रांची(RANCHI)- राजीव एक्का प्रकरण में भाजपा अब सीधे-सीधे हेमंत सोरेन से टकराने का मन बना लिया है, बहुत संभव है शेष बजट सत्र में यह मुद्दा तूफान लाने वाला साबित हो. ईडी को सौंपे गये अपने ज्ञापन में भाजपा ने यह दावा किया है कि राजीव एक्का के सहारे गृह विभाग की सारी संवेदनशील फाइलें विशाल चौधरी के कार्यलाय तक पहुंचती थी, जिसके बाद संबंधित पक्ष को फोन कर विशाल चौधरी का कार्यालय बुलाया जाता था, फिर शुरु होती थी उगाही का खेल, इसकी एक छोटी सी राशि राजीव अरुण एक्का के हाथ लगती थी, जबकि शेष राशि सीधे हेमंत तक जाती थी.
गोपनीयता भंग करने का आरोप
भाजपा का दावा यह भी है कि इस प्रकार राजीव अरुण एक्का और खुद सीएम हेमंत अपनी गोपनीयता की शपथ को भंग कर रहे थें, यह बेहद ही संवेदनशील मामला है, और इस प्रकार राज्य सरकार की संवेदनशील जानकारियां राज्य के उग्रवादी और आतंकवादी समूहों के पास पहुंचने की किसी संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
पूर्व सीएम बाबूलाल ने जारी किया था वीडियो क्लिप
यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने एक वीडियो क्लिप जारी कर सीएम हेमंत के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का पर विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर सरकारी फायलों का निस्पादन करने का गंभीर आरोप लगाया था, जिसके बाद आनन-फानन में राज्य सरकार ने एक्का को प्रधान सचिव के पद से हटाकर पंचायती राज विभाग भेज दिया था. लेकिन भाजपा अब इस पूरे मामले में सीएम हेमंत की भूमिका की जांच की मांग कर रही है.
खतरनाक आरोपों में कितनी सच्चाई?
यहां हम बता दें कि अपने जवाब में राजीव अरुण एक्का ने यह दावा किया था कि वह अपने मित्र के कार्यलय में बैठकर उसे एकाउंट का कुछ गुढ़ समझाने की कोशिश कर रहे थें, किसी पदाधिकारी को किसी से दोस्ती होना अपराध नहीं है और यह की उनके द्वारा कभी भी किसी फाइल को अपना कार या आवास पर ले जाया जाता है.
लेकिन भाजपा का दावा है कि अपने बयान में ही राजीव अरुण एक्का ने यह स्वीकार कर लिया कि वह विशाल चौधरी के कार्यालय में बैठते रहे हैं, और उनके साथ उनकी अच्छी दोस्ती है. जबकि सच्चाई यह है कि विशाल चौधऱी की पहचान सत्ता के गलियारों में सक्रिय एक दलाल के रुप में है. और वह उनके निजी कार्यलय में फाइल को निस्तारित करते हुए देखे जा रहे हैं. यह एक जांच का विषय है. राज्य की संवेदनशील सूचनाओं से जुड़ा हुआ है.