बिहार(BIHAR): बिहार में शराब की सियासत जोरों पर है. शराब को लेकर पक्ष प्रतिपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी बयानबाजी से अपना-अपना पक्ष रख रहें हैं. परंतु वास्तविकता यही है कि शराब बंदी के बावजूद आए दिन शराबी सड़कों पर मिल रहे हैं. अभी हाल के दिनों मे कई ऐसे मामले आए जिसमें शराबी ने खुद कहा कि हां मैं रोज शराब पीता हूं, वो भी 20 से 40 रुपये में. एक शराबी ने तो यहां तक कह दिया कि मैं पुलिस के सामने ही शराब पीता हूं.
नीतीश पर बरसे गिरिराज, दे डाली बड़ी नसीहत
इस मामले पर नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि शराब तो सचमुच भगवान हो गया है, जो रहता हर जगह है पर दिखता नहीं. बिहार में शराब को आपके समर्थक और आम लोग भगवान मानते हैं. आखिर आपके अपने लोग ही आप पर निशाना साध रहें. आखिर बिहार में शराब बंदी सिर्फ सियासत का एक मोहरा है. असल मे नीतीश की शराब बंदी के बावजूद लोग जहरीली शराब से मर रहे हैं. हर जगह शराब बिक रही है. CM नीतीश राजनीतिक फायदे में नाम का शराबबंदी किए हुए हैं और लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जल्द इस्तीफा दें. अब समय आ गया है जब नीतीश को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए और आनेवाला जनादेश भाजपा के साथ है इस बात का पता कुढ़नी उपचुनाव मे नीतीश को चल जाएगा. बता दें कि बिहार में गिरिराज ने नीतीश पर सीधा जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि शराब को आपके लोग भगवान मानते हैं और CM नीतीश राजनीतिक फायदे के लिए बिहार में शराबबंदी नाम का लागू किए हुए हैं जिसके कारण आज बिहार के हर कस्बे में जहरीली शराब धड़ल्ले से बिक रही है और लोग मौत के घाट उतारे जा रहे हैं इतना ही नहीं अब तो आपके गठबंधन के लोग भी आप की नीतियों को विफल बता रहे और खुलेआम सड़क पर आपका कहीं बोतल दिखा कर कहीं कुर्सी फेंक कर जमकर विरोध कर रहे इतना ही नहीं पूरा सिस्टम आज शराब के पीछे लगा हुआ है और शराबबंदी बिहार में दिख नहीं रही जिससे बिहार में लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति काफी भयावह हो गई है.
तेजस्वी के मंत्री ने कहा शराब है भगवान !
बता दें उपचुनाव सिर पर है ऐसे में शराब एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. नेता, मंत्रियों के बयान बाजी लगातार जारी है. अभी बीते दिन ही राजद के मंत्री चंद्रकांत ने ये कहा कि बिहार में शराब भगवान बन गया है जो हर जगह मौजूद है पर दिखता कहीं नहीं. अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए मंत्री ने कहा कि शराबबंदी मुद्दा नही होना चाहिए. मुद्दा रोजगार विकास होना चाहिए. कम से कम बिहार मे शराब के कारण कोई अपराध तो नहीं हो रहा है. लोगों में डर तो है. भले बोतलें मिल रही पर शराब नहीं मिल रहा.
शराब बंदी ने बढ़ाई सरकार की रिवेन्यू
बताते चले कि इस शराब बंदी में शराबियों ने बिहार के राजकोष को भर दिया है. 2016 से बिहार मे शराबंदी लागू है और तब से अब तक करोड़ों रुपये जुर्माने के रूप में पुलिस वसूल चुकी है. इस साल अप्रैल मे शराब पीने के अपराध मे 3075 अभियुक्तों को पकड़ा गया था जिनसे करीब 52 लाख 62 हजार वसूली हुई. मई के महीने में 5887 लोगों को पकड़ा गया और वसूली हुई 1.39 करोड़ वसूली. जून में 8651 गिरफ़्तारी और वसूली 2.6 करोड़, जुलाई में 11557 गिरफ़्तारी वसूली 2.90 करोड़, अगस्त में 18757 गिरफ़्तारी वसूली 5.63 करोड़, सितंबर मे 20690 गिरफ़्तारी और वसूली 5.3 करोड़, साथ ही पहले के 3559 अभियुक्तों पर धारा 37 के तहत 5 हजार जुर्माना लेकर छोड़ा गया. इन आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि शराबबंदी मे शराबियों की संख्या बढ़ती ही जा रही और वसूली का ग्राफ भी उच्चतम गति से बढ़ रहा है. ऐसे में बिहार मे शराब बंदी सफल या असफल ये तो नही पता पर इस बार के चुनाव में शराब एक महत्वपूर्ण मुद्दा जरूर रहेगा.