टीएनपी डेस्क(TNP DESK): केन्द्रीय बजट के बाद अब सभी झारखंड वासियों की निगाहें झारखंड के बजट पर टिकी हैं. केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में लोगों को भारी छूट दी है. अब ऐसी ही किसी बड़े फैसले की आस लोग झारखंड सरकार से लगाए हुए हैं. झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 27 फरवरी से 24 मार्च तक चलेगा. इस बजट सत्र को लेकर सरकार ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. जानकारी के मुताबिक, मार्च के पहले हफ्ते में राज्य सरकार बजट पेश करेगी. बजट को लेकर सरकार के सभी विभाग लगे हुए हैं और बजट को अंतिम रूप देने में लगे हैं.
बजट को लेकर मुख्यमंत्री ने बुलाई बैठक
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के अगले आम बजट के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए यह बैठक होगी. इसमें बजट के स्वरूप पर चर्चा होगी. प्रोजेक्ट भवन के सभागार में आज यानी 3 फरवरी को दोपहर 2:30 से यह बैठक होगी. बैठक में वित्त मंत्री के अलावा विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव और विभागीय प्रमुख शिरकत करेंगे. मुख्यमंत्री वर्तमान वित्तीय वर्ष में हुए खर्च का भी मूल्यांकन करेंगे.
इस बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के अलावा विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह और सभी विभागों के वरीय अधिकारी मौजूद रहेंगे और इनसे विभागों की मांग पर चर्चा होगी. सभी विभागों के प्रमुखों को वर्तमान वित्तीय वर्ष में हुए खर्च का ब्यौरा भी लेकर आने को कहा गया है. झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 23 फरवरी से संभावित है. बजट बनाने को लेकर 30 जनवरी को विकास आयुक्त ने विभाग वार एक समीक्षा बैठक पहले ही की है.
आम आदमी केंद्रित होगा राज्य का आगामी बजट
आने वाला नया वार्षिक बजट लोक बजट (पीपुल्स बजट) है. इसके संकेत वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने दिए थे. तमाम लोगों से राय ली गई है. राज्य के अलग-अलग जगहों के लोगों से बात की गई है.
बजट के बारे में बताया गया है कि बजट बनाने के लिए समाज के विभिन्न तबकों और अलग-अलग विशेषज्ञों से राय ली जा रही है. नया बजट मुख्य रूप से आम आदमी पर केंद्रित होने की संभावना है. झारखंड में अभी सबसे बड़ी समस्या गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन की है. इसी को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार किया जाएगा. इन समस्याओं के समाधान के लिए बजट में प्रावधान किया जा सकता है. बजट में बेरोजगारी दूर करने के लिए रोजगारसरिजन पर जोर दिया जा सकता है. रोजगार मिलेगा तो गरीबी भी दूर होगी. इसके साथ ही सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान किसानों पर होगा. राज्य के किसान सुखाड़ की मार झेल रहे हैं. ऐसे में बजट में किसानों के लिए कई घोषणाएं हो सकती है.
झारखंड की 71 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर करती है. ऐसे में सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान किसानों पर होगा. किसान और कृषि को लेकर बजट में विशेष प्रावधान किये जा सकते हैं. इसके साथ ही सिंचाई आदि क्षतेरों पर भी बजट में ध्यान रखा जाएगा.
चुनावी वादों पर होगी सरकार का विशेष ध्यान
कृषि और गरीबी के अलावा राज्य सरकार अपने चुनावी घोषणाओं पर ध्यान देगी. बहुत सारे वादे सरकार अभी पूरा नहीं कर पाई है. इसके साथ ही कोविड की संभावित लहर को देखते हुए और राज्य में लचर स्वस्थ्य व्यवस्था को देखते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार विशेष ध्यान देगी. बता दें कि बजट को लेकर राज्य के सभी विभाग अपने प्रस्ताव भेजेंगे. इन प्रस्तावों के बाद ही बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा. जिसके बाद बजट सत्र में सरकार इस बजट को प्रस्तुत करेगी.
पिछले बजट का पैसा खर्च नहीं कर पाई सरकार
वहीं झारखंड सरकार का कामकाज, योजनाओं के प्रति गंभीरता, सरकारी मशीनरी की कार्यशैली, उसके बजट खर्च से भी आंकी जाती है. वित्तीय वर्ष 2022 तक का बजट 1,01,101 करोड़ रुपए का था. राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने पिछले बजट सत्र में बहुत उत्साहित होकर इसे पेश किया था.
सबसे बुरा हाल तो कृषि विभाग का
चलिए हम बताते हैं कि दिसंबर तक सरकार के विभिन्न विभागों ने जो पैसे लिए उसका कितना उपयोग किया. सबसे बुरा हाल तो कृषि विभाग का है जहां महज 9.42 प्रतिशत राशि खर्च हुई है. पर्यटन विभाग ने 7.93 प्रतिशत राशि खर्च की है. आपदा प्रबंधन विभाग ने एक पैसा नहीं खर्च किया है.
इन विभागों में इतना हुआ खर्च
कुछ प्रमुख विभागों के खर्च के संबंध में हम और बताते हैं. भवन निर्माण विभाग ने 55.82, ऊर्जा विभाग ने सबसे अधिक 96.22, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग 67.55, ग्रामीण विकास 36.24, पथ निर्माण विभाग 51.42,श्रम विभाग 52.69, जल संसाधन विभाग 44.50, आदिवासी कल्याण 67.10, महिला एवं बाल विकास विभाग ने 71. 54 प्रतिशत राशि खर्च की है.
57,259 करोड़ रुपए में से दिसंबर 2022 तक मात्र 25,305.52 करोड़ रुपए खर्च हुए
वर्तमान वित्तीय वर्ष के 3 महीने के कार्यकाल में सौ फ़ीसदी राशि खर्च करने की चुनौती हेमंत सरकार पर है. मूल बजट के ये आंकड़े हैं. इसके अतिरिक्त अनुपूरक बजट में राशि अलग से ली गई है. प्लान आउटले के तहत 57,259 करोड़ रुपए में से दिसंबर 2022 तक मात्र 25,305.52 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.