टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-तेलंगाना चुनाव में तमाम तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं. हर पार्टी के नेता विरोधियों को कमतर आंक कर आगे निकलने जाने की होड़ में मशगूल दिखाई पड़ रही हैं. दरअसल, हैदराबाद में एक पुलिस अधिकारी को कथित तौर पर धमकी देने के मामले में एमआईएमआईएम के नेता और प्रत्याशी अकबरुद्दीन औवेसी के खिलाफ लगातार हमले हो रहे हैं. असम के मुख्यमंत्री ने हेमंत कुमार विस्वा ने तो साफ कर दिया कि अगर ये चिजे असम में हुई होती तो पांच मिनट में पुलिस ही हिसाब कर देती. उन्होंने इसे तुष्टिकरण की राजनीति से प्रेरित बताया.
आम लोगों को खतरा महसूस होगा
असम के मुख्यमत्री ने बुधवार को तेलंगाना में एक रैली में भाजपा की तरफ से प्रचार करने आए थे. अकबरुद्दीन ओवेसी के बयान को लेकर उन्होंने भी इसका विरोध जताया और साफ-साफ लहजे में कहा कि अगर असम में ऐसा हुआ होता तो मामला पांच मिनट में सुलझ गया होता. उन्होंने विरोधियों पर आरोप लगाया कि, तेलंगाना में तुष्टिकरण की राजनीति के कारण न तो बीआरएस और न ही कांग्रेस कुछ कह रही है. उनका साफ कहना था कि अगर इस तरह पुलिस को खुलेआम धमकी दी जा रही है, तो फिर आम इंसान को भी इससे खतरा महसूस होगा, जो किसी भी लहजे से सही नहीं है. भाजपा नेता हेमंत बिस्वा ने चुनाव आयोग से अकबरूद्दीन ओवेसी की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है .
क्या था मामला ?
आपको बता दें कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी के भाई अकबरुद्दीन ओवेसी पुलिसवाले को धमकी देने का आरोप लगा था. ओवेसी के इस करतूत पर थाने में मामला दर्ज किया गया. दरअसल, पुलिस इंस्पेक्टर अकबरुद्दीन को विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता का पालन करने की गुजारिश की थी, तब ही ये मामला सामने आया. अकबरूद्दीन ओवेस ने पुलिस इंस्पेकटर को ये धमकी दी थी कि कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ है, जो उन्हें रोक सके.