धनबाद(DHANBAD): 85 साल की उम्र में बुधनी मझिआइन का निधन हो गया. यह कोई साधारण महिला नहीं थी. 6 दिसंबर 1959 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ डीवीसी पंचायत डैम का उद्घाटन से वह चर्च में आई थी. इस दौरान माला पहनाने के कारण आदिवासी समाज ने बुधनी को बहिष्कृत कर दिया था.
बुधनी कई महीनों से बीमार चल रही थी. बुधनी का पैतृक गांव तत्कालीन मानभूम जिला के खैरबना में था. जो डैम के निर्माण के समय विस्थापित हो गया था. बुधनी को लेकर समय-समय पर मामला उछलता रहा. राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके समक्ष बुधनी का मामला आया, तो उन्होंने डीवीसी में नौकरी दिलवाई. डीवीसी ने साल तोड़ में बुलाकर बुधनी को नौकरी दी थी. सेवानिवृत्ति के बाद वह सालतोड़ में ही रह रही थी. बुधनी की एक पुत्री है. पुत्री की शादी हो चुकी है.
प्रधानमंत्री को माला पहनाने पर समाज से कर दिया था बाहर
पंचेत डैम के उद्घाटन समारोह में बुधनी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का स्वागत करते हुए उन्हें माला पहनाई थी. उस रात संथाली समाज की बैठक हुई. कहा गया की बुधनी अब नेहरू की पत्नी बन चुकी है, क्योंकि समाज की परंपरा के मुताबिक अगर कोई महिला किसी पुरुष के गले में माला डालती हैं, तो इसका मतलब है कि उसने उस व्यक्ति के साथ विवाह कर लिया है. समाज ने उसे जाति और गांव से बाहर निकलने का फैसला सुना दिया. उसके बाद वह बगल के पुरुलिया जिला के सालतोड़ में काम की तलाश में चली गई. लोग बताते हैं कि वहां वह शादी कर ली थी. उसका मामला जब राजीव गांधी के सामने आया तो उन्होंने डीबीसी को बुधनी को खोज निकालने का आदेश दिया. फिर उसे नौकरी दिलवाई. 85 वर्ष की उम्र में बुधनी का शुक्रवार को निधन हो गया.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो