकर मदद करना हो, चाहे जरूरतमंदों का इलाज या पैसे कपड़े दान करना हो, यह सब उनके स्वभाव में था.

आशिका को देनी पड़ी मुखाग्नि

इन सबसे प्रेरणा लेकर अशिका ने भी समाजसेवा कर अपनी एक अलग पहचान बनायी है. आशिक के नाना का सपना था कि अपने हाथों से वे नातिन का कन्यादान करें. परंतु अशिका को उल्टे उन्हें मुखाग्नि देनी पड़ी. हालांकि हिंदू मान्यता के अनुसार शवयात्रा में शामिल होने, अर्थी को कंधा देने और मुखाग्नि देने जैसे कर्मकांड पुरुष ही करते हैं. महिलाओं की भूमिका घर तक ही सीमित है परंतु अशिका ने अर्थी को कंधा भी दिया और वाराणसी के शमशान घाट पर उन्हें मुखाग्नि भी दी और वह पूरा कर्म कांड करते हुए नातिन होने का फर्ज निभा रही है. आशिका का पालन पोषण भी नाना और नानी ने ही किया था. आशिक के नाना-नानी के कोई पुत्र नही थे. सिर्फ बेटी ही थी.

Published at:25 Nov 2022 06:16 PM (IST)
Tags:aurangabad news aurangabad news biharnews daughter did last riot granddaughter did last riot of grandfather last riot grandfather last riot bihar
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.