टीएनपी डेस्क: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की छवि राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी की रही है. उनकी हर बात का कोई ना कोई मतलब होता है. यह अलग बात है कि किसी बात का मतलब तुरंत समझ आ जाता है. और कुछ का बहुत विलंब से. लालू प्रसाद एक बार फिर चर्चा में है. यह चर्चा इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर छिड़ी हुई है. लालू प्रसाद यादव राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी को नेता बनाने की वकालत कर रहे है. माना जा रहा है कि हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और झारखंड में किसी प्रकार 2019 के रिकॉर्ड तक पहुंचने की , कांग्रेस की छवि के बाद बिहार चुनाव को लेकर लालू प्रसाद यादव भी चौकन्ने हो गए है. माना जा रहा है कि 2025 के चुनाव में कांग्रेस को दबाव में लाने के लिए लालू प्रसाद अभी से राजनीतिक चाल चल रहे है. सीधे राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाकर कांग्रेस को बिहार में "बैक फुट" पर लाने का प्रयास शायद कर रहे है. राजनीतिक पंडित भी ममता बनर्जी के नाम के नाम को आगे करने को इसी चश्मे से देख रहे है.
2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को "बैक फुट" पर रखने की तैयारी
2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अधिक सीट की डिमांड नहीं करें, राजद कांग्रेस को जीतनी सीटें दे दे, इस पर कांग्रेस संतोष कर ले. क्या इसके लिए यह सब राजनीति तो नहीं है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यह भी जानते हैं कि बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अगर नाराज भी रहेगी, तो राजद का चुनावी समीकरण बिगाड़ नहीं पाएगी. दूसरी ओर कांग्रेस के पास राजद के अलावा कोई स्वाभाविक मित्र दल भी नहीं है. लालू प्रसाद यादव ने इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व पर ममता बनर्जी की दावेदारी पर अपनी मुहर लगाकर एक तीर से कई निशाने को साधने का प्रयास किया है. लालू प्रसाद के इस बयान से सियासी जानकार भी सकते में है. उन्होंने यहां तक कह दिया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व को कांग्रेस के खारिज करने का कोई मतलब नहीं है.
ममता बनर्जी के पक्ष में बयान की जमीन कोलकत्ता में हुई तैयार
जानकारी के अनुसार ममता बनर्जी के पक्ष में बयान के लिए कुछ दिन पहले से ही जमीन तैयार की जा रही थी. राजद नेता तेजस्वी यादव कोलकाता गए थे. तृणमूल नेताओं से बातचीत के बाद लालू प्रसाद का यह बयान आया है. महाराष्ट्र चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खुल गया है. देखना है कांग्रेस इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को अपने पास रख पाती है अथवा ममता बनर्जी के हाथ में यह नेतृत्व चला जाता है. वैसे, बिहार से उठे इस बवंडर को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. कहा तो यह भी जा रहा है कि 2020 में अगर बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ होता, तो गठबंधन की सरकार बन जाती. हो सकता है कि इस बार पहले से ही कांग्रेस को "बैक फुट" पर रखने की तैयारी राजद की ओर से की जा रही हो और उसी के परिणाम स्वरूप नेतृत्व परिवर्तन की बात उठाई जा रही है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे -आगे होता है क्या??
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो