रांची(RANCHI): बड़हरवा टेंडर विवाद मामले की सुनवाई बीते कल यानी शुक्रवार को जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में हुई. अदालत ने मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी करते हुए कई सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जानबूझकर मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा पर चार्जशीट दायर नहीं की है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों को बचाने के लिए पुलिस ने चार्जशीट नहीं की है. बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.
संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री का धमकी देना चिंता : कोर्ट
कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई के अलावा मंत्री को भी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि दोनों संवैधानिक पद पर बैठे हैं और ऐसे में उनके द्वारा किसी को ठेका की प्रक्रिया में शामिल नहीं होने की धमकी देना चिंता का विषय है. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि मंत्री आलमगीर और पंकज पर गंभीर आरोप होने के बावजूद पुलिस ने क्लीन चिट दे दी, यह और चिंता का विषय है.
जानिए बड़हरवा टेंडर विवाद याचिका में क्या है?
बता दें कि बड़हरवा टेंडर विवाद में शंभु नंदन कुमार ने याचिका में कहा है कि बड़हरवा टोल प्लाजा टेंडर विवाद में उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसमें आलमगीर और पंकज पर टेंडर में भाग नहीं लेने की धमकी देने का आरोप था. पंकज ने प्रार्थी को टेलीफोन पर धमकी दी थी लेकिन पुलिस ने उसके वॉइस रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच नहीं कराई और आधे घंटे में 14 गवाहों का बयान ले पुलिस ने पंकज और आलमगीर आलम को क्लीन चिट दे दी.
कोर्ट ने ईडी को साक्ष्य पेश करने को कहा
अदालत में सुनवाई के दौरान जज ने सीबीआई और ईडी से भी जवाब दाखिल करने को कहा है. वहीं, कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान ईडी को साक्ष्य पेश करने को कहा है. बता दें कि कोर्ट की टिप्पणी के बाद पुलिस, मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा तीनों की मुसीबत बढ़ सकती है. अब देखने वाली बात होगी कि ईडी कोर्ट के सामने क्या साक्ष्य प्रस्तुत करती है और कोर्ट क्या टिप्पणी करती है.