टीएनपीडेस्क(TNPDESK): देश ने एक सोना को खो दिया है. तभी तो मोदी से लेकर राहुल तक उनके जाने पर दुख जाता रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके निर्णय को याद किया जा रहा है. जो सदियों तक भूल नहीं सकते है. जब कहीं भी विकसित भारत की बात होगी. उसमें सरदार मनमोहन का जिक्र जरूर होगा. चाहे आर्थिक संकट की बात हो या डिजिटल पहचान की या फिर शिक्षा का अधिकार सभी क्षेत्र में ऐसा निर्णय लिया. जिसे दुनिया ने सराहा है.
जब बर्बाद हो जाता भारत
सबसे पहले 90 के दशक में जब डॉ मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे. यह ऐसा समय था जब देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा था. भारत की अर्थ व्यवस्था बर्बाद होने के कगार पर थी.लेकिन ऐसे दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के साथ मिल कर वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने नई नीति पर काम शुरू किया.1991 -92 का बजट आर्थिक मंदी के बीच पेश किया. साथ ही देश का सोना विदेशी बैंक के पास गिरवी रख कर कर्ज लिया. इसके बाद देश की आर्थिक मंदी को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा मोड आया. बर्बाद होने की कगार से विश्व की तीसरी बड़ी अर्थ व्यवस्था पर भारत को पहुँचने में इनकी नीति हमेशा याद रहेगी.
सूचना का अधिकार दिया
इसके अलावा मनमोहन सिंह ने देश के नागरिक को ऐसा हथियार दिया. जिससे हर नागरिक सूचना के अधिकारी से सरकारी काम काज की जानकारी ले सकता है. साल 2005 में मनमोहन सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम लाया. जिससे यह अधिकार जनता को दिया गया की वह किसी भी सरकारी कार्यालय से कोई जानकारी प्राप्त कर सकता है.इस सूचना के अधिकार को भी लोग याद रखेंगे.
हर हाथ रोजगार का देखा सपना
इसके अलावा सितंबर 2005 में ही रोजगार गारंटी अधिनियम लाया. जिससे जॉब कार्ड बना कर हर मजदूर को रोजगार देना सुनिश्चित किया गया. सरकार का यह निर्णय पलायन रोकने और ग्रामीण स्तर पर रोजगार देने में एक बड़ा निर्णय साबित हुआ. कम से कम वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोजगार देना इस अधिनियम में शामिल है. मानरेगा के जरिए गाँव में योजनाओं का चयन करने के बाद गाँव के ही मजदूर से काम कराना सुनिश्चित किया गया. इसका प्रस्ताव को 1990 में नरसिम्हा राव की सरकार में पेश किया गया. लेकिन इसे लागू 2005 में किया गया.
शिक्षा का अधिकार
साल 2010 में मनमोहन सिंह ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाया. जिसमें 06 से 14 साल के बच्चें को शिक्षा देना शामिल था. इसमें देश के बच्चों को निशुल्क शिक्षा का अधिकार दिया है. इस अधिनियम ने देश की सक्षरता दर बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है. बच्चों को बेहतर शिक्षा का अधिकार मिला. जिसे शिक्षा की तस्वीर बदल गई. इस कानून के लागू होने के बाद भारत दुनिया के 134 देश में शामिल हो गया जहां शिक्षा का अधिकार का कानून बना हुआ है.
आधार से बदलती भारत की तस्वीर
साल 2010 में ही मनमोहन सिंह ने आधार योजना को लाया था. जिससे एक सपना देखा की भारत में एक ऐसा पहचान पत्र हो जिसका इस्तेमाल सभी जगह पर किया जा सके. इस पहचान पत्र में व्यक्ति की पूरी पहचान रखा जा सके. फिंगर प्रिन्ट से लेकर आँख और चेहरे से पहचान किया जा सके. साथ ही मनमोहन सिंह ने ही इस आधार कार्ड की पूरी तैयारी किया था. बाद में 2010 में सदन से इसे पास कर दिया गया. पहला आधार कार्ड एक मराठी महिला को दिया गया था. अब 2024 में हम है और आधार कार्ड हमारी जरूरत में से एक बन गया है.