TNP DESK- प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता का तस्वीर में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर इस बात को बताया है कि ऊपरवाला सबके साथ न्याय करता है. उसे 1999 में भगा दिया गया था. आज ऐसी स्थिति हो गई है कि शेख हसीना को देश छोड़ कर भागना पड़ा. तस्लीमा नसरीन ने आगे कहा कि बांग्लादेश में उनकी मां मृत्युशय्या पर थी.उसे देखने बांग्लादेश गई थी. उसके बाद बांग्लादेश में घुसने नहीं दिया गया. बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरवाद के दबाव में यह सब किया गया. आज उसी तत्व ने शेख हसीना को देश से भागने के लिए मजबूर कर दिया.
तस्लीमा नसरीन ने आगे क्या कहा जानिए
' लज्जा ' उपन्यास की लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने आगे लिखा कि वे कट्टरवाद के खिलाफ हमेशा आवाज उठाती रहीं. इसलिए उनके खिलाफ बांग्लादेश प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया. आज उसी कट्टरवाद ने देश में यह स्थिति उत्पन्न कर दी. बांग्लादेश के छात्र पर इस्लामी कट्टरवाद का प्रभाव डाला जा रहा है.
मालूम हो कि तस्लीमा नसरीन निर्वासन की जिंदगी जी रही हैं. 1993 में उनकी रचना 'लज्जा' प्रकाशित हुई थी. 1994 में इस पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगा दिया था. 1999 के बाद आजतक वह बांग्लादेश नहीं जा सकी हैं. आज बांग्लादेश में सेना का दबदबा बढ़ रहा है. तस्लीमा नसरीन ने आगे कहा कि यहां के युवाओं को देखना चाहिए कि देश में सैन्य शासन ना हो जाए. आंदोलनकारियों को यह सोचना चाहिए कि यह देश पाकिस्तान नहीं बन जाए.